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    Jharkhand high court का कड़ा रुख: 46 भवनों की पुरानी कहानी नहीं चलेगी, Jnac को कोर्ट ने दिखाया आईना

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 08:00 PM (IST)

    झारखंड उच्च न्यायालय ने जेएनएसी को 46 भवनों के मामले में कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि पुरानी कहानी अब नहीं चलेगी। अदालत ने जेएनएसी को अपनी जिम्मेदारी समझने और जनता के हित में काम करने का निर्देश दिया। अदालत ने जेएनएसी को आईना दिखाया और मामले में गंभीरता से कार्रवाई करने को कहा।

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    फाइल फोटो।

    जासं, जमशेदपुर। जमशेदपुर में पार्किंग और अवैध निर्माणों के गंभीर मुद्दे पर झारखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को अत्यंत कड़ा रुख अपनाया। राकेश झा बनाम झारखंड सरकार मामले में मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश राजेश शंकर की पीठ ने जेएनएसी (जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति) द्वारा बार-बार अधूरी जानकारी देने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की।

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    अदालत ने जेएनएसी के डिप्टी कमिश्नर कृष्ण कुमार को गुरुवार को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।


    यह है पूरा मामला 

    मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि जेएनएसी ने 17 सितंबर के स्पष्ट निर्देशों का पालन नहीं किया। अदालत ने जेएनएसी को एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था, जिसमें यह बताने को कहा गया था कि पार्किंग पर कब्जा करने वालों और अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।

    इसके अलावा, समिति को पूर्णता प्रमाण पत्र (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) जारी किए गए और नहीं जारी किए गए भवनों की सूची भी सौंपनी थी। अदालत ने विशेष रूप से उन भवनों की जानकारी मांगी थी, जिन्हें बिना पूर्णता प्रमाण पत्र के बिजली और पानी के कनेक्शन दे दिए गए और यह भी पूछा था कि उनसे बिजली का बिल वाणिज्यिक दर पर वसूला जा रहा है या सामान्य दर पर। 

     

    अधूरी जानकारी पर भड़का न्यायालय 

    बुधवार को जब जेएनएसी ने अपना हलफनामा पेश किया, तो उसमें भी इन महत्वपूर्ण जानकारियों का कोई उल्लेख नहीं था। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए जेएनएसी के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की चेतावनी दी।

    अदालत में मौजूद जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी ने दलील दी कि वह नए हैं और मुख्य प्रभार उप नगर आयुक्त कृष्ण कुमार के पास है। इस खुलासे पर अदालत ने हैरानी जताई, क्योंकि यह सीधे तौर पर अदालत को गुमराह करने का प्रयास था।


    जेएनएसी पर 2011 से धोखाधड़ी का आरोप

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने दलील दी कि जेएनएसी 2011 से ही अदालत के साथ धोखाधड़ी कर रही है। उन्होंने बताया कि जेएनएसी पिछले कई वर्षों से अपने हर हलफनामे में केवल 46 भवनों को सील करने की बात दोहरा रही है, जबकि हकीकत में इन भवनों से सील हटाकर और भी अवैध निर्माण कर लिए गए।

    उन्होंने आरोप लगाया कि उप नगर आयुक्त कृष्ण कुमार ने पिछले छह वर्षों में लगभग 650 अवैध बिल्डिंग प्लान स्वीकृत किए और उन सभी को बिना पूर्णता प्रमाण पत्र के बिजली-पानी के कनेक्शन भी दिलवाए।

    यही कारण है कि जेएनएसी इन अवैध निर्माणों और कनेक्शनों की जानकारी छिपा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि 1900 भवनों में से केवल 24 को ही सही मायनों में पूर्णता प्रमाण पत्र दिया गया है।

     

    विषय से भटकाने पर वकील को चेतावनी 

    अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि जब मुख्य न्यायाधीश ने जेएनएसी के वकील से पूछा कि अगर अवैध निर्माण नहीं हैं तो इतने कम पूर्णता प्रमाण पत्र क्यों जारी हुए, तो वकील जमशेदपुर के इंडस्ट्रियल टाउन बनने की अप्रासंगिक दलीलें देने लगे।

    अदालत ने उन्हें बार-बार विषय पर बात करने की हिदायत दी, लेकिन जब वह नहीं माने तो अदालत ने चेतावनी दी कि यदि वह इसी तरह अदालत को गुमराह करते रहे, तो उन्हें अदालत से बाहर जाने के लिए कह दिया जाएगा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव और नेहा अग्रवाल ने पक्ष रखा।