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    झारखंड के इस गांव में आज भी नहीं पहुंचती एम्बुलेंस, मरीजों को खाट पर ले जाने को मजबूर, ग्रामीणों का प्रदर्शन

    By Shankar GuptaEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Tue, 04 Nov 2025 11:37 AM (IST)

    झारखंड के एक गांव में एम्बुलेंस की सुविधा न होने से ग्रामीणों को मरीजों को खाट पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ रहा है। सड़क की समस्या के कारण एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती है। ग्रामीणों ने इस समस्या के खिलाफ प्रदर्शन किया और प्रशासन से जल्द समाधान की मांग की है।

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    गांव में आज भी नहीं पहुंचती एम्बुलेंस

    संवाद सूत्र, पोटका(पूर्वी सिंहभूम)। पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड अंतर्गत रसूनचोपा पंचायत के सानबासा गांव जहां 48 परिवारों में 375 लोग निवास करते हैं। मगर आजादी के आज 78 साल बाद भी इन ग्रामीणों तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई, इन सुविधाओं की मांग को लेकर ग्रामीणों द्वारा कई बार पदाधिकारी का दरवाजा खटखटाया गया। 

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    मगर इसके बाद भी इस गांव की दिशा और दशा को बदलने में किसी तरह का पहल प्रशासन की ओर से नहीं किया गया। अंततः ग्रामीणों ने रैली निकालकर गांव में जोरदार प्रदर्शन कर मूलभूत सुविधाओं की मांग की। 

    गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती

    इस दौरान सहीया रानी सिंह सरदार, ग्राम प्रधान ददन सरदार,बहामनी सरदार,सुशीला सरदार,लासा मुर्मू एवं कांग्रेस के जिला सचिव जयराम हांसदा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने तालाब बने सड़क के समक्ष जोरदार प्रदर्शन करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल की मांग की ग्रामीणों का कहना है कि गांव में एकमात्र चापाकल है। जिसके भरोसे पूरा गांव पानी पीता है। 

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    चापाकल खराब होने पर कुआं का सहारा लेना पड़ता है वही गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है जिसके कारण मरीजों एवं गर्भवती माताओं को खटिया के सहारे मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है वहीं ग्रामीणों ने कहा कि लगातार मांग पत्र सौंपते-सौंपते आज थक चुके हैं और गांव के दो किमी जर्जर सड़क, जल मीनार की मरम्मती आदि की मांग को लेकर हम लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।

    गांव के गर्भवती,धात्री माताओं को नहीं मिलता प्रतिमाह पूरक पोषाहार

    गांव से 2 किलोमीटर दूर आंगनबाड़ी केंद्र पालीडीह में स्थित है जिसके कारण बच्चे इतना दूर जाकर शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं। गांव की सहिया रानी सिंह सरदार,बहामनी सरदार,सुशीला सरदार ने कहा कि गांव के गर्भवती, धात्री माताओ एवं बच्चों को पूरक पोषाहार नियमित रूप से प्रतिमा नहीं दिया जाता है। 

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    साथ ही दो,चार या पांच माह बाद चार पैकेट की जगह दो पैकेट ही दिया जाता है। कई बार शिकायत की गई इसके बावजूद सुनने वाला कोई नहीं है। गांव में सुपरवाइजर कभी आते ही नहीं है लोग आज तक सुपरवाइजर को देखा तक नहीं है। महिलाओं का कहना है की प्रतिमाह दूसरे केंद्रों में पूरक पोषाहार दिया जाता है मगर हम सबको नहीं मिलता।