पद्मश्री छुटनी महतो की जीवन पर बनेगी बायोपिक फिल्म, ये फेमस एक्ट्रेस निभाएंगी रोल
गम्हरिया की सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री छुटनी महतो के जीवन पर तेलुगू भाषा में एक बायोपिक फिल्म बनेगी जिसका हिंदी वर्जन भी रिलीज होगा। फिल्म में अभिनेत्री प्रियदर्शनी कृष्णा छुटनी महतो की भूमिका निभाएंगी। फिल्म का निर्माण औदुम्बरा एंटरटेनमेंट कर रहा है। छुटनी महतो ने डायन प्रथा के खिलाफ लम्बा संघर्ष किया है और सैकड़ों महिलाओं को बचाया है।

संवाद सहयोगी, गम्हरिया। डायन प्रताड़ना जैसी सामाजिक कुप्रथा के खिलाफ वर्षों से संघर्षरत गम्हरिया प्रखंड के बीरबांस निवासी सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री सम्मानित छुटनी महतो के जीवन पर बायोपिक फिल्म बनेगी।
यह फिल्म तेलुगू भाषा में तैयार की जाएगी जिसका हिंदी डब वर्जन भी देशभर में रिलीज होगा। इस फिल्म की शूटिंग झारखंड सहित हैदराबाद में होगी, जिसकी जोर शोर से तैयारी की जा रही है।
उस फिल्म में पद्मश्री छूटनी महतो का किरदार तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री की प्रसिद्ध अभिनेत्री प्रियदर्शनी कृष्णा निभाएगी। फिल्म निर्माण से पहले अभिनेत्री प्रियदर्शनी छुटनी महतो के जीवन को करीब से समझने के लिए उसके घर बीरबांस पहुंचीं और उनके साथ काफी समय बिताया।
इस दौरान प्रियदर्शनी ने बताया कि छुटनी महतो के जीवन की प्रेरणादायक कहानी को पूरे देश को जानना चाहिए। इसलिए इस पर फिल्म बनाने का उन्होंने निर्णय लिया है। बताया गया है कि उस फिल्म का निर्माण औदुम्बरा एंटरटेनमेंट के बैनर तले किया जा रहा है जिसकी स्क्रिप्ट तैयार हो चुकी है और जल्द ही कास्टिंग की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
इस दौरान फिल्म से जुड़े सीएल प्रसाद, मधुकर सिंह, समाजसेवी पूरबी घोष समेत कई अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। इस दौरान फिल्म निर्माता कंपनी औदुम्बरा एंटरटेनमेंट की ओर से पद्मश्री छुटनी महतो को उपहारस्वरूप एक कार भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
बताया गया कि इससे उन्हें सामाजिक कार्यों को करने में सहूलियत होगी। इस मौके पर छुटनी महतो ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके जीवन पर फिल्म बनेगी। उन्होंने कहा कि अब तक लोग हीरो-हीरोइन की फिल्में देखने जाते थे, लेकिन अब मेरे जीवन की कहानी को पूरी दुनिया देखेगी जो मेरे लिए गर्व की बात है।
गौरतलब है कि छूटनी महतो बीरबांस गांव में वर्ष 1995 से ही डायन प्रथा के खिलाफ संघर्ष कर रहीं है और अबतक सैकड़ो पीड़ित महिलाओं को इस अमानवीय कुप्रथा से बचाकर पुनर्वास दिलवा चुकी हैं।
आज भी वह महिलाओं के लिए एक पुनर्वास केंद्र चला रही हैं और समाज को इस कुप्रथा से मुक्त कराने में जुटी हुई हैं। इसके लिए बीते वर्ष प्रधानमंत्री की ओर से पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।
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