Janmashtami 2019: जन्माष्टमी में अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का संयोग, जानिए क्यों होगा खास
इस बार की जन्माष्टमी में अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का संयोग होने से जयंती योग बन रहा है जो अति उत्तम व विशेष फलदायी है।
जमशेदपुर, जेएनएन। इस बार जन्माष्टमी में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग होने से जयंती योग बन रहा है। मान्यता है कि जयंती योग में सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। सनातन धर्म के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।
समस्त सृष्टि के पालनकर्ता श्रीहरि के पूर्ण कलाओं से युक्त भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की अद्र्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। काशी के पंचांगों के अनुसार अष्टमी तिथि गुरुवार 22 अगस्त को अद्र्धरात्रि के उपरांत 3:15 बजे से प्रारंभ होकर शुक्रवार 23 अगस्त को रात्रि 3:18 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र भी शुक्रवार 23 अगस्त को रात्रि 12:10 बजे से प्रारंभ होकर 24 अगस्त को रात्रि 12:28 बजे तक रहेगी। इस प्रकार निशीथ काल में चंद्रोदय युक्त अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र का पूर्ण संयोग 23 अगस्त शुक्रवार को ही मिल रहा है। अत: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत एवं जन्मोत्सव गृहस्थाश्रम में निवास करने वालों के लिए शुक्रवार 23 अगस्त को ही मनाना शास्त्र सम्मत है।
रहेगी मनोरथ सिद्धिदायक
पं. रमा शंकर तिवारी बताते हैं कि रोहिणी नक्षत्र के मतानुसार व वैष्णव जन श्रीकृष्ण जन्मव्रत 24 अगस्त शनिवार को करेंगे। इस बार की जन्माष्टमी में अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का संयोग होने से जयंती योग बन रहा है जो अति उत्तम व विशेष फलदायी है। ग्रहस्थिति व योगों के अनुसार यह जन्माष्टमी सभी भक्तों के लिए मनोरथ सिद्धिदायक रहेगी।