चावल से लदा वैगन गायब करने वाले दो रेलकर्मी भेजे गए जेल, RPF ने एक साल पुरानी फाइल खोलकर की कार्रवाई
जमशेदपुर में रेलवे सुरक्षा बल ने चावल से भरी मालगाड़ी का वैगन गायब करने के आरोप में दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। टाटानगर के गुड्स शेड में तैनात सूरज कुमार और मुकेश कुमार को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। यह मामला 24 लाख रुपये के चावल गबन से जुड़ा है जिसमें 1259 बोरियां गायब थीं।

जागरण संवाददात, जमशेदपुर। रेलवे की मालगाड़ी से चावल की एक-दो बोरी नहीं, बल्कि पूरा का पूरा वैगन ही गायब कर देने के हाई-प्रोफाइल मामले में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है।
टाटानगर के गुड्स शेड में कमर्शियल क्लर्क के पद पर तैनात सूरज कुमार और मुकेश कुमार को चक्रधरपुर रेलवे कोर्ट में पेश करने के बाद मंगलवार को न्यायिक हिरासत में घाघीडीह सेंट्रल जेल भेज दिया गया।
करीब 24 लाख रुपये मूल्य के चावल गबन से जुड़ा यह मामला एक साल से ज्यादा पुराना है, जिसकी फाइलें खंगालकर आरपीएफ ने यह बड़ी कार्रवाई की है।
मामले का खुलासा तब हुआ जब करीब डेढ़ साल पहले 12 मार्च 2024 को ओडिशा के कांटाबांजी से पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर सिटी जंक्शन के लिए रवाना हुई एक मालगाड़ी अपने गंतव्य पर पहुंची। वहां गिनती के दौरान पता चला कि चावल से लदी एक पूरी वैगन गायब है।
इस वैगन में चावल की कुल 1259 बोरियां थीं, जिनकी कीमत 23 लाख 92 हजार 930 रुपये आंकी गई थी। सबूतों के आधार पर आरपीएफ ने सोमवार, 18 अगस्त को दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपियों में एक सूरज कुमार (उम्र 46 वर्ष) बारीडीह आदर्श नगर का रहने वाला है, जबकि दूसरा आरोपी मुकेश कुमार रांची के धुर्वा स्थित एचईसी कालोनी का निवासी है। दोनों टाटानगर स्थित गुड्स शेड (माल गोदाम) में ही कार्यरत थे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए टाटानगर आरपीएफ पोस्ट में इसी साल 13 फरवरी को रेलवे संपत्ति (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम की धाराओं के तहत जीरो एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की गई।
आरपीएफ की जांच टाटानगर गुड्स शेड पर केंद्रित हो गई। लंबी और गहन तफ्तीश के बाद इस गबन में गुड्स शेड में तैनात दो कमर्शियल क्लर्कों की संलिप्तता के पुख्ता सबूत मिले। जांच में पाया गया कि इन कर्मचारियों ने अन्य वाणिज्यिक और एफसीआइ के अधिकारियों की मिलीभगत से रेलवे को सौंपा गया माल गायब कर दिया।
आरपीएफ के अनुसार, इन दोनों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रेलवे की अमानत में सेंध लगाई और उसे बाजार में बेच दिया। इस मामले में कुछ और लोगों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है। इस गिरफ्तारी से रेलवे के भीतर चल रहे भ्रष्टाचार के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश होने की उम्मीद है।

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