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    'मेरा जाति प्रमाण-पत्र बनवा दीजिए, आगे पढ़ना चाहती हूं...'; झारखंड की दामिनी ने DC से लगाई गुहार

    Updated: Tue, 17 Jun 2025 04:46 PM (IST)

    चाकुलिया की दामिनी सबर ने बाल विवाह ठुकराकर शिक्षा के लिए संघर्ष किया है। प्रथम श्रेणी से मैट्रिक और इंटर पास करने के बावजूद आर्थिक तंगी और जाति प्रमाण पत्र की समस्या के कारण वह आगे नहीं पढ़ पा रही है। गुलगुलिया समुदाय की होने के कारण जाति सूची में नाम न होने से प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। दामिनी को डीसी से मदद की उम्मीद है।

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    मेरा जाति प्रमाण-पत्र बनवा दीजिए डीसी सर, आगे पढ़ना चाहती हूं...

    पंकज मिश्रा, चाकुलिया। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का सरकारी नारा सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन इन वाक्यों को जब धरातल पर उतारने की बारी आती है तो सिस्टम फिसड्डी साबित होने लगता है। कुछ ऐसा ही हो रहा है पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया नगर पंचायत कार्यालय के समीप रहनेवाली गुलगुलिया (खानाबदोश) समुदाय की दामिनी सबर के साथ।

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    परिवार एवं समुदाय के निर्णय के विरुद्ध बाल विवाह ठुकराने वाली दामिनी मैट्रिक एवं इंटर की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास कर चुकी है। वह आगे पढ़ना चाहती है। अपने पैरों पर खड़ा होकर सम्मान से जीना चाहती है। परिवार एवं समुदाय की अन्य लड़कियों को एक नई राह दिखाना चाहती है, लेकिन कैसे करे?

    उसके पास शैक्षणिक संस्थाओं की फीस भरने के लिए न तो पैसे हैं, न ही फीस माफी की सुविधा लेने के लिए आवश्यक सरकारी दस्तावेज। मिट्टी की झोपड़ी में रहना, जमीन पर सोना ही नियति है। पिता ज्योति सबर का चार साल पहले निधन हो चुका है। मां जेसिन सबर मजदूरी कर सात बच्चों को पाल रही हैं।

    दामिनी भी पहले मां के साथ मजदूरी करती थी। गुलगुलिया समुदाय के अन्य बच्चों की तरह ट्रेनों में झाड़ू लगाती और भीख मांगती थी। फिर एक समाजसेवी की नजर उसपर पड़ी। उनकी मदद से उसका दाखिला केएनजे उच्च विद्यालय में हो गया। घर के अभाव में पेड़ के नीचे पढ़कर दामिनी ने जब प्रथम श्रेणी से मैट्रिक पास कर दिखाया तो सभी चौंक उठे।

    इसके बाद तत्कालीन डीसी विजया जाधव के निर्देश पर उसका नामांकन कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कराया गया। इस वर्ष दामिनी ने इंटर कला संकाय की परीक्षा भी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर दिखाया है। अब उसके समक्ष यक्ष प्रश्न यह है कि आगे की पढ़ाई कैसे करें।

    जाति ही सूचीबद्ध नहीं, इसलिए नहीं बन रहा प्रमाणपत्र:

    सीओ दामिनी को उम्मीद है कि पूर्वी सिंहभूम जिले के नए डीसी कर्ण सत्यार्थी उसकी स्थिति का संज्ञान लेंगे। वह आगे की पढ़ाई कर सकेगी। इंटर का रिजल्ट आने के अगले ही दिन दामिनी ने डीसी को वाटसएप कर जाति प्रमाणपत्र से संबंधित समस्या बताई थी। डीसी ने आवेदन भेजने को कहा था। आवेदन भेजने के 10 दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

    दरअसल, दामिनी जिस गुलगुलिया समुदाय से आती है, वह अंचल कार्यालय की जाति सूची में सूचीबद्ध ही नहीं है। सीओ नवीन पुरती के मुताबिक इस कारण जाति प्रमाण पत्र निर्गत करना संभव नहीं है। कहने को गुलगुलिया सबर जाति में आते हैं और उन्हें अंत्योदय योजना का लाभ भी मिलता है। दामिनी का इंटर का रिजल्ट निकले 11 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक नामांकन की कोई व्यवस्था नहीं हुई है।