राजकीय सम्मान के साथ हुई मंत्री रामदास सोरेन की अंतिम विदाई, बड़े बेटे ने दी मुखाग्नि; जगह-जगह उमड़ा जनसैलाब
जमशेदपुर में मंत्री रामदास सोरेन का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। टेल्को से घोड़ाबांधा तक पुलिस तैनात रही जहाँ नेता और ग्रामीण श्रद्धांजलि देने पहुंचे। धूमा कालोनी में अंतिम संस्कार हुआ और रामदास सोरेन अमर रहें के नारे लगे। पार्थिव शरीर पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया और पत्नी की तबीयत बिगड़ गई।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। शनिवार दोपहर बारह बजे से लेकर देर शाम तक टेल्को खड़ंगाझाड़ चौक से घोड़ाबांधा स्व. रामदास सोरेन के आवास तक जगह-जगह पुलिस तैनात थी। करीब एक किमी के दायरे में यह क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था।
रामदास सोरेन का पार्थिव शरीर घोड़ाबांधा पहुंचेगा, यह खबर सुनकर दोपहर बारह बजे से ही उनके आवास पर विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं का जुटान होने लगा था। भीड़ को नियंत्रित करने को पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात दिखी।
दोपहर 1:30 बजे शवयात्रा जमशेदपुर के घोड़ाबांधा स्थित मंत्री आवास पहुंची, जहां ग्रामीणों एवं अतिथियों ने स्व. सोरेन को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी। दोपहर 3 बजे अंतिम यात्रा मंत्री आवास से धूमा कालोनी के लिए रवाना हुई।
3:30 बजे धूमा कालोनी पहुंचने पर लोगों ने अंतिम दर्शन किए। शाम 5:00 बजे राजकीय सम्मान के साथ धूमा कालोनी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। बड़़े बेटे सोमेश्वर सोरेन ने पिता रामदास सोरेन को मुुखग्नि दी।
इससे पूर्व जवानों ने अंतिम सलामी दी। इस दौरान वातावरण ‘रामदास सोरेन अमर रहें’ के नारों से गूंज उठा और हजारों लोगों की आंखें नम हो गईं।
घंटो बाधित रहा घोड़ाबांधा का रोड
स्व. रामदास सोरेन का पार्थिव शरीर उनके आवास पर पहुंचते ही गाड़ियों का काफिला पहुंचने लगा था। खड़ंगाझाड़ चौक से लेकर घोड़ाबांधा तक मंत्री, विधायक व पुलिस-प्रशासन महकमा के लोग पहुंचने लगे। सभी लोग रोड किनारे गाड़ियां खड़ी कर स्व. रामदास सोरेन का अंतिम दर्शन करने को आतुर थे।
इस दौरान रोड जाम हो गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो शहर की पूरी भीड़ घोड़ाबांधा की ओर निकल पड़ी। लोगों की भीड़ व गाड़ियों के काफिले की वजह से घंटाे घोड़ाबांधा रोड बाधित रहा। इस दौरान घोड़ाबांधा में एक भी दुकानें नहीं खुलीं।
शव पहुंचते ही स्वजनों के चित्कार से गमगीन हुआ माहौल
घाटशिला से साकची पार्टी कार्यालय होते हुए करीब साढ़े तीन बजे जैसे ही रामदास सोरेन का शव उनके घोड़ाबांधा स्थित आवास पर पहुंचा। उनके पत्नी, बेटा-बेटी, भतीजा समेत घर की अन्य महिलाएं संग उनके सगे-संबंधी सभी चित्कार मार कर रोने लगे।
उनके साथ हजारों की तादाद में पहुंचे लोगों के आंखों में भी आंसू छलक पड़े। पूरा माहौल गमगीन हो गया। सबके मुख से बस एक ही शब्द निकल रहा था, अब ऐसा दादा नहीं मिलेगा। उसका नहीं रहना सभी को खलेगा। जमीन से शिखर तक पहुंचने वाले इस नेता का जोर नहीं है।
मंत्री और नेताओं की भीड़ के कारण समर्थकों को हुई परेशानी
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का पार्थिव शरीर घर में प्रवेश करने के बाद मंत्रियों और विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं का जमावड़ा लग गया। शनिवार को नेमरा में गुुरु़जी का श्राद्धकर्म में शामिल होने के बाद सभी मंत्री और नेता रामदास सारेने के अंतिम दर्शन के लिए घोड़ाबांधा पहुंचने लगे।
इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा उनकी पत्नी मीरा मुंडा, सांसद बिद्युत बरन महतो, मंत्री संजय यादव, बंधु तिर्की, राजेश कच्छप, लक्ष्मण टुडू, कुणाल षाड़ंगी, हिदायतुल्लाह खान समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ता की भीड़ जमा हो गई।
ऐसे में घर में पहले से मौजूद समर्थकों को नियंत्रित करने के लिए पुुलिस को सख्ती करनी पड़ी। लिहाजा अपने चहेते दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन का दर्शन करने की आस लगाए समर्थकों को निराश होना पड़ा।
शिक्षा मंत्री के निधन की खबर मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुडा अपनी धर्मपत्नी मीरा मुंडा के साथ घोड़ाबांध स्थित दिवंगत रामदास सोरेन के घर पहुंच गये थे।
पत्नी सूरजमणि की बिगड़ी तबीयत
शनिवार दोपहर बारह बजे तक दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन की पत्नी को पति के निधन की जानकारी नहीं थी। रिश्तेदारों ने जब निधन की जानकारी दी ताे सूरजमणि की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें आनन-फानन में टाटा मोटर्स अस्पताल में भर्ती कराया गया।
राहत मिलने के बाद उन्हें घोड़ाबांधा स्थित आवास पर लाया गया। यहां आने के बाद भी वे बार-बार अचेत हो रही थीं। इस दौरान उनके बाजू में खड़ीं पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा उन्हें संभालने की कोशिश कर रही थीं।
इस दौरान सूरजमणि की देखभाल के लिए चिकित्सकों की टीम भी तैनात रहीं। दाह संस्कार के लिए पार्थिव शरीर घर से निकलने के बाद फिर से सूरजमणि सोरेन की तबीयत बिगड़ गई। लिहाजा उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पथरीली सड़क और दो पहाड़ियों को पार कर पहुंचे धूमा कालोनी
घोड़ाबांधा आवास से दो किलोमीटर दूर धूमा कालोनी में उनकी पैतृक जमीन पर दाह संस्कार के लिए उन्हें लाया गया। यहां तक आने वाली सड़क पथरीली थी। जगह-जगह कीचड़मय भी थी। हालांकि सुबह से ही रास्ता को समतल करने का काम शुरू कर दिया गया था।
अपने नेता को श्रद्धांजलि देने के लिए काफी तादाद में कीचड़ से सनी पथरीली रास्ते से होकर दो पहाड़ियों को पारकर धूमा कालोनी पहुंचे और अंतिम संस्कार तक वे डटे रहे।
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