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    Biomedical कचरे के निस्तारण में लापरवाही पर सख्त हुआ स्वास्थ्य विभाग, तीन सदस्यीय जांच टीम बनी

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 09:52 PM (IST)

    जमशेदपुर में बायोमेडिकल कचरे के निस्तारण में लापरवाही पर स्वास्थ्य विभाग सख्त हो गया है। शिकायतों के बाद सिविल सर्जन ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की ह ...और पढ़ें

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    बायोमेडिकल कचरा।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम जिले में बायोमेडिकल कचरे के निस्तारण में बरती जा रही लापरवाही को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग ने सख्त रुख अपनाया है। लगातार मिल रही शिकायतों और मीडिया में सामने आई रिपोर्टों के बाद सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। 
     
    यह टीम अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के नेतृत्व में जिले में संचालित सभी सरकारी और निजी टेस्टिंग लैब की जांच कर जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। सिविल सर्जन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि जिले की सभी टेस्टिंग लैब के बायोमेडिकल कचरे का निस्तारण झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तय दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाना अनिवार्य है। 
     
    स्वास्थ्य विभाग को शिकायत मिली है कि कुछ लैब इन नियमों की अनदेखी कर मेडिकल कचरे को खुले स्थानों और सार्वजनिक जगहों पर फेंक रही हैं, जो कानूनन अपराध के साथ-साथ जनस्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है। 
     
    गौरतलब है कि 30 नवंबर को दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। रिपोर्ट में साकची रेड क्रॉस के सामने और लाइफ लाइन नर्सिंग होम के पीछे खुले में फेंके गए मेडिकल वेस्ट की स्थिति उजागर की गई थी। 
     
    इसके बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और मामले की जांच का निर्णय लिया गया। खुले में फेंके जा रहे सिरिंज, सैंपल ट्यूब, दवाइयों के अवशेष और अन्य संक्रमित कचरे से न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, बल्कि संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। 
     
    ऐसे कचरे से बच्चों, बुजुर्गों, राहगीरों और सफाईकर्मियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे पूरी तरह अस्वीकार्य और खतरनाक स्थिति बताया है।  
     
    स्वास्थ्य विभाग ने जन सूचना जारी कर सभी सरकारी और निजी टेस्टिंग लैब को अंतिम चेतावनी दी है। निर्देश दिया गया है कि सभी लैब बायोमेडिकल कचरे के सुरक्षित निस्तारण के लिए अधिकृत और मान्यता प्राप्त एजेंसी से जुड़ें। इसके साथ ही कचरे के संग्रहण, परिवहन और निस्तारण की प्रक्रिया नियमों के अनुरूप सुनिश्चित करें। 
     
    सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल ने स्पष्ट किया है कि जांच के दौरान यदि किसी लैब द्वारा नियमों का उल्लंघन पाया गया, तो उसके खिलाफ झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें भारी जुर्माना, लाइसेंस निलंबन या अन्य दंडात्मक कार्रवाई भी शामिल हो सकती है। 
     
    उन्होंने कहा कि आम जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा और स्वच्छ पर्यावरण बनाए रखना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। बायोमेडिकल कचरे के निस्तारण में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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