जमशेदपुर: एमजीएम मेडिकल कालेज में 50 से अधिक डेड बॉडी बनीं कंकाल, 20 साल से नहीं हुआ शवों का डिस्पोजल
Jamshedpur News महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां 50 से अधिक शव सड़-गल रहे हैं लेकिन उसकी खोज-खबर लेने व ...और पढ़ें

जमशेदपुर, अमित तिवारी: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां 50 से अधिक शव सड़-गल रहे हैं, लेकिन उसकी खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं है।
अब स्थिति यह हो गई है कि इनमें से अधिकांश मृत शरीर कंकाल का रूप ले चुके हैं। इसका खुलासा सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के तहत हुआ है। नियमानुसार शवों का निस्तारण छह माह में कर देना होता है।
दरअसल, एमजीएम कालेज प्रबंधन से सवाल पूछा गया था कि आपके कालेज में हर साल एमबीबीएस छात्रों के लिए कितने मृत शरीर मिलते हैं तो इसका जवाब स्पष्ट न देकर उसके उपलब्धता पर निर्भर होने की बात कही गई।
कालेज प्रबंधन का कहना- 20 साल में मिलीं 48 डेड बाॅडी
कालेज प्रबंधन ने बताया है कि उन्हें बीते 20 साल में कुल 48 मृत शरीर मिले है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार मृत शरीरों की संख्या लगभग 150 के आस-पास है। अब जांच के बाद ही संख्या स्पष्ट हो सकेगी।
ये मृत शरीर अलग-अलग भागों और टुकड़ों में विभाग के डीप फ्रीजर में रखे गए हैं, ताकि इसकी दुर्गंध बाहर नहीं आ सकें।
कालेज के ही एक तृतीय वर्ग के कर्मचारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जब नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की टीम जांच करने आती है तो उन डीप फ्रीजरों को बंद कर रखा जाता है, ताकि उसपर किसी का नजर नहीं जाए। यह गंभीर मामला है, इसकी जांच होनी चाहिए।
एमजीएम में डिस्पोजल की सुविधा नहीं
एमबीबीएस छात्रों के पढ़ाई में मृत शरीर का उपयोग होता है। इस दौरान शरीर के अलग-अलग भागों की जानकारी छात्रों को दी जाती है। इसके बाद उन शरीरों का डिस्पोजल किया जाता है, लेकिन एमजीएम मेडिकल कालेज में उन मृत शरीर के अलग-अलग हिस्सों को बीते 20 साल से वैसे ही रखा गया है।
इनका डिस्पोजल नहीं किया गया है। चूंकि, एमजीएम में डिस्पोजल की सुविधा नहीं है। कालेज प्रबंधन के अनुसार, डिस्पोजल कराने की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ही इसका समाधान हो जाएगा।
खराब पड़ी है इंसीनरेटर
एमजीएम कालेज में इंसीनरेटर मशीन खराब पड़ी हुई है। कहा जा रहा है कि वर्ष 1999 तक मृत शरीर को जमीन में गाड़कर उसका डिस्पोजल किया जाता था।
उसके बाद वर्ष 2000 से मृत शरीरों का डिस्पोजल करने के लिए कालेज में इंसीनरेटर मशीन लगाई गई, लेकिन उसका आकार छोटा हो गया। अब यह कैसे हुआ, यह भी जांच का विषय है।
इस कारण से इंसीनरेटर मशीन तो लगी, लेकिन उनका सही उपयोग नहीं हो सका। फिलहाल यह मशीन खराब पड़ी हुई है।
प्रैक्टिकल के बाद मृत शरीरों का डिस्पोजल नहीं होना गंभीर विषय है। आरटीआई के जवाब में इसका खुलासा हुआ है। कार्रवाई होनी चाहिए। - सदन ठाकुर, आरटीआई कार्यकर्ता
कालेज प्रिंसिपल का यह कहना
एमबीबीएस छात्रों द्वारा मृत शरीर पर प्रैक्टिकल के बाद डिस्पोजल के लिए जिला प्रशासन से स्वीकार प्राप्ति की प्रक्रिया चल रही है। - डा. केएन सिंह, प्रिंसिपल, एमजीएम

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