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    बच्चों की मौत के बाद जमेशदपुर में कफ सिरप बैन, दवा दुकानों की जांच

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 01:50 AM (IST)

    कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के बाद जमशेदपुर में ड्रग विभाग सक्रिय हो गया है। दवा दुकानों की जांच की जा रही है और बिना डॉक्टर की पर्ची के कफ सिरप बेचने पर रोक लगाई गई है। कोल्ड्रिफ सिरप जैसे अन्य सिरपों के नमूने भी जांच के लिए भेजे जा रहे हैं।

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    बच्चों की मौत के बाद शहर में कफ सिरप बैन, जांच तेज। सांकेतिक फोटो

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन से देशभर में अब तक एक दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। इस घटना के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया है।

    केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के ड्रग विभागों को तुरंत जांच करने और संदिग्ध दवाओं पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। इन आदेशों के बाद जमशेदपुर में भी ड्रग विभाग पूरी तरह सक्रिय हो गया है।

    दवा दुकानों की जांच की जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं भी प्रतिबंधित या घटिया सिरप की बिक्री न हो। ड्रग इंस्पेक्टर अबरार आलम ने बताया कि बच्चों की मौत का मामला बेहद गंभीर है।

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    विभाग ने जांच शुरू कर दी है और सभी दवा दुकानदारों को सख्त हिदायत दी गई है कि बिना डॉक्टर की पर्ची के किसी भी बच्चे को कफ सिरप न दिया जाए।

    उन्होंने बताया कि कोल्ड्रिफ सिरप के साथ-साथ उसके जैसे केमिकल कंपोजिशन वाले अन्य सिरपों के नमूने भी जब्त किए जा रहे हैं और उन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा, ताकि उनकी गुणवत्ता और सुरक्षा स्तर का पता चल सके।

    ड्रग विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जमशेदपुर में हर महीने करीब 30 लाख रुपये के सिरप की खपत होती है। हालांकि, फिलहाल शहर में कोल्ड्रिफ सिरप की सीधी सप्लाई नहीं है, लेकिन उससे मिलते-जुलते सिरप बाजार में बिक रहे हैं, जिनकी जांच जरूरी है।

    डॉक्टर की चेतावनी- बच्चों को मनमानी दवा देना पड़ सकता है भारी

    महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. केके चौधरी ने कहा कि माता-पिता को बच्चों को कभी भी अपने मन से दवा नहीं देनी चाहिए। अक्सर लोग सर्दी-खांसी होने पर खुद दवा दुकान जाकर सिरप खरीद लेते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकता है।

    उन्होंने कहा कि अप्रशिक्षित दुकानदार कई बार गलत डोज दे देते हैं, जबकि बच्चों की दवा का डोज उनकी उम्र, वजन और बीमारी के अनुसार तय किया जाता है। ज्यादा मात्रा में दवा देने से उल्टी, नींद, सांस लेने में तकलीफ और दिमाग पर असर जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

    डॉक्टर की सलाह से ही दें दवा

    डॉ. केके चौधरी ने कहा कि दवा हमेशा डॉक्टर की सलाह और निर्धारित मात्रा में ही दी जानी चाहिए। यह जानना जरूरी है कि दवा खाली पेट लेनी है या खाने के बाद, कितनी बार लेनी है और कितने दिन तक लेनी है। उन्होंने कहा कि थोड़ी सी लापरवाही बच्चों की जिंदगी के लिए खतरा बन सकती है।