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    NCERT की किताबों में पढ़ाई जाएगी रुगड़ा और करम की महत्ता, शामिल किए जाएंगे 20 प्रतिशत स्थानीय कंटेंट

    By Ch Rao Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Tue, 02 Sep 2025 04:44 PM (IST)

    झारखंड के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 के तहत आगामी शैक्षणिक सत्र से कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के साथ 20 प्रतिशत स्थानीय कंटेंट भी पढ़ाया जाएगा। इस दिशा में झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा कार्य तेजी से किया जा रहा है।

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    स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों में होगा 20 प्रतिशत स्थानीय कंटेंट।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। झारखंड के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 के तहत आगामी शैक्षणिक सत्र से कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के साथ 20 प्रतिशत स्थानीय कंटेंट भी पढ़ाया जाएगा।

    इस दिशा में झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (जेसीईआरटी) द्वारा कार्य तेजी से किया जा रहा है। रांची स्थित कार्यालय में शिक्षकों की विशेष टीम इस पाठ्य सामग्री को तैयार करने में जुटी है।

    अब तक लगभग 70 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके क्षेत्र की संस्कृति, इतिहास, भाषा और पर्यावरण से जोड़ना है, जिससे पाठ्यक्रम अधिक प्रासंगिक और बोधगम्य बन सके।

    साहित्य, हिंदी, अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे विषयों में स्थानीय स्तर के उदाहरण और सामग्री शामिल की जा रही है। इस शैक्षणिक पहल से झारखंड के सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली में एक नई ऊर्जा का संचार होगा।

    छात्रों के सर्वांगीण विकास को नई दिशा मिलेगी। जेसीईआरटी के उप निदेशक प्रदीप चौबे पाठ्यक्रमों की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। कार्य में लगे शिक्षकों को मिशन मोड में योजना को पूरा करने के निर्देश दे रहे हैं।

    स्थानीय भाषा, परंपरा और पर्यावरण का मिलेगा ज्ञान

    साहित्य विषय में स्थानीय भाषा और बोलचाल को विशेष स्थान दिया जा रहा है। हिंदी में स्थानीय बोलियों के शब्दों को ब्रैकेट में शामिल कर उनकी समझ विकसित की जाएगी।

    इसके साथ ही स्थानीय बाल गीतों को भी पाठ्यक्रम में स्थान दिया जा रहा है। विज्ञान विषय में झारखंड की विशिष्ट जैव विविधता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

    इसमें राज्य में पाए जाने वाले औषधीय पौधे जैसे रूगड़ा, करम और अन्य स्थानीय वनस्पतियों को पाठ्य पुस्तकों में जोड़ा जा रहा है। दलमा के जंगलों में पाए जाने वाले विशिष्ट वृक्षों, हाथियों और अन्य जीव-जंतुओं पर भी विशेष जानकारी दी जाएगी।

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    इसके अतिरिक्त झारखंड के जलप्रपातों, जलस्रोतों और भूगोल से जुड़े विषयों को भी छात्रों के अध्ययन का हिस्सा बनाया जा रहा है। इससे छात्र न केवल अपने परिवेश को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे, बल्कि अपने क्षेत्र की परंपराओं और उपलब्धियों पर गर्व भी महसूस करेंगे।