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    Indian Hockey : भारतीय महिला हाकी टीम की कप्तान सविता पूनिया ने जमशेदपुर में कहा, 18 हजार रुपए की किट खरीदने को नहीं थे पैसे, सोचा था कि छूट जाएगी हाकी

    By Uttamnath PathakEdited By:
    Updated: Sat, 27 Aug 2022 11:35 PM (IST)

    भारतीय महिला हाकी टीम की कप्तान सह द ग्रेट वाल आफ इंडिया के नाम से प्रसिद्धि पा चुकी सविता पूनिया ने जमशेदपुर में खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए अपने अनुभव को साझा किया तथा कहा कि आज युवाओं के पास खेल में अपार संभावना है।

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    जेआरडी में प्रेस वार्ता को संबोधित करती भारतीय महिला हाकी टीम की कप्तान सविता पूनिया।

    जासं, जमशेदपुर : भारतीय महिला हाकी टीम की कप्तान सविता पूनिया ने जेआरडी स्पोट्र्स कांप्लेक्स में सर दोराबजी टाटा जयंती पर उपस्थित खिलाड़ियों के साथ अपने अनुभव को साझा किया तथा कहा कि बच्चे जिनकी खेल में रुचि हो तो अभिभावक उन्हें उसी क्षेत्र में आगे बढ़ाए। रोके-टोके नहीं यही उसका करियर बनेगी। पूनिया ने कहा कि उनके पास एक दिन ऐसा था कि वे जब गोलकीपर बन गई, लेकिन किट नहीं थी। इस किट को खरीदने के लिए पिताजी को 18 हजार रुपए की आवश्यकता थी। पिताजी का वेतन 11 हजार था। ऐसे में पापा ने हिम्मत नहीं हारी। कहीं से उधारी कर 18 हजार की किट खरीदी। सविता ने बताया कि हम मध्यमवर्गीय परिवार से आती है। उन्होंने कहा कि मैं आज जहां भी हूं, उसमें मेरे परिवार का योगदान सबसे ज्यादा है, यही सब सोचकर मैंने तय किया कि अब हाकी पर ही फोकस करना है।

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    दादा को मानती है रोल माडल

    ‘द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर भारतीय महिला हाकी टीम की कप्तान सविता पूनिया ने बताया कि कॉमनवेल्थ में गेम्स में पदक जीतना वाकई खुशी का पल है। टोक्यो ओलिंपिक में आस्ट्रेलिया के खिलाफ आठ पेनल्टी कार्नर बचाकर ‘द ग्रेट वॉल’ बनी सविता पूनिया ने बच्चों को मोटिवेट करते हुए कहा कि हर हाल में पाजिटिव रहना जरूरी है। अपने दादा को रोल माडल मानने वालीं सविता ने 2003-04 में खेलना शुरू किया था। उन्होंने कहा कि असली परीक्षा तब शुरू होती है, जब आप आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। उन्होंने आगे बताया कि जब मैंने खेलना शुरू किया, तो मैं डिफेंडर थी। करीब डेढ़ साल तक मैंने डिफेंडर के तौर पर टीम में जगह बनाई। इसके बाद मेरे पहले कोच सुंदर सिंह खरब ने पापा से बोला कि इसकी हाइट अच्छी है, इसे गोलकीपर बना सकते हैं। ये आगे जाकर जरूर इंडिया के लिए खेलेगी। यहीं से मेरे गोलकीपर बनने का सफर शुरू हुआ। इस दाौरान वह खेलने के लिए हरियाणा के सिरसा से दिल्ली बस में सफर करती थी। इसके बाद वह हाकी खेलती थी।

    जब विरोधी टीम के कोच ने अच्छे खेल पर दिया 100 रुपये का इनाम

    पूनिया ने कहा कि दादाजी को मुझ पर बहुत गर्व था। स्टेट लेवल पर खेल रही थी, शाहाबाद से मेरा मैच था। शाहाबाद काफी अच्छी टीम मानी जाती है। हम अक्सर उनसे बड़े अंतर से हारते थे, लेकिन जब मैंने अपना पहला मैच खेला, तो हमने उन्हें कड़ी टक्कर दी। इसके बाद विरोधी टीम के कोच ने मुझे 100 रुपये इनाम में दिए और बोले कि तुम अच्छा खेली।

    2024 ओलिंपिक पर है फोकस

    सविता का चयन 2006 में भारती हाकी टीम में हुई थी। अबतक 225 से अधिक मैच खेल चुकी सविता ने कहा कि उनका मकसद ओलिंपिक में पदक जीतना है। 2024 ओलिंपिक में क्वालिफाइ करने के लिए वह पूरा ध्यान आने वाली एशिया कप पर लगा रही हैं। सविता एशिया कप राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पांच से छह बार बेस्ट गोल कीपर चुनी जा चुकी हैं, वहीं एशियन गेम्स में ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं।