Jamshedpur News: 24 साल बाद फिर खुलेगी राखा माइंस, 10 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
जमशेदपुर में 24 साल बाद राखा कॉपर माइंस फिर से खुलने जा रही है। झारखंड सरकार और हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के बीच समझौता हुआ है जिससे इलाके में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। हर साल 30 लाख टन तांबा अयस्क का उत्पादन करने का लक्ष्य है जिससे भारत तांबे के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। करीब 24 साल के लंबे इंतजार के बाद पूर्वी सिंहभूम की राखा कापर माइंस में फिर से रौनक लौटने का रास्ता साफ हो गया है। शुक्रवार को उपायुक्त कार्यालय में झारखंड सरकार और हिंदुस्तान कापर लिमिटेड (एचसीएल) के बीच खनन पट्टा विलेख (लीज डीड) पर अंतिम मुहर लग गई।
यह ऐतिहासिक समझौता आर्थिक रूप से अव्यवहारिक होने के कारण 2001 से बंद पड़ी खदान के सुनहरे दिनों की वापसी का प्रतीक है। इस परियोजना से क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग दस हजार लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी।
उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने राज्य सरकार की ओर से और एचसीएल के इंडियन कापर काम्प्लेक्स (आइसीसी) के कार्यकारी निदेशक-सह-यूनिट प्रमुख ने कंपनी की ओर से 20 साल की अवधि के इस लीज डीड पर हस्ताक्षर किए।[6] इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपर उपायुक्त भगीरथ प्रसाद और जिला खनन पदाधिकारी सतीश कुमार नायक भी उपस्थित थे।
विकास और रोजगार को मिलेगी नई रफ्तार
उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने इस समझौते को झारखंड के विकास के लिए एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की नीतियों के अनुरूप यह खनन गतिविधि क्षेत्र में समावेशी विकास को गति देगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार खनन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय समुदाय के हितों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस परियोजना से न केवल रोजगार सृजित होंगे, बल्कि यह भारत की खनिज अर्थव्यवस्था में झारखंड की अग्रणी भूमिका को और भी मजबूत करेगा।
30 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य
समझौते के तहत, एचसीएल राखा माइंस में खनन कार्य फिर से शुरू करेगी और प्रतिवर्ष लगभग 30 लाख टन तांबा अयस्क का उत्पादन करने का लक्ष्य रखेगी। इसके अतिरिक्त, अयस्क को संसाधित करने के लिए इतनी ही क्षमता का एक नया कंसंट्रेटर संयंत्र भी स्थापित किया जाएगा।
एचसीएल के कार्यकारी निदेशक ने इस सहयोग के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह परियोजना देश की तांबे की आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
ताम्र नगरी का लौटेगा गौरव
राखा माइंस, जो कभी क्षेत्र की जीवन रेखा थी, तांबे की कीमतों में भारी गिरावट और आर्थिक चुनौतियों के कारण जुलाई 2001 में बंद कर दी गई थी। तब से स्थानीय लोग और पूर्व कर्मचारी इसके फिर से खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। एचसीएल देश की एकमात्र सरकारी कंपनी है जो खनन से लेकर शोधन तक तांबे के उत्पादन की पूरी प्रक्रिया का संचालन करती है।
ऊर्जा, निर्माण और इलेक्ट्रिक वाहन जैसे क्षेत्रों में तांबे की बढ़ती मांग के बीच, राखा माइंस का पुनरुद्धार राष्ट्रीय महत्व रखता है, क्योंकि भारत अपनी तांबे की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है। यह कदम देश को तांबा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
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