Jharkhand zoo: झारखंड में खुलेंगे दो नए चिड़ियाघर और टाइगर सफारी, मुख्य वन संरक्षक ने की घोषणा
झारखंड में दो नए चिड़ियाघर गिरिडीह और दुमका में खुलेंगे साथ ही पलामू टाइगर रिजर्व के पास एक टाइगर सफारी भी बनेगी। यह घोषणा वन्यजीव विशेषज्ञों के एक कार्यक्रम में की गई। इस कार्यक्रम में चिड़ियाघर के कीपरों के लिए चार दिन की ट्रेनिंग भी शुरू हुई जिसमें उन्हें जानवरों की देखभाल और सुरक्षा के बारे में सिखाया जाएगा।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। झारखंड में वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। राज्य को जल्द ही दो नए चिड़ियाघर और एक टाइगर सफारी की सौगात मिलने वाली है।
प्रदेश सरकार ने गिरिडीह और दुमका में दो नए चिड़ियाघर स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया है, साथ ही पलामू टाइगर रिजर्व के पास एक भव्य टाइगर सफारी भी विकसित की जाएगी।
यह महत्वपूर्ण घोषणा झारखंड के मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एसआर नतेशा ने सोमवार को बिष्टुपुर स्थित सेंटर फार एक्सीलेंस में आयोजित एक उच्च-स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में की।
यह घोषणा उस महत्वपूर्ण अवसर पर की गई, जब जमशेदपुर पूर्वी भारत के वन्यजीव विशेषज्ञों का केंद्र बना हुआ है। यहां केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) के सौजन्य से और टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क की मेजबानी में पूर्वी भारत के 23 चिड़ियाघरों से आए 34 कीपरों (रखवालों) के लिए चार दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला शुरू हुई है। इस घोषणा से राज्य में वन्यजीव पर्यटन को एक नई ऊंचाई मिलने की उम्मीद है।
सिर्फ सफाई नहीं, विज्ञान और संवेदना का काम है जू-कीपिंग
उन्होंने बताया कि चिड़ियाघरों में वन्यजीवों के स्वास्थ्य और संरक्षण की पहली कड़ी जू-कीपर होते हैं। उनकी भूमिका केवल जानवरों के बाड़ों की सफाई तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि यह विज्ञान, धैर्य और संवेदना से जुड़ा एक बेहद विशेषज्ञता वाला काम है।
एक कुशल कीपर जानवर के व्यवहार में हो रहे सूक्ष्म बदलावों, जैसे उसके खान-पान में कमी या सुस्ती, को देखकर ही उसकी संभावित बीमारी का अंदाजा लगा सकता है। वे जानवरों के लिए पौष्टिक भोजन तैयार करने से लेकर उन्हें मानसिक रूप से सक्रिय रखने और पशु चिकित्सकों की मदद करने तक में अहम भूमिका निभाते हैं। इसी महत्व को समझते हुए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
चार दिनों तक चलने वाले इस गहन प्रशिक्षण में कीपरों को पशु आवास, रिकार्ड कीपिंग, टीकाकरण, आपदा प्रबंधन और सांपों के व्यवहार जैसे विषयों पर जानकारी दी जाएगी। उन्हें व्यावहारिक अनुभव के लिए दलमा वन्यजीव अभयारण्य का दौरा भी कराया जाएगा।
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