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    रात में अवैध खनिज परिवहन का पर्दाफाश: वन कानूनों के उल्लंघन पर जेएसपीएल की रोइडा लौह अयस्क खदान की अनुमति रद्द

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 07:13 PM (IST)

    ओडिशा में अवैध खनिज परिवहन का मामला सामने आया है। वन कानूनों के उल्लंघन के कारण जेएसपीएल की रोइडा लौह अयस्क खदान की अनुमति रद्द कर दी गई है। अधिकारियों ने अवैध परिवहन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।

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    फाइल फोटाे

    संवाद सूत्र, जागरण, बड़बिल। ओडिशा के क्योंझर जिले में जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) के खिलाफ वन कानूनों के उल्लंघन का गंभीर मामला सामने आया है। वन विभाग ने कंपनी की रोइडा-1 लौह अयस्क खदान की अनुमति रद्द कर दी है। आरोप है कि कंपनी द्वारा रात के समय सिद्धमठ आरक्षित वन क्षेत्र से अवैध रूप से खनिज परिवहन किया जा रहा था, जिसके लिए कोई वैधानिक मंजूरी प्राप्त नहीं की गई थी। वन विभाग ने यह कार्रवाई वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और ओडिशा वन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने के आधार पर की है। विभागीय जांच में स्पष्ट हुआ कि जेएसपीएल द्वारा न केवल बिना अनुमति वन मार्ग का उपयोग किया गया, बल्कि कई अन्य शर्तों का भी अनुपालन नहीं किया गया।

    खनन पट्टा जुलाई 2025 में मिला था :
    जेएसपीएल ने जुलाई 2025 में प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से रोइडा-1 लौह अयस्क ब्लाक का खनन पट्टा प्राप्त किया था। यह खदान पहले मिडईस्ट इंटीग्रेटेड स्टील लिमिटेड (एमआईएसएल) के पास थी। पट्टा हस्तांतरण की मानक प्रक्रिया के तहत, पूर्व पट्टेदार की वैधानिक मंजूरियां और अनुमोदन जेएसपीएल को ट्रांसफर किए गए थे। हालांकि, वन विभाग के अनुसार कंपनी ने खनन शुरू करने से पहले सभी आवश्यक अनुमतियों का पालन नहीं किया। खनिज परिवहन के लिए कंपनी ने सिद्धमठ आरक्षित वन क्षेत्र से होकर गुजरने वाली सड़क का उपयोग शुरू कर दिया, जबकि इसके लिए वन भूमि डायवर्जन की मंजूरी अब तक प्राप्त नहीं की गई थी।

    बिना मंजूरी वन मार्ग का उपयोग जारी :
    वन विभाग की मानें तो यह वही सड़क है जिसका उपयोग पहले एमआईएसएल भी करना चाहता था, लेकिन तय शर्तों का पालन नहीं करने के कारण उसे मंजूरी नहीं दी गई थी। जेएसपीएल ने हाल ही में इस मार्ग के लिए डायवर्जन प्रस्ताव दोबारा दायर किया था, लेकिन अनुमोदन से पहले ही सड़क का उपयोग शुरू कर देना वन कानूनों का सीधा उल्लंघन माना गया। रेंज अधिकारी बड़बिल और डीएफओ क्योंझर की संयुक्त जांच में यह पुष्टि हुई कि कंपनी रात के समय भी ट्रकों से खनिज परिवहन कर रही थी। जांच दल ने मौके पर दो ट्रकों को जब्त किया और वन क्षेत्र में परिवहन के साक्ष्य भी जुटाए।

    जांच में मिला उल्लंघन का सबूत :
    डीएफओ धनराज एचडी ने बताया कि जेएसपीएल की गतिविधियां वन कानूनों का घोर उल्लंघन हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी ने बिना अनुमति के वन मार्ग से खनिज परिवहन किया। यह न केवल वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि पर्यावरणीय मानदंडों के खिलाफ भी है। इस आधार पर, जेएसपीएल के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता प्रमोद पात्रा के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। सिद्धमठ वन क्षेत्र के भीतर मिले वाहनों को जब्त कर लिया गया है।

    कार्य अनुमति रद्द, आगे की कार्रवाई शुरू :
    वन विभाग ने जेएसपीएल की रोइडा खदान की कार्य अनुमति रद्द कर दी है। आदेश में कहा गया है कि कंपनी ने न केवल वन अधिनियम का उल्लंघन किया, बल्कि पहले दी गई चेतावनियों और शर्तों की भी अवहेलना की। विभाग ने इस निर्णय की सूचना प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) नोडल, खान निदेशक और जिला प्रशासन को भेज दी है ताकि आगे की प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई की जा सके।

    कड़ी निगरानी और कार्रवाई की तैयारी :
    वन विभाग ने साफ संकेत दिए हैं कि यह कार्रवाई शुरुआती कदम है और यदि आगे भी उल्लंघन जारी रहा तो कंपनी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। विभाग अब क्षेत्र की ड्रोन सर्वे और सैटेलाइट मानिटरिंग के जरिए भी नजर रखने की तैयारी में है ताकि भविष्य में अवैध खनिज परिवहन पर लगाम लगाई जा सके। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह मामला अब राज्य स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है।

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