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    झारखंड में निकाय चुनाव की रणभेरी बजी, पिछड़ा वर्ग की आबादी तय; अब आरक्षण पर निगाहें

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 08:09 PM (IST)

    झारखंड में नगर निकाय चुनाव का बिगुल बज गया है। राज्य सरकार ने मानगो, आदित्यपुर, जुगसलाई और कपाली के वार्डों के लिए चुनाव की घोषणा कर दी है। सरकार ने पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के आंकड़े जारी किए हैं, जो आरक्षण का आधार बनेंगे। अब सभी की निगाहें राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए जाने वाले आरक्षण रोस्टर पर टिकी हैं।

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    झारखंड में निकाय चुनाव की रणभेरी बजी, पिछड़ा वर्ग की आबादी तय

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। झारखंड में लंबे समय से रुके हुए नगर निकाय चुनावों की रणभेरी बज गई है। राज्य सरकार द्वारा बहुप्रतीक्षित अधिसूचना जारी करने के साथ ही अब आगामी चुनाव में मानगो नगर निगम के कुल 36, आदित्यपुर नगर निगम के 35, जुगसलाई नगर परिषद के 22 और कपाली नगर परिषद के 21 वार्डों पर मतदान का रास्ता साफ हो गया है।

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    सरकार ने इन सभी निकायों के लिए वार्डवार पिछड़ा वर्ग (अत्यंत पिछड़ा वर्ग-1 एवं पिछड़ा वर्ग-2) की जनसंख्या के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए हैं, जो अब सीटों के आरक्षण का मुख्य आधार बनेंगे।

    सुप्रीम कोर्ट के निर्देश ने खोली राह

    यह अधिसूचना इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि इसी के अभाव में राज्य में अप्रैल 2023 से निकाय चुनाव स्थगित थे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने विकास कृष्णराव गवली बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में फैसला देते हुए स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट को अनिवार्य कर दिया था।

    इस निर्देश का पालन करने के लिए राज्य सरकार को पहले एक डेडिकेटेड कमीशन का गठन कर पिछड़ेपन की प्रकृति का अध्ययन कराना था, फिर उसी कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर आनुपातिक आरक्षण की सिफारिश करनी थी, जिसमें कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो।

    इसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए गठित डेडिकेटेड कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर अब यह वार्डवार जनसंख्या अधिसूचित की गई है।

    कहां कितनी पिछड़ी आबादी, वार्डों का लेखा-जोखा

    जारी अधिसूचना ने कोल्हान के इन चार प्रमुख शहरी निकायों का राजनीतिक समीकरण तय कर दिया है। आंकड़ों का विश्लेषण करने पर हर निकाय में कुछ वार्ड ऐसे हैं, जहां पिछड़ा वर्ग की आबादी निर्णायक साबित होगी।

    मानगो नगर निगम के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां के वार्ड संख्या 27 में अत्यंत पिछड़ा वर्ग-1 की आबादी सबसे अधिक 4410 है, जबकि सबसे कम 646 आबादी वार्ड संख्या 32 में है। वहीं, पिछड़ा वर्ग-2 की सर्वाधिक 1094 की आबादी वार्ड संख्या 1 में और सबसे कम महज 4 की आबादी वार्ड संख्या 25 में दर्ज की गई है।

    इसी तरह, आदित्यपुर नगर निगम में अत्यंत पिछड़ा वर्ग-1 की सबसे बड़ी आबादी 3238 वार्ड संख्या 21 में है, जबकि सबसे कम 134 लोग वार्ड संख्या 34 में हैं। यहां पिछड़ा वर्ग-2 के सर्वाधिक 479 मतदाता वार्ड संख्या 1 में और सबसे कम 38 मतदाता वार्ड संख्या 34 में हैं।

    जुगसलाई नगर परिषद में भी समीकरण रोचक हैं। यहां वार्ड संख्या 10 में सबसे ज्यादा 2031 की बीसी-1 आबादी है, तो वहीं वार्ड संख्या 17 में सबसे कम 151 है। पिछड़ा वर्ग-2 की सर्वाधिक 1428 की आबादी वार्ड संख्या 13 में है, जबकि सबसे कम 9 लोग वार्ड संख्या 1 में हैं।

    कपाली नगर परिषद के आंकड़े सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाले हैं। यहां अत्यंत पिछड़ा वर्ग-1 की आबादी तो अच्छी खासी है, जिसमें वार्ड 3 में सर्वाधिक 1685 और वार्ड 7 में सबसे कम 852 लोग हैं। लेकिन पिछड़ा वर्ग-2 की आबादी लगभग नगण्य है। यहां के वार्ड 19 में इस वर्ग की सर्वाधिक आबादी सिर्फ 23 है, जबकि कई वार्डों जैसे 1, 2, 5, 7, 10, 11, 14, 16, 17 और 20 में यह संख्या शून्य है।

    अब आरक्षण रोस्टर पर टिकी निगाहें

    इन आधिकारिक आंकड़ों के सामने आने के बाद अब सभी की निगाहें राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए जाने वाले आरक्षण रोस्टर पर टिक गई हैं। आयोग इन्हीं आंकड़ों को आधार बनाकर यह तय करेगा कि कौन सा वार्ड पिछड़ा वर्ग की किस श्रेणी के लिए आरक्षित होगा।

    रोस्टर जारी होते ही चुनाव की औपचारिक घोषणा की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस घोषणा ने उन हजारों संभावित उम्मीदवारों की धड़कनें बढ़ा दी हैं, जो लंबे समय से चुनाव का इंतजार कर रहे थे और अब अपने-अपने वार्डों के नए सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों का आकलन करने में जुट गए हैं।