जमशेदपुर का बहुप्रतीक्षित फ्लाईओवर निर्माण में समस्या, बारिश और तारों की उलझन में फंसा प्रोजेक्ट
जमशेदपुर के मानगो में बन रहे फ्लाईओवर के निर्माण में कई बाधाएं आ रही हैं जिससे इसके पूरा होने में देरी हो सकती है। लगातार बारिश के कारण स्वर्णरेखा नदी का जलस्तर बढ़ने से निर्माण कार्य बाधित है। वन विभाग की जमीन और हाईटेंशन तारों को शिफ्ट करने की अनुमति में देरी हो रही है।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। मानगो में बन रहे शहरवासियों का बहुप्रतीक्षित फ्लाईओवर के निर्माण में पेंच ही पेंच फंस गया है, जिसके कारण निर्धारित समय सीमा में निर्माण कार्य किसी भी कीमत पर पूरा नहीं हो पाएगा। इसका प्रमुख कारण प्राकृतिक आपदा के तौर पर लगातार बारिश का होना है।
लगातार बारिश के कारण स्वर्णरेखा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ा हुआ है, जिसके कारण नदी में निर्माण बाधित है। इसके बाद मानगो न्यू पुरुलिया रोड आजाद नगर की ओर बनने वाले फ्लाईओवर में वन विभाग का जमीन की पेंच है।
चूंकि वन विभाग की ओर लगभग चार मीटर जमीन फ्लाईओवर निर्माण के लिए चाहिए, लेकिन वन विभाग को जमीन देने में आपत्ति है। पहला तो सैकड़ों पुराने पेड़ काटे जाएंगे, दूसरा वन विभाग का सारे कार्यालय, आवास व गेस्ट हाउस का रास्ता एक ही है।
फ्लाईओवर बनने से पूरा रास्ता ही उसके अंदर चला जाएगा। यही कारण है कि वन विभाग जमीन नहीं दे रही है। इसके अलावा हाथी घोड़ा मंदिर सामने स्वर्णरेखा फ्लैट के पास 132 केवी का हाईटेंशन तार को शिफ्टिंग करना है, उसकी अनुमति में विलंब हो रहा है। इसी तरह सड़क के दोनों ओर बिजली विभाग का पोल व ट्रांसफार्मर शिफ्टिंग करना है, कई मंदिर को शिफ्टिंग करना है, पेड़ काटे जाने हैं।
ये सारे ऐसे कार्य हैं, जिसमें जिला प्रशासन हो या संबंधित विभाग यदि जल्द से जल्द यूटिलिटी शिफ्टिंग के कार्यों की अनुमति नहीं देगा तो निश्चय ही पुल सह फ्लाईओवर निर्माण में विलंब होगा।
इस संबंध में निर्माणकर्ता दिनेश चंद्र आर अग्रवाल इंफ्राकोन के प्रतिनिधि से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यूटिलिटी शिफ्टिंग के कार्य में विलंब होने के कारण काम निर्धारित समय पर पूरा होना मुश्किल है।
जानकारी हो कि 252 करोड़ की लागत से बन रहे मानगो फ्लाईओवर सह पुल का निर्माण कार्य फरवरी 2026 में पूरा होना था, लेकिन अब किसी भी कीमत पर पुल का निर्माण संभव ही नहीं है।
इस संबंध में जब पथ निर्माण विभाग के अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से तकनीकी स्वीकृति मिल चुकी है, आगे की कार्रवाई चल रही है।
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