जमशेदपुर में सरकारी जमीन बेंचकर करोड़ों का घोटाला, तत्कालीन एडीसी व सीओ की मिलीभगत आई सामने
जमशेदपुर के कदमा उलियान में करोड़ों की सरकारी जमीन का तत्कालीन अपर उपायुक्त और अंचल अधिकारी ने गलत तरीके से नामांतरण कर दिया। आरटीआई कार्यकर्ता के खुल ...और पढ़ें

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फोटो जागरण)
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। जमशेदपुर के कदमा उलियान में करोड़ों की सरकारी जमीन का तत्कालीन अपर उपायुक्त सुनील कुमार व अंचल अधिकारी महेश्वर महतो ने गलत ढंग से नामांतरण कर म्यूटेशन कर दिया। यह खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता सदन ठाकुर द्वारा मांगे गए जवाब में हुआ है।
इसके बाद यह मामले पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट व झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य नयायाधीश को पत्र लिखकर पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर के तत्कालीन अपर उपायुक्त सुनील कुमार व जमशेदपुर अंचल के तत्कालीन अंचल अधिकारी महेश्वर महतो पर अपराधिक मामला दर्ज कर सेवा मुक्त करने का आदेश देने का अनुरोध किया।
पत्र में कहा गया है कि दोनों पदाधिकारी ने सरकारी जमीन को जमीन माफिया से मिलकर करोड़ों को गलत लगान निर्धारण कर सरकारी जमीन का म्यूटेशन कर जमीन माफिया को सहयोग किया। न्यायालय से लेकर पीएम व सीएम को पत्र लिखने के बाद हरकत में आ गया सरकारी महकमा ने जांच का दिया आदेश।
इसके बाद जमशेदपुर के उपायुक्त ने तत्कालीन अपर उपायुक्त सुनील कुमार व अंचल अधिकारी महेश्वर महतो से स्पष्टीकरण पूछा। जिसका जवाब दोनों अधिकारियों ने दिया। दोनों ही अधिकारी एक दूसरे के खिलाफ जमीन घोटाले का ठीकरा फोड़ रहे।
अपर उपायुक्त सुनील कुमार ने कहा दस्तखत फर्जी
लगान निर्धारण करने की शक्ति भूमि सुधार उप समाहर्ता को प्राप्त है एवं अपरा समाहर्ता के यहां अपील का प्रावधान है। इसलिए सीधे अभिलेख अपरा उपायुक्त को भेजना नियमानुसार नहीं है।
अंचल अधिकारी जमशेदपुर द्वारा कथित अभिलेख संख्या 36-2017-18 लगान निर्धारण के लिए सक्षम प्राधिकार भूमि उप समाहर्ता को नहीं भेजकर सीधे अपर उपायुक्त को अभिलेख भेजा जाना सही नहीं है। अपर उपायुक्त ने कहा है कि म्यूटेशन के लिए दिए गए आदेश वाले पत्र में उनका हस्ताक्षर नहीं है, वह फर्जी है।
अंचल अधिकारी ने कहा अपर उपायुक्त ने मेरे सामने दस्तखत किया
तत्कालीन अंचल अधिकारी महेश्वर महतो ने कहा है कि चूंकि भूमि अनाबाद बिहार सरकार की खाते की भूमि है। वाद संख्या 36, 17-18 के अभिलेख पर हस्ताक्षर तत्कालीन अपर उपायुक्त सुनील कुमार ने मेरे सामने किया था और अभिलेख को हाथोंहाथ दिया था।
जब मेरे सामने ही अपर उपायुक्त ने हस्ताक्षर किया है तो मुझे किसी प्रकार की कोई शंका होने का प्रश्न ही नहीं है। महेश्वर महतो ने कहा कि कुछ दिनों के बाद संध्या छह बजे अपर उपायुक्त ने फोन करके बुलाया। मेरे सामने ही हस्ताक्षर कर मुझे दे दिया और कहा कि मैने अभिलेख में आदेश कर दिया है। अब तुम अविलंब नामांतरण कर दो। इस प्रकार अब अपर उपायुक्त द्वारा यह कहना कि हस्ताक्षर फर्जी है, सरासर झूठ एवं असत्य है।
इस तरह हुआ करोड़ों का जमीन का खुलासा
कदमा के उलियान में स्थित करोड़ों का जमीन का इस तरह हुआ खुलासा। खाता संख्या एक, प्लाट संख्या 1073 कदमा उलियान नया खाता संख्या दो थाना नंबर 1158 के आरएस मौजा कदमा उलियान, नया खाता 1217, प्लाट संख्या 199 एवं 200 रकवा 0.10.60 हेक्टेयर एवं 0.73.60 है, जो भूमि अनावाद बिहार सरकार के नाम पर दर्ज है।
यह जमीन टिस्को को एक जनवरी 1956 को 40 वर्ष के लिए लीज पर दिया गया था। खतियान के अभियुक्त कालम में अवैध दखल श्यामलाल सिंह पिता रघुवीर सिंह दर्ज है।
वर्णित भूमि में से आंशिक भूमि निबंधन केवाला संख्या 2600, दिनांक 25 मई 1993 द्वारा प्लाट संख्या 199-200, रकवा दो कट्ठा, निवंधन केवाला संख्या 2598, दिनांक 25 मई 1993 द्वारा प्लाट संख्या 199 एवं 200, रकबा 1400 वर्गफीट, निबंधन केवाला संख्या 2601, दिनांक 25 मई 1993, निबंधन केवाला संख्या 2599, दिनांक 25 मई 1993 द्वारा प्लाट संख्या 199 रकवा तीन कट्ठा 10 धूर भूमि का क्रय तारकेश्वर सिंह, शांति सिंह, राम अयोध्या सिंह एवं रेणु सिंह द्वारा क्रय अवैध तखलकार श्यामलाल सिंह से किया गया है।
जबकि तत्कालीन अपर उपायुक्त ने कहा है कि 13 जून 2012 को उच्च न्यायालय का सेकेंड अपील नंबर 20-2017 में आदेश पारित नहीं है। अवैध दखलकार श्यामलाल के पक्ष में किसी न्यायालय से टाइटल संबंधी कोई आदेश नामांतरण अभिलेख में संधारित नहीं है।
महेश्वर महतो ने अनावाद झारखंड सरकार के भूमि का अवैध दखलकार के पक्ष में उच्च न्यायालय द्वारा सेकेंड अपील में अंतिम निर्णय प्राप्त होने के पूर्व ही अभिलेख संख्या 36,17-18 के द्वारा लगान निर्धारण के लिए अनुशंसा किया गया जो नियमानुकूल नहीं है।

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