Jamshedpur News: डीआरएम का आदेश, रेलकर्मी के फीडबैक के बिना पास नहीं होंगे जोनल कॉन्ट्रैक्ट के बिल
जमशेदपुर में चक्रधरपुर मंडल के रेलवे क्वार्टरों की मरम्मत में पारदर्शिता लाने के लिए नया नियम लागू किया गया है। अब रेलकर्मियों का फीडबैक अनिवार्य होगा जिसके बिना बिल पास नहीं होंगे। डीआरएम तरुण हुरिया ने गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए यह आदेश जारी किया है। इस पहल से लगभग 23 हजार रेलकर्मियों को फायदा मिलेगा और आवासों का रखरखाव बेहतर हो पाएगा।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। चक्रधरपुर मंडल में अब जोनल कॉन्ट्रैक्ट (क्षेत्रीय अनुबंध) के तहत होने रेलवे क्वार्टरों में मरम्मती वाले सभी कार्य के बाद संबधित आवंटित रेलकर्मी का फीडबैक व हस्ताक्षर अनिवार्य होगा। इसके बाद ही संबधित एजेंसी की बिलिंग पास हो पाएगी।
चक्रधरपुर मंडल के रेल मंडल प्रबंधक (डीआरएम) तरुण हुरिया ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। डीआरएम ने अपने आदेश में कहा है कि रेलवे क्वार्टरों में जोनल कॉन्ट्रैक्ट में किए जाने वाले कार्यों की पारदर्शिता को बनाए रखने व गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए यह पहल की गई है।
इसके तहत जोनल कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत इंजीनियरिंग व इलेक्ट्रिकल विभागों द्वारा होने वाले सभी कार्यों को उक्त क्वार्टर में रहने वाले आवंटी (रेलकर्मी) द्वारा विधिवत प्रमाणित किया जाए। वहीं, चालू खाता बिल को प्रस्तावित व अनुमोदित करने से पहले यह सत्यापित किया जाना अनिवार्य होगा कि आवंटी ने जोनल कॉन्ट्रैक्ट के तहत जो भी काम उनके आवास में हुए हैं उसमें ठेकेदार द्वारा उन्हें काम के संबंध में पूरी जानकारी देकर उससे प्रमाणित किया है।
इसके अलावा डीआरएम ने यह भी आदेश दिया है कि जब भी रेलवे क्वार्टरों में कोई काम प्रस्तावित होगा तो संबधित आवंटियों को इसकी जानकारी देना अनिवार्य होगा। मालूम हो कि चक्रधरपुर मंडल में रेलवे क्वार्टरों की मरम्मती के लिए रेल प्रशासन द्वारा प्रतिवर्ष इंजीनियरिंग व इलेक्ट्रिकल कार्य के लिए प्रतिवर्ष एक-एक जोनल कॉन्ट्रैक्ट को चार से पांच करोड़ रुपये आवंटित करती है इसके बावजूद रेलकर्मी काम नहीं होने की शिकायत करती रहती है।
इसी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए डीआरएम ने यह पहल की है। इस पहल से चक्रधरपुर मंडल में कार्यरत लगभग 23 हजार रेलकर्मियों को फायदा मिलेगा।
पारदर्शिता के लिए पूर्व में लगाए जाते थे बोर्ड
दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस कांग्रेस का कहना है कि तीन-चार साल पहले हर क्षेत्र में इंस्पेक्शन कमेटी होती थी जो क्वार्टर, नाली, शौचालय, पानी की टंकी मरम्मती से लेकर इलेक्ट्रिकल कार्यों की जांच कर प्राथमिकता तय करती थी। इस प्राथमिकता के आधार पर ही जोनल कॉन्ट्रैक्ट के तहत कहां-कहां पर कौन-कौन से काम होंगे, इसकी सूची तैयार की जाती थी।
काम कहां-कहां हो रहे हैं इसका बोर्ड भी लगाया जाता था, लेकिन अब यह व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। अब कर्मचारी अपने आवास की मरम्मती के लिए आईओडब्ल्यू विभाग के चक्कर लगाते रहते हैं। समाधान नहीं होने पर कर्मचारी खुद ही अपने आवास के क्वार्टर, पीछे के गेट, टूट हुए लोहे की गेट की मरम्मती कराते हैं।
डीआरएम के आदेश का हम स्वागत करते हैं इससे इंजीनियरिंग व इलेक्ट्रिकल विभाग पुन: पटरी पर आने की उम्मीद है। इस पहल से रेल कर्मचारियों के बीच नया विश्वास भी बनेगा कि उनके आवास की रेलवे द्वारा अब रख-रखाव की उचित हो पाएगी। - शशि मिश्रा, मंडल संयोजक, दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस कांग्रेस
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