विश्व तीरंदाजी की रिकर्व में फिर चूके भारतीय धुरंधर, 15 साल की गाथा हारीं
विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में भारतीय रिकर्व तीरंदाजों को फिर निराशा हाथ लगी। गाथा खड़के जो भारत की आखिरी उम्मीद थीं प्री-क्वार्टर फाइनल में ओलंपिक चैंपियन से हार गईं। दीपिका कुमारी और धीरज बोम्मदेवरा जैसे दिग्गज भी जल्द बाहर हो गए। यह लगातार तीसरी बार है रिकर्व टीम खाली हाथ लौटी है। हालांकि कंपाउंड टीम ने लाज बचाई जहां पुरुष टीम ने पहला स्वर्ण पदक जीता और मिश्रित टीम ने रजत।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में भारत का ओलंपिक अनुशासन (रिकर्व) में पदक जीतने का लंबा इंतजार एक बार फिर बढ़ गया। सियोल में शुक्रवार को 15 साल की युवा तीरंदाज गाथा खड़के के हारते ही इस वर्ग में भारत की आखिरी उम्मीद भी टूट गई।
प्री-क्वार्टर फाइनल के एकतरफा मुकाबले में गाथा को दुनिया की नंबर एक और पेरिस ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता कोरिया की लिम सी-ह्योन ने 6-0 से मात दी। इस हार के साथ ही रिकर्व वर्ग में भारत का अभियान बिना किसी पदक के समाप्त हो गया, जबकि कंपाउंड तीरंदाजों ने एक ऐतिहासिक स्वर्ण सहित दो पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया।
चैंपियन के आगे नहीं चलीं गाथा
अपना सिर्फ दूसरा सीनियर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेल रहीं गाथा इस बड़े मुकाबले के दबाव में दिखीं। घरेलू दर्शकों के सामने खेल रहीं कोरियाई चैंपियन लिम ने पहले ही सेट में तीन परफेक्ट 10 का स्कोर कर गाथा पर पूरी तरह से शिकंजा कस लिया और 30-26 से सेट अपने नाम किया। दूसरे सेट में भी लिम ने अपना दबदबा बनाए रखा और भारतीय किशोरी को कोई मौका नहीं दिया।
गाथा कुछ समझ पातीं, उससे पहले ही कोरियाई तीरंदाज ने आसानी से मैच अपने नाम कर लिया। हालांकि, एकतरफा हार के बावजूद, विश्व चैंपियनशिप में पदार्पण कर रहीं गाथा का प्री-क्वार्टर फाइनल तक का निडर सफर भविष्य के लिए उम्मीदें जगाता है, खासकर एक ऐसे अनुशासन में जहां भारत लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहा है।
दिग्गजों ने भी किया निराश
यह लगातार तीसरा मौका है जब भारतीय रिकर्व तीरंदाज विश्व चैंपियनशिप से खाली हाथ लौटे हैं। भारत ने आखिरी बार 2019 में रिकर्व में पदक जीता था, जब तरूणदीप राय, अतनु दास और प्रवीण जाधव की पुरुष टीम ने रजत पदक हासिल किया था। इस बार टूर्नामेंट में भारत के बड़े और अनुभवी तीरंदाजों का प्रदर्शन भी बेहद निराशाजनक रहा। छह बार विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकीं और चार बार की ओलंपियन दीपिका कुमारी पहले ही दौर में बाहर हो गईं।
उन्हें इंडोनेशिया की अपेक्षाकृत गैर-अनुभवी खिलाड़ी डायनांदा चोइरुनिसा के खिलाफ एक करीबी पांच-सेटर मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह, देश के शीर्ष क्रम के पुरुष रिकर्व तीरंदाज और ओलंपियन धीरज बोम्मदेवरा ने भी निराश किया। क्वालिफिकेशन राउंड में 39वें स्थान पर खिसकने के बाद, वह अपने पहले ही मुकाबले में टोक्यो ओलंपिक के चैंपियन मेटे गाजोज से हारकर बाहर हो गए।
कंपाउंड तीरंदाजों ने बचाई लाज
टूर्नामेंट में भारत की लाज एक बार फिर कंपाउंड तीरंदाजों ने रखी। जहां रिकर्व में निराशा हाथ लगी, वहीं कंपाउंड टीम ने इतिहास रच दिया। ऋषभ यादव, प्रथमेश फुगे और अमन सैनी की तिकड़ी ने पुरुष टीम स्पर्धा में भारत को अब तक का पहला ऐतिहासिक स्वर्ण पदक दिलाया।
इसके अलावा, ऋषभ यादव ने ज्योति सुरेखा वेन्नम के साथ मिलकर मिश्रित टीम स्पर्धा का रजत पदक भी अपने नाम किया और विश्व चैंपियनशिप में भारत को दोहरी सफलता दिलाई।
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