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    सीतारामपुर डैम का गाद साफ नहीं हुआ तो बूंद-बूंद पानी को तरसेगा आदित्यपुर Jamshedpur News

    सीतारापुर डैम का गाद यदि साफ नहीं हुआ तो आदित्यपुर प्यासा रह जाएगा। डैम में पांच से छह फीट गाद जमा हो गया है और धीरे-धीरे जल भंडारण क्षमता समाप्त होती जा रही है।

    By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Sat, 06 Jun 2020 01:55 PM (IST)
    सीतारामपुर डैम का गाद साफ नहीं हुआ तो बूंद-बूंद पानी को तरसेगा आदित्यपुर Jamshedpur News

    जमशेदपुर, जासं। सीतारापुर डैम का गाद यदि साफ नहीं हुआ तो आदित्यपुर प्यासा रह जाएगा। डैम में पांच से छह फीट गाद जमा हो गया है और धीरे-धीरे जल भंडारण क्षमता समाप्त होती जा रही है। निर्माण के बाद से अबतक गाद की सफाई नहीं हुई है। वर्ष 2016 में झारखंड लीगल एडवाइजरी व डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन की याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट के आदेश पर डैम के तमाम स्पीलवे गेट की मरम्मत एक करोड़ से हुई थी। यही वजह है कि आदित्यपुर के लोगों का गला तर हो रहा है।

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    सिंचाई विभाग ने 1960 में डैम का निर्माण कराया। उसी समय आदित्यपुर आवासीय कॉलोनी, जमशेदपुर के शास्त्रीनगर कदमा और जुगसलाई में पेयजल आपूर्ति के लिए पीएचईडी को सौंप दिया। जब यह बना था तब आदित्यपुर की आबादी 10 हजार से भी कम थी। आज आबादी ढाई लाख से अधिक है। ऊपर से 1972 में आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के बाद से यहां के तमाम उद्योगों को भी पानी की जरूरत पड़ने लगी। शुरुआत में इस डैम से प्रति दिन 50 लाख गैलन पानी की आपूर्ति होती थी। जब आदित्यपुर की आबादी 10 हजार से कम थी। अब भी उतने ही पानी की आपूर्ति हो रही है, जबकि आबादी ढाई लाख से अधिक है।

    उद्योगों को भी पानी की जरूरत

    उद्योगों को भी पानी की जरूरत है। उस पर तुर्रा यह कि गाद से जल भंडारण क्षमता कम होती जा रही है। डैम का कुल कैचमेंट एरिया 19.2 वर्ग किमी है। पर, हैरत की बात ये है कि गाद के कारण पूरे कैचमेंट एरिया में ठीक से जल भंडारण हो ही नहीं पा रहा है। इस समय आदित्यपुर में 50 हजार मकान हैं। पानी का कनेक्शन मात्र 7.5 हजार घरों में ही है। बाकी के घर निजी बोरिंग व दूसरे विकल्पों पर निर्भर हैं। अपने उद्देश्य, यानी आदित्यपुर की प्यास बुझाने का भार यदि सीतारामपुर डैम पर इसी वक्त डाल दिया जाए तो बड़ी जोर की आवाज आएगी टें..।

    जल संकट से जूझता रहा है आदित्यपुर क्षेत्र

    पिछले कई सालों में आदित्यपुर जल संकट से जूझता रहा है। सीतारामपुर डैम का जलस्तर घटकर सात फीट से भी नीचे तक गया है। टैंकरों के जरिए लोगों के हलक तर करने की नाकाम कोशिशें भी होती रही हैं। पर, सबसे बड़ी जरूरत डैम के गाद की सफाई की ओर किसी का ध्यान नहीं है। लंबे समय से जीर्णोद्धार न होने के कारण मानसून के भरोसे पर टिका ये डैम कभी भी बूंद-बूंद को तरसा सकता है।

    फिर हाईकोर्ट की शरण में जाने की तैयारी

    हर साल पानी के लिए मचने वाले हाहाकार और डैम की दयनीय स्थिति से चिंतित झारखंड लीगल एडवाइजरी एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन के ओमप्रकाश जो अधिवक्ता भी हैं, एक बार फिर हाईकोर्ट की शरण में जाने के लिए तैयार हैं। क्योंकि, इस संगठन की ही याचिका पर डैम के स्पीलवे गेट की मरम्मत हो चुकी है। क्या पता इस बार की याचिका पर डैम का पूरा कायाकल्प ही हो जाए।

    ये कहते उपायुक्‍त

    सीतारामपुर डैम में गाद की समस्या के बारे में मुझे पता है। डैम की सफाई की योजना बनाकर प्रस्ताव जल्द राज्य सरकार को भेजा जाएगा। इसका जीर्णोद्धार कराया जाएगा।

    - ए डोडे, उपायुक्त, सरायकेला-खरसावां