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    Jamshedpur News: जमशेदपुर में अधिवक्ताओं ने क्यों कहा अच्छे दिन आ गए, जानिए किसने और क्यों कही ये बात

    By Madhukar KumarEdited By:
    Updated: Sat, 28 May 2022 02:08 PM (IST)

    Jamshedpur News पंकज घिया ने एक और उदाहरण देते हुए बताया कि दिल्ली की एक कंपनी ने 1500 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया। उन्होंने जिस माल ...और पढ़ें

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    Jamshedpur News: पढ़े अच्छे दिन पर वकीलों ने क्या कहा।

    जमशेदपुर, जासं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अच्छे दिन आएंगे। टैक्स प्रोफेशनल व अधिवक्ताओं के अच्छे दिन आ गए हैं। केंद्र सरकार आयकर, गुड्स एंड सर्विस टैक्स, इनपुट टैक्स क्रेडिट में जिस तरह से नए-नए संशोधन कर रही है। उसके कारण पढ़ाई के समय भी हमने नहीं पढ़ा, अब पढ़ रहे हैं। यह कहना है आल इंडिया फेडरेशन आफ टैक्स प्रैक्ट्रिशनर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयपुर से आए पंकज घिया का। कामर्शियल टैक्स बार एसोसएिशन की जमशेदपुर इकाई द्वारा शनिवार को बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन में पूर्वी क्षेत्र के टैक्स विशेषज्ञों के लिए एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें गुड्स एंड सर्विस टैक्स पर अपने विचार रखते हुए पंकज घिया ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि नए-नए संशोधनों के कारण जीएसटी की धारा 61 में इतने सारे केस जनरेट हो गए हैं कि अच्छे दिन आ गए हैं। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि ये अच्छे दिन अगले चार सालों तक ऐसे ही कायम रहने की उम्मीद है। इस मौके पर लीगल हेड विकास मित्तल ने जीएसटी व आयकर की बारिकियों की जानकारी दी। इस मौके पर जमशेदपुर के चेयरमैन मुरलीधर केडिया, वाइस चेयरमैन केएल मित्तल, प्रेसिडेंट वासुदेव चटर्जी, महासचिव दिलीप पाल, उपाध्यक्ष हेमंत कुमार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद पोशारी, ईस्टर्न जोन के सचिव स्मित सौरभ सहित बिहार, बंगाल, ओडिसा व झारखंड के टैक्स प्रैक्ट्रिशनर्स इस सेमिनार में शामिल हुए।

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    समय बीतने के बाद नहीं ले पाएंगे टैक्स क्रेडिय

    अपने संबोधन में पूर्वी क्षेत्र से आए टैक्स विशेषज्ञों को जीएसटी की बारिकियों को समझाते हुए पंकज घिया ने बताया कि केंद्र सरकार के नए प्रावधानों के तहत यदि किसी उद्यमी या उनके टैक्स सलाहकार ने समय रहते इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं लिया तो समय बीतने के बाद उसे क्लेम भी नहीं कर पाएंगे। लेकिन यदि कोई बड़ी कंपनी अनुमानित व्यापार पर 100 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट लेती है तो जीएसटी विभाग उसे नोटिस भेज देता है। अब यदि जीएसटी की 16(2) के तहत क्लेम किया जा सकता था लेकिन मैंने 16(4) का इस्तेमाल किया। पिछले वित्तीय वर्ष के रिकार्ड और वर्तमान व्यापार पर 80 करोड़ के बजाए 100 करोड़ का क्लेम किया, जिसकी मियाद 31 सितंबर 2022 तक पूरा होना है। हमने तर्क दिया कि विभाग साबित करें कि आप साबित करें कि पिछले वर्ष के 80 करोड़ की अपेक्षा इस वर्ष इनपुट टैक्स क्रेडिट व्यापार बेहतर होने पर 100 करोड़ नहीं होगा। हम 20 करोड़ रुपये जमा कर देंगे। बाद में विभाग को संबधित कंपनी की बात माननी पड़ी। पंकज ने बताया कि विभाग चाहता है कि कंपनी या उद्यमी इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम न करें। इसके लिए वे बोगस बिल की बात करते हैं।

    टोल प्लाजा की रसीद दिखाकर मिली बेल

    पंकज घिया ने एक और उदाहरण देते हुए बताया कि दिल्ली की एक कंपनी ने 1500 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया। उन्होंने जिस माल पर ये लिया, चैनल दर चैनल वह राजस्थान की एक कंपनी ने 20 लाख का माल लिया। नियमत: कानून से काम करते हुए टैक्स भरा, इनपुट लिया। लेकिन विभाग ने अंतिम व्यक्ति को पकड़ लिया। उस पर चार्ज फ्रेम कर जेल भेज दिया। कहा कि कहां से माल आया और कहां से गया, इसका विवरण मांगा। हमने 800 पेज का रिकार्ड, आनलाइन पेमेंट, बिल भुगतान, बैंक विवरण सहित पूरा ब्यौरा भेजा लेकिन बेल मिली टोल प्लाजा की उस रसीद से जिसमें दिखा कि माल कब कंपनी आया और बाहर गया। इसके आधार पर क्लाइंट को बेल मिली। लेकिन इमानदार होने के बावजूद उन्हें सात दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। ऐसे में हम ये कह सकते हैं कि देश में सभी इमानदार नहीं हैं। कुछ लोगों के कारण सभी लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है।