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    Jharkhand Politics: 'इस्तीफे से बचने के लिए सीएम चम्पाई ने बुलाया छोटा बजट सत्र', विधायक सरयू राय ने लगाए गंभीर आरोप

    जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन व उनकी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने चम्पाई सोरेन से मांग करते हुए कहा कि सरकार राज्य की वित्त व्यवस्था पर एक श्वेत-पत्र जारी करे। जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने तो उसके पूर्व की सरकारी की वित्तीय स्थिति के बारे में उन्होंने एक श्वेत-पत्र जारी किया था।

    By Amit Kumar Edited By: Prateek Jain Updated: Sun, 18 Feb 2024 09:44 PM (IST)
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    Jharkhand: 'इस्तीफे से बचने के लिए सीएम चम्पाई ने बुलाया छोटा बजट सत्र', विधायक सरयू राय ने लगाए गंभीर आरोप

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन व उनकी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने चम्पाई सोरेन से मांग करते हुए कहा कि सरकार राज्य की वित्त व्यवस्था पर एक श्वेत-पत्र जारी करे।

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    जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने तो उसके पूर्व की सरकारी की वित्तीय स्थिति के बारे में उन्होंने एक श्वेत-पत्र जारी किया था। राज्य सरकार के मुख्यमंत्री के नाते चम्पाई सोरेन को भी एक श्वेत-पत्र जारी कर वित्तीय स्थिति पर प्रकाश डालना चाहिए।

    7 दिनों के बजट सत्र का कोई मतलब नहीं: सरयू  

    उन्होंने कहा कि चम्पाई सोरेन की पार्ट-2 सरकार की आगामी 23 फरवरी से शुरू होने वाली बजट सत्र अप्रत्याशित रूप से छोटा है। वर्ष 2020 में बजट सत्र में 18 कार्य दिवस, 2021 में 16 कार्य दिवस, 2022 में 17 कार्य दिवस और 2023 में भी 17 कार्य दिवस बजट सत्र में थे, परंतु 2024 के बजट सत्र मात्र 7 दिनों का है जिसका कोई मतलब नहीं है।

    कम अवधि का बजट सत्र बुलाने का एक बड़ा कारण यही हो सकता है कि अभी तक सरकार पुराने बजट की योजनाओं पर मुश्किल से 55-60 प्रतिशत खर्च कर सकी है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र एक माह शेष है। शेख राशि खर्च करने के लिए पार्ट-2 सरकार के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं है।

    सरयू राय ने कहा कि बजट सत्र छोटा करने का एक कारण यह भी हो सकता है कि चम्पाई सोरेन की सरकार मंत्री परिषद के विस्तार के बाद अस्थिर है। बजट सत्र का प्रत्येक दिन बजट की वित्तीय मांगों पर मतदान होता है।

    वित्तीय मामलों के मतदान में सरकार जरूरी संख्या नहीं जुटा पाएगी तो मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है। इससे बचने के लिए सरकार ने बजट सत्र छोटा किया होगा। इस सरकार को बीते चार वर्षों का लेखा-जोखा सदन में प्रस्तुत करना चाहिए।

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