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    जमशेदपुर के छह बाल मजदूर संबलपुर में मुक्त, Ernakulam Express से आरपीएफ ने किया रेस्क्यू

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 09:53 PM (IST)

    संबलपुर में जमशेदपुर और कोल्हान क्षेत्र के छह नाबालिग बच्चों को बाल मजदूरी से बचाया गया। आरपीएफ संबलपुर ने एर्नाकुलम एक्सप्रेस से इन बच्चों को उतारा, ...और पढ़ें

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    फाइल फोटो।

    टीम जागरण, संबलपुर/जमशेदपुर। जमशेदपुर और कोल्हान क्षेत्र के छह नाबालिग बच्चों को बाल मजदूरी के चंगुल से संबलपुर में मुक्त करा लिया गया। टाटा–एर्नाकुलम एक्सप्रेस (18189) से आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा भेजे जा रहे इन बच्चों को रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ), संबलपुर की टीम ने सतर्कता बरतते हुए ट्रेन से सुरक्षित उतार लिया। 
     
    सभी बच्चों को प्राथमिक पूछताछ के बाद जिला बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया है। आरपीएफ को सूचना मिली थी कि एर्नाकुलम एक्सप्रेस से छह नाबालिग बच्चे संदिग्ध परिस्थितियों में यात्रा कर रहे हैं, जिन्हें नेल्लूर और विजयवाड़ा क्षेत्र में बाल मजदूरी के लिए ले जाया जा रहा है।  
     

     

    फिश फार्मिंग और शिपिंग मिल भेजा जा रहा था  

    बताया गया कि वहां उनसे फिश फार्मिंग और शिपिंग मिलों में काम कराया जाना था। सूचना के आधार पर जब ट्रेन संबलपुर स्टेशन पहुंची, तो आरपीएफ की टीम ने छापेमारी कर तीन बालक और तीन बालिकाओं को ट्रेन से उतार लिया। 
     
    पूछताछ में बच्चों ने बताया कि उन्हें काम दिलाने के नाम पर विजयवाड़ा ले जाया जा रहा था। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका कि उन्हें कौन और किस माध्यम से ले जा रहा था। 
     
     

    बगैर वैध पहचान पत्र के बच्‍चे कर रहे थे सफर  

    बरामद सभी बच्चे नाबालिग हैं और उनके पास न तो कोई वैध पहचान पत्र था और न ही कोई अभिभावक उनके साथ मौजूद था। जांच में सामने आया कि ये बच्चे पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा और जादूगोड़ा तथा पश्चिमी सिंहभूम जिले के रोरो, बड़जामड़ा, अंधारी और खूंटपाली के निवासी हैं। 
     
    आरपीएफ ने प्राथमिक कार्रवाई के बाद सभी बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति को सौंप दिया है, जहां उनके संरक्षण, काउंसलिंग और पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। साथ ही मानव तस्करी या बाल श्रम से जुड़े किसी संगठित गिरोह की भूमिका की आशंका को देखते हुए मामले की गहन जांच शुरू कर दी गई है। 
     

     

    बचपन बचाओ टीम की अहम भूमिका  

    इस पूरे मामले के खुलासे में सामाजिक संगठन ‘बचपन बचाओ टीम’ की अहम भूमिका रही। संस्था के समन्वयक संतोष मिश्रा ने बताया कि उनकी टीम नियमित रूप से ट्रेनों में नजर रखती है। 
     
    संबलपुर स्टेशन पर छह बच्चों को एक साथ यात्रा करते देख संदेह हुआ। पूछताछ के बाद बाल मजदूरी की साजिश का खुलासा हुआ, जिसकी सूचना तुरंत आरपीएफ को दी गई। 
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