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    पूर्वी भारत का Power Hub बनेगा जमशेदपुर; पर कैसे? विस्तार से यहां जानिए

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 06:00 AM (IST)

    लौहनगरी जमशेदपुर अब पूर्वी भारत के एक बड़े पावर हब के रूप में स्थापित होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने 7250 करोड़ रुपये की विशाल अंतर-क्षेत्रीय पारेषण योजना को मंजूरी दे दी है जिसके केंद्र में जमशेदपुर होगा। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत शहर को सीधे छत्तीसगढ़ के रायगढ़ और ओडिशा के बालासोर से जोड़ा जाएगा।

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    जमशेदपुर में 7250 करोड़ से बिछेगा बिजली का महाजाल।

    जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर। लौहनगरी जमशेदपुर अब पूर्वी भारत के एक बड़े पावर हब के रूप में स्थापित होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने 7,250 करोड़ रुपये की विशाल अंतर-क्षेत्रीय पारेषण योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके केंद्र में जमशेदपुर होगा।

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    इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत शहर को सीधे छत्तीसगढ़ के रायगढ़ और ओडिशा के बालासोर से जोड़ा जाएगा।

    मार्च 2029 तक पूरी होने वाली इस परियोजना से न केवल पश्चिमी और पूर्वी पावर ग्रिड के बीच बिजली का प्रवाह सुगम और मजबूत होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की औद्योगिक प्रगति को भी नई रफ्तार मिलेगी।

    झारखंड में भी बिछ रहा ग्रिड का जाल

    केंद्र की इस महापरियोजना के साथ-साथ झारखंड में भी पावर इंफ्रास्ट्रक्चर को अभूतपूर्व मजबूती दी जा रही है। पतरातू से चांडिल के बंसा तक 1300 करोड़ रुपये की लागत से एक विशाल पावर ग्रिड का निर्माण तेजी से चल रहा है, जिसके 2027 तक चालू होने की उम्मीद है।

    इसके शुरू होने से जमशेदपुर और आसपास के इलाकों को मौजूदा क्षमता से तीन गुना अधिक बिजली मिल सकेगी। इसके अलावा चाईबासा, कोडरमा और धनबाद में भी नए मेगा ग्रिड बनाने की योजना है।

    इन ग्रिडों के माध्यम से पतरातू थर्मल पावर प्लांट में उत्पादित हो रही 4500 मेगावाट बिजली को पूरे राज्य में आसानी से पहुंचाया जा सकेगा।

    यह एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि जमशेदपुर में जहां अभी तक आमतौर पर 33 हजार वोल्ट (33 केवी) की लाइनों से बिजली सप्लाई होती है, वहीं नई लाइनें चार लाख वोल्ट (400 केवी) की क्षमता वाली होंगी।

    जमशेदपुर-रायगढ़ के बीच सबसे बड़ा काम

    ''डब्ल्यूआर-ईआर इंटर-रीजनल नेटवर्क विस्तार'' नाम की इस योजना को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण ''पार्ट ए'' है।

    इस पर अकेले 6,272 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसी के तहत जमशेदपुर में 2x1500 एमवीए क्षमता का एक अत्याधुनिक 765/400 केवी का नया पावर सबस्टेशन बनाया जाएगा।

    साथ ही, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ (कोतरा-II) में भी 3x1500 एमवीए का एक नया सबस्टेशन स्थापित होगा। इन दोनों औद्योगिक पावर हाउस को जोड़ने के लिए 315 किलोमीटर लंबी एक हाई-कैपेसिटी 765 केवी डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जाएगी।

    ओडिशा से भी जुड़ेगा, ग्रिड को मिलेगी ताकत

    योजना का ''पार्ट सी'', जिसकी लागत 913 करोड़ रुपये है, जमशेदपुर की कनेक्टिविटी को और बढ़ाएगा। इसके तहत जमशेदपुर के नए सबस्टेशन से ओडिशा के बालासोर तक बिजली की लाइन का विस्तार किया जाएगा।

    इस जुड़ाव से पूरे क्षेत्रीय ग्रिड को एक नई मजबूती मिलेगी, जिससे बिजली कटौती की आशंका कम होगी और स्थिरता बढ़ेगी।

    क्यों जरूरी है यह महापरियोजना

    विशेषज्ञों के अनुसार, यह नेटवर्क भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। साल 2028-29 तक सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़ने पर बिजली कारिडोर पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार को संभालने में यह नेटवर्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

    इसके अलावा, छत्तीसगढ़ में लग रहे अदाणी पावर के 2x800 मेगावाट, कोरबा पावर के 2x660 मेगावाट और 2x800 मेगावाट के नए थर्मल प्लांटों से बिजली निकासी का रास्ता भी साफ होगा।

    पतरातू से चांडिल के बंसा तक 1300 करोड़ की लागत से नया ग्रिड बन रहा है, जो 2027 तक चालू हो जाएगा। इससे जमशेदपुर और आसपास के इलाकों को पहले से तीन गुना अधिक बिजली मिलेगी। चाईबासा, कोडरमा और धनबाद में भी ऐसे ही मेगा ग्रिड बनाए जा रहे हैं। यह राज्य के पावर इंफ्रास्ट्रक्चर में एक बड़ा बदलाव है।

    - एमपी, यादव, जीएम, पावर ट्रांसमिशन।