Move to Jagran APP

जागरण फिल्म फेस्टिवल के कारण दर्शकों तक पहुंची पंचलैट : प्रेम प्रकाश

पंचलैट फिल्म के निर्देशक डा. प्रेम प्रकाश मोदी से जागरण फिल्म फेस्टिवल में एम. अखलाक की खास बातचीत में कई रोचक किस्से सामने आए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 09:00 AM (IST)
जागरण फिल्म फेस्टिवल के कारण दर्शकों तक पहुंची पंचलैट : प्रेम प्रकाश
जागरण फिल्म फेस्टिवल के कारण दर्शकों तक पहुंची पंचलैट : प्रेम प्रकाश

एम. अखलाक, जमशेदपुर : मूल रूप से दुमका के रहने वाले डा. प्रेम प्रकाश मोदी ¨हदी सिनेमा के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। आंचलिक कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी पंचलाइट पर उन्होंने शानदार फिल्म बनाई है। रविवार को आइलेक्स जमशेदपुर में चल रहे जागरण फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन यह फिल्म दिखाई गई। दर्शकों ने इसे खूब सराहा। फिल्म के दो स्थानीय कलाकार हरि मित्तल और तापस चटर्जी भी इस मौके पर मौजूद थे। इस फिल्म के प्रति दर्शकों का उत्साह देखकर निर्देशक और कलाकार बेहद उत्साहित नजर आए। पेश है फिल्म के निर्देशक डा. प्रेम प्रकाश मोदी से बातचीत- - फिल्म के लिए रेणु जी की इसी कहानी को क्यों चुना?

loksabha election banner

मैंने बचपन में पंचलाइट कहानी पढ़ी थी। उसी समय से दिमाग में यह कहानी उमड़-घुमड़ रही थी। कहानी के दृश्य मेरी आंखों के सामने नाच रहे थे। मैंने तय कर लिया था कि जीवन में जब कभी फिल्म बनाऊंगा तो पंचलाइट पर जरूर बनऊंगा। - पंचलाइट कहानी में क्या खास लगा कि जो दिल को छू गया?

जब भी मैं इस कहानी को पढ़ता हूं, पता नहीं क्यों ऐसा महसूस होता है कि यह मेरी कहानी है। इसमें मेरी जीवन यात्राएं भी छिपी हैं। इसमें कुछ है जो मुझे जोड़ लेता है। मैं इस कहानी को दिल के करीब पाता हूं। - थियेटरों में ऐसी रोचक फिल्में क्यों नहीं लगतीं?

बहुत कम बजट की फिल्म है। मैंने इसे झारखंड के ही एक सुदूर गांव में फिल्माया है। जिस गांव में फिल्म की शूटिंग हो रही थी, तब वहां बिजली नहीं पहुंच पाई थी। जमशेदपुर के दो कलाकारों ने भी फिल्म में बिना पारिश्रमिक मांगे अभिनय किया। हमसब ने काफी लगन व मेहनत से फिल्म बनाई। मुझे दुख है, अच्छी फिल्म होने के बावजूद बाजार नहीं मिला। डिस्ट्रीब्यूटर पूछते हैं- किस भाषा की फिल्म है। मैं कहता हूं ¨हदी। वे कहते हैं-भोजपुरी है क्या? दरअसल, मैंने फिल्म में कोसी अंचल की भाषा को जिंदा रखा है। - ¨हदी साहित्य की ऐसी कहानियों पर फिल्में क्यों नहीं बन रहीं?

काश, भारतीय साहित्य पर फिल्में खूब बनतीं। भारतीय साहित्य में सबकुछ मौजूद है। बावजूद भारतीय फिल्मकार भी विदेशी साहित्य के पीछे भाग रहे हैं, समझ से परे है। ऐसा वे क्यों कर रहे हैं? अब दर्शक ही ऐसी फिल्मों के लिए माहौल बना सकते हैं। - जागरण फिल्म फेस्टिवल के बारे में क्या राय है?

मैं जागरण फिल्म फेस्टिवल का दिल से शुक्रगुजार हूं, जिसकी वजह से पंचलाइट फिल्म आपतक पहुंच पाई। यह देश का सबसे बड़ा फिल्म फेस्टिवल है। उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में यह फिल्म फेस्टिवल 18 से 28 शहरों तक विस्तार पाएगा। यह ऐसा मंच है कि जहां मुझ जैसे कई फिल्म निर्देशकों को फलक मिलता है, उड़ान भरने के लिए। यदि यह फेस्टिवल नहीं होता तो शायद आप मेरी इस फिल्म को नहीं देख पाते। - जमशेदपुर सौ साल पुराना शहर है, इस पर आप फिल्म बनाएंगे?

मैं स्वयं 12 वर्षो तक जमशेदपुर शहर में रह चुका हूं। इसी शहर के बेलडीह चर्च हाई स्कूल से मैंने मैट्रिक पास किया है। यहां बड़ी संख्या में मेरे दोस्त और शुभचिंतक हैं। लाजवाब शहर है। कभी मौका मिला तो इस शहर पर भी फिल्म जरूर बनाऊंगा। कई किस्से हैं इस शहर में। - बिहार के कोसी अंचल की कहानी है। झारखंड में शूटिंग क्यों की?

शौक से फिल्में बनाता हूं। मन से फिल्में बनाता हूं। इसलिए छोटी बजट की फिल्में बनाता हूं। बड़ी फिल्मों के लिए बजट नहीं है। शुक्रिया उन तमाम दोस्तों का जिन्होंने पंचलाइट में भरपूर योगदान दिया। झारखंड में चूंकि कहानी के लायक लोकेशन मिल गए। कम खर्चे में सबकुछ संभव था, सो यहीं के लोकेशन पर फिल्म की शूटिंग हो गई।

-----


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.