Jamshedpur: वीआइटी में नामांकन का झांसा देकर युवक से 34 लाख की ठगी, एजुकेशन लोन के नाम पर लगाया 18 लाख का चूना
जमशेदपुर से एक ठगी का मामला सामने आया है जिसमें एक शख्स ने वीआइटी में नामांकन कराने का झांसा देकर 16 लाख रुपये की फिर पढ़ाई के नाम पर 18 लाख रुपये का शिक्षा लोन भी ले लिया।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर: पहले तो वेल्लोर इस्टीट्यूट एंड टेक्नोलाजी (वीआइटी) में नामांकन कराने का झांसा देकर 16 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। उसके बाद शिक्षा लोन दिलाने का सब्जबाग दिखा ठगी करने वाले ने शिक्षा लोन दिलाने के नाम पर 18 लाख रुपये का लोन भी ले लिया। क्रेडिट कार्ड भी हासिल कर ली। खाते में रुपये भी ट्रांसफर कर लिया। इसकी जानकारी ठगी के शिकार को तब हुई जब उसके मोबाइल पर बैंक से ईएमआइ (EMI) का मैसेज आया। इसके बाद कुल 34 लाख रुपये की ठगी के मामला सामने आया।
अब ठगी का शिकार हुए व्यक्ति और उसके स्वजन न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। मामले में सीतारामडेरा थाना क्षेत्र भालूबासा निवासी विजय कुमार दास ने मानगो निवासी राहुल कुमार सिंह के विरुद्ध थाना में शिकायत दी है। पुलिस ने आरोपित को हिरासत में लिया है। उससे पूछताछ की जा रही है। वहीं, शिकायत करने वाले पर समझौते का दबाव दिया जा रहा है। सीतारामडेरा थाना की पुलिस के अनुसार मामले की जांच अभी चल रही है।
इधर, विजय कुमार दास ने बताया कि उनके भतीजे संकल्प दास का नामांकन के लिए कंसल्टेंसी से संपर्क किया था। संचालक राहुल कुमार सिंह ने वीआइटी में नामांकन के लिए अलग-अलग किश्त में 16 लाख रुपये ले लिया। पेटीएम से भी रुपये ट्रांसफर करा लिए। जब संकल्प वीआइटी संस्थान पहुंचे, तो बताया कि जो रजिस्ट्रेशन नंबर दिए गया गया है, वह फर्जी है। उस नंबर पर किसी युवती का नामांकन हुआ है। इसके बाद राहुल कुमार सिंह से संपर्क कर रुपये वापस करने को कहा। कुछ दिन बाद विजय दास की परेशान तब और बढ़ गई, जब उनके मोबाइल पर बैंक से 84 हजार रुपये ईएमआइ भरने का मैसेज आया। इसकी जानकारी लेने पर पता चला कि आइसीआइसीआइ, एक्सिस बैंक व अन्य छोटे बैंकों से अलग-अलग कुल 18 लाख रुपये का लोन लिया गया है। लोन राहुल सिंह ने लिया है। इधर, स्वजनों का आरोप है कि राहुल कुमार सिंह ने रुपये से कार खरीदी। महिला साथी को महंगे गिफ्ट दिया।
पीड़ित विजय दास ने बताया कि उनके भतीजे को ये धमकी दी जाती थी कि किसी को बताने पर गंभीर परिणाम होंगे। ट्रेन में धमकाया गया। वीआइटी संस्थान में घुसने भी नहीं दिया गया। भतीजा जब दिसंबर में शहर लौटा तो उसने मामले की जानकारी दी। विजय दास ने बताया कि केवाइसी अपडेट कराने का झांसा देकर उनका हस्ताक्षर लिया गया था। हमेशा वाट्सएप पर ही दस्तावेज भेजा जाता था।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।