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50 देशों में कौशल का प्रदर्शन कर चुके हैं छऊ नृत्यक शशधर

छऊ नृत्य के संरक्षण व प्रसार के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए शशधर को पद्मश्री से नवाजा गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 07:45 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 07:45 AM (IST)
50 देशों में कौशल का प्रदर्शन कर चुके हैं छऊ नृत्यक शशधर
50 देशों में कौशल का प्रदर्शन कर चुके हैं छऊ नृत्यक शशधर

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : छऊ नृत्य के संरक्षण व प्रसार के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए शशधर आचार्या को पद्मश्री सम्मान के लिए नामित किया गया है। वे अपने परिवार की पांचवीं पीढी हैं, जो छऊ नृत्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनके पूर्वज ओडिशा के रहने वाले थे। 16वीं शताब्दी में सिंहभूम के राजा उनके पूर्वज पुरुषोत्तम आचार्य को सरायकेला लाए थे। उसके बाद राज परिवार के संरक्षण में छऊ को आगे बढ़ाने में लोगों ने योगदान दिया।

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शशधर 50 देशों में छऊ नृत्य की कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। वे दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में छऊ की ट्रेनिंग देते हैं। साथ ही पुणे के नेशनल स्कूल ऑफ फिल्म एंड टेलीवीजन इंस्टीट्यूट में भी जाकर क्लास लेते हैं।

चारों बेटे छऊ नृत्य में पारंगत : शशधर के चारों बेटे छऊ नृत्य में पारंगत हैं। शशधर आचार्या के पिता लिंगराज आचार्या भी छऊ नृत्य के अच्छे नर्तक थे। शशधर आचार्या का बेटा शुभम आचार्या अपने पुरखों विरासत को आगे बढ़ाएगा।

फिलहाल दिल्ली में रहते हैं : वे फिलहाल नई दिल्ली के पर्यावरण एंक्लेव में रहते हैं। उनकी पत्‍‌नी हेलेना आचार्या भी कला से जुड़ी हैं। मूल रूप से बेंगलुरू की दिल्ली में पली-बढ़ी हेलेन संगीत नाट्य अकादमी की सचिव थीं। अभी हेलेना केंद्र सरकार के डांस विभाग की उपसचिव हैं।

सरायकेला में दो केंद्र खोल सिखाते हैं छऊ

शशधर ने सरायकेला के रंगापुर और तांगराणी में छऊ नृत्य सिखाने का केंद्र खोला है। इस केंद्र में अभी सरायकेला के 30 युवक एक-एक महीने की छऊ नृत्य की ट्रेनिंग ले रहे हैं। अभी वे सरायकेला में ही हैं और सात फरवरी को यहां से दिल्ली रवाना होंगे।

शशधर के दो गुरुओं को भी मिला था पद्मश्री

शशधर के पांच गुरुओं में से दो को पद्मश्री मिला था। उनके गुरु विक्रम कुंभकार और सरायकेला के राजा के बेटे सुधेंद्र नारायण सिंहदेव को पद्मश्री मिला था। ये दोनों शशधर आचार्या के गुरु थे। उनके गुरुओं में उनके पिता लिंगराज आचार्य के अलावा वन बिहारी पटनायक भी थे। ये सभी गुरु सरायकेला के रहने वाले थे।

कई अवार्ड से हो चुके हैं सम्मानित

शशधर आचार्य को पद्म श्री से पहले 2004 में संगीत नाट्य अकादमी का अवार्ड मिला है। इसके बाद 2005 में लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड और झारखंड रत्‍‌न मिल चुका है। ये अवार्ड उन्हें लगातार तीन साल तक मिला था।


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