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    Coronavirus : बोले उद्यमी आरके अग्रवाल - हम तलाश रहे चीन का विकल्प Jamshedpur News

    By Vikas SrivastavaEdited By:
    Updated: Mon, 13 Apr 2020 09:41 PM (IST)

    सभी कंपनियों को सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अपने कर्मचारियों को वेतन-सुविधा देनी चाहिए। यह तो राष्ट्रीय आपदा है।इसमें कोई भी क्या कर सकता है। ...और पढ़ें

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    Coronavirus : बोले उद्यमी आरके अग्रवाल - हम तलाश रहे चीन का विकल्प Jamshedpur News

    जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। कोरोना वायरस का असर पूरी दुनिया के उद्योग-धंधों पर पड़ा है, इसमें कोई शक नहीं है। इसमें यह बात भी ध्यान रखने योग्य है कि उद्योगों पर इसका असर दो-चार माह नहीं, बल्कि कम से दो-तीन साल तक रह सकता है। वैसे अभी भारत में स्टील समेत सभी बड़ी कंपनियां कुल क्षमता का 30-40 फीसद ही उत्पादन कर रही हैं। 

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    ये बातें आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित हाइटेक ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रबंध निदेशक राजकुमार अग्रवाल ने कहीं। अग्रवाल कहते हैं कि मेरी कंपनी भी 30 फीसद उत्पादन क्षमता पर चल रही है। फिलहाल हम कई तरह के केमिकल और मिनरल के लिए चीन पर निर्भर हैं। मैं भी चीन से इन चीजों को आयात करता हूं। वैसे हम चीन का विकल्प तलाश कर रहे हैं। हालांकि यह इतना आसान भी नहीं होगा। दूसरे देशों में हमें ये केमिकल व मिनरल मिल भी गए तो कीमत ज्यादा चुकानी होगी।

    कई केमिकल व मिनरल्स पर फिलहाल चीन का एकाधिकार

    आरके अग्रवाल कहते हैं कि बहुत सारे केमिकल व मिनरल्स पर फिलहाल चीन की मोनोपोली सी हो गई है, लिहाजा भारत में इसे बनाना या खोजना कठिन लग रहा है। इन सबके बावजूद हम लॉकडाउन को लेकर सरकार के निर्णय के साथ हैं। सरकार ने जो दिशा-निर्देश दिए हैं, उसके मुताबिक अपने कर्मचारियों को वेतन दे रहे हैं। आगे भी ऐसी स्थिति रही तो भी देंगे। अब लॉकडाउन कब हटेगा, पता नहीं। यह तो तय है कि जब भी लॉकडाउन हटेगा, तब तक कंपनियों पर बहुत सारा बोझ अनायास बढ़ जाएगा। इन चुनौतियों से निपटना भी आसान नहीं होगा।

    सरकार से मदद की उम्‍मीद

    हमें सरकार से मदद की उम्मीद है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार ने इंडस्ट्री सेक्टर के लिए जो भी वादे किए हैं, पूरा करेगी। अभी कंपनी में लगभग 450 कर्मचारी हैं। लॉकडाउन की वजह से उन्हें परेशानी ना हो, इसका ख्याल रखा जा रहा है।

    सभी कंपनियों को सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अपने कर्मचारियों को वेतन-सुविधा देनी चाहिए। यह तो राष्ट्रीय आपदा है। इसमें कोई भी क्या कर सकता है। हम तो बस ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि यह संकट किसी तरह टल जाए। सचमुच ऐसी आपदा की कल्पना किसी ने नहीं की थी।