Jharkhand News: जमशेदपुर की लग्जरी बसों में आग लगने का खतरा, दुर्घटनाओं से भी नहीं जागा प्रशासन
जमशेदपुर के मानगो बस स्टैंड से चलने वाली लग्जरी बसों में सुरक्षा उपकरणों की कमी है, जिससे आग लगने की स्थिति में यात्रियों की जान जोखिम में पड़ सकती है। रोजाना 100 से अधिक बसें विभिन्न शहरों के लिए रवाना होती हैं, लेकिन उनमें अग्नि सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी हैं। हाल ही में हुई दुर्घटनाओं ने सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया है। बसों में अग्निशामक यंत्र और आपातकालीन निकास जैसे उपकरण अनिवार्य होने चाहिए।

लक्जरी बसों में आग का खतरा। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। जमशेदपुर के मानगो स्टैंड से रवाना होने वाली लग्जरी बसों में आग लगने की स्थिति में यात्रियों को बचाना बेहद मुश्किल हो सकता है। कारण यह है कि यहां चलने वाली अधिकांश बसों में कोई भी सुरक्षा उपकरण मौजूद नहीं हैं।
मानगो बस स्टैंड से रोजाना 100 से अधिक लग्जरी बसें रांची, पटना, छपरा, कोलकाता, भुवनेश्वर और पुरी जैसे शहरों के लिए रवाना होती हैं। इन बसों में एसी और स्लीपर सीटों की सुविधा तो है, लेकिन अग्नि सुरक्षा के मानक लगभग न के बराबर हैं। एसी बसों में आग लगने का मुख्य कारण अक्सर विद्युत तारों में शार्ट सर्किट या कूलिंग सिस्टम की खराबी बताई जाती है।
कई बार अधिक लोडिंग या रखरखाव की कमी के चलते भी हादसे हो जाते हैं। पिछले तीन दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में तीन बड़ी घटनाएं हुई हैं, जिससे बस संचालक संघ और यात्री दोनों चिंतित हैं।
शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले के चिंटाटेकुर के पास एक लग्जरी बस के पलटने के बाद उसमें आग लग गई, जिसमें दस से अधिक लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। इसके अगले ही दिन दो और हादसे हुए—एक दिल्ली से गोंडा जा रही वातानुकूलित बस में आग लगी, जो पूरी तरह जलकर राख हो गई।
वहीं शिवपुरी जिले के पिछोर से इंदौर जा रही एक यात्री बस भी आग की लपटों में घिर गई। सौभाग्य से इन घटनाओं में समय रहते यात्रियों की जान बचा ली गई। इन लगातार हो रही घटनाओं ने बस मालिकों और प्रशासन दोनों के सामने सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जमशेदपुर की लग्जरी बसों में भी ऐसी कोई घटना घटती है, तो बिना सुरक्षा उपकरणों के यात्रियों को बचाना लगभग असंभव होगा।
बसों में जरूरी सुरक्षा उपकरण व मानक
फायर एक्सटिंग्विशर (अग्निशामक यंत्र): प्रत्येक बस में कम से कम दो अग्निशामक यंत्र अनिवार्य होने चाहिए।
आपातकालीन निकास : यात्रियों के लिए दोनों ओर आपातकालीन दरवाजे या खिड़कियां होनी चाहिए।
फायर अलार्म सिस्टम: आग लगने पर तुरंत चेतावनी देने के लिए सेंसर आधारित अलार्म।
फर्स्ट एड बाक्स: जलने या चोट लगने की स्थिति में प्राथमिक उपचार के लिए आवश्यक दवाइयां।
सुरक्षा प्रशिक्षण: ड्राइवर और स्टाफ को आग से बचाव और निकासी की प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
जल्द ही बस एसोसिएशन के प्रतिनिधि बसों में फायर सेफ्टी के लिए बाडी बिल्डर से मिलेंगे, क्योंकि फायर सेफ्टी नियमों का पालन करना बस निर्माण के लिए अति आवश्यक है। टाटा मोटर्स व माकोपोलो जैसी कंपनियां अपने वाहनों में अनिवार्य रूप से फायर फाइटिंग सिस्टम लगा रही हैं। - रामउदय शर्मा, अध्यक्ष, जमशेदपुर बस आनर्स वेलफेयर एसोसिएशन।

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