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    जमशेदपुर: सिंचाई परियोजना से किसानों के जीवन में बदलाव

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 07:08 PM (IST)

    जमशेदपुर के किसानों के लिए खुशखबरी! 1400 करोड़ रुपये की सिंचाई परियोजना को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। सांसद महतो के प्रयासों से यह संभव हुआ। इस ...और पढ़ें

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    फाइल फोटो।

    जासं, जमशेदपुर। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत पटमदा और बोड़ाम क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने की बहुप्रतीक्षित मुहिम अब निर्णायक चरण में पहुंच गई है। 1400 करोड़ रुपये की पटमदा-बोड़ाम मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना को तकनीकी स्वीकृति दिलाने के लिए सांसद ब‍िद्युत वरण महतो ने गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और केंद्रीय जल आयोग के सचिव वी.एल. कांता राव से मुलाकात की। 
     
    उन्होंने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अविलंब मंजूरी देने का आग्रह किया। सांसद महतो ने सचिव को बताया कि इस योजना की प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट पांच माह पहले केंद्रीय जल आयोग को भेजी जा चुकी है। 
     
    आयोग की ओर से तीन बार तकनीकी आपत्तियां दर्ज की गई थीं, जिनका विस्तृत जवाब राज्य सरकार दे चुकी है। अब परियोजना पूरी तरह केंद्र की अंतिम स्वीकृति के इंतजार में है। 
     
    सचिव राव ने सांसद को भरोसा दिलाया कि सभी तकनीकी पक्षों की समीक्षा तेज की जाएगी और योजना को शीघ्र आवश्यक स्वीकृति प्रदान की जाएगी। यह मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना पटमदा और बोड़ाम क्षेत्र के लगभग 16,900 हेक्टेयर कृषि भूमि को पानी उपलब्ध कराएगी। 
     
    वर्तमान में यह इलाका पूरी तरह मानसून पर निर्भर है, जिससे किसान साल भर खेती नहीं कर पाते और गर्मी में खेत सूखे पड़ जाते हैं। योजना के तहत स्वर्णरेखा नदी के जल को पाइपलाइन के जरिए ऊंचे पठारी क्षेत्रों तक पहुंचाया जाएगा। 
     
    इसके बाद यहां बहुफसली खेती संभव होगी, जिससे कृषि उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की उम्मीद है। सांसद महतो ने सचिव को बताया कि पटमदा और बोड़ाम क्षेत्र को ‘सब्जी का कटोरा’ कहा जाता है, क्योंकि यहां साल भर बड़े पैमाने पर सब्जी उत्पादन होता रहा है। 
     
    लेकिन पानी की कमी के कारण गर्मी और सूखे के मौसम में किसान मजबूर हो जाते हैं। सिंचाई की सुविधा मिलने पर खेती चौबीसों घंटे और बारह महीने संभव हो सकेगी। 
     
    उन्होंने कहा कि परियोजना का क्रियान्वयन न केवल कृषि समृद्धि का मार्ग खोलेगा, बल्कि रोजगार के अवसर बढ़ने से ग्रामीण इलाकों से हो रहे पलायन में भी भारी कमी आएगी।
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