RPF ने टाटानगर पर Human trafficking का किया भंडाफोड़, 13 बच्चों को तमिलनाडु भेजने की कोशिश नाकाम
टाटानगर स्टेशन पर आरपीएफ ने मानव तस्करी का पर्दाफाश करते हुए 13 बच्चों को बचाया। तस्कर इन बच्चों को तमिलनाडु ले जाने की फिराक में थे। आरपीएफ ने तत्परता दिखाते हुए बच्चों को मुक्त कराया और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। मामले की जांच जारी है।

टाटानगर स्टेशन पर पुुलिस हिरासत में मानव तस्करी के आरोपित।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। रविवार सुबह टाटानगर रेलवे स्टेशन से 13 आदिवासी नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया गया। इन्हें तमिलनाडु के सेलेम स्थित एक धागा निर्माण फैक्ट्री में काम करने के लिए भेजा जा रहा था।
यह कार्रवाई चक्रधरपुर मंडल के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त पी शंकर कुट्टी के निर्देश पर आरपीएफ उड़नदस्ता दल ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) के तहत की। आरपीएफ की टीम को सुबह लगभग 3 बजे दो संदिग्ध व्यक्तियों के साथ बच्चों को देख कर शक हुआ।
पूछताछ करने पर पूरा मामला सामने आया, जिसमें पता चला कि ये सभी बच्चे पश्चिम सिंहभूम जिले के हाट गम्हरिया प्रखंड के आमाडीहा गांव के रहने वाले हैं। बच्चों की उम्र 14 से 17 वर्ष के बीच है, और इनमें 12 लड़कियां तथा एक लड़का शामिल हैं।
ये सभी बच्चे गरीब आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। आरपीएफ टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बच्चों को रेस्क्यू कर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) के हवाले कर दिया।
मामले में मानव तस्करी के आरोप में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। सुनील चातोम्बा और जाम्बिरा चातोम्बा, जो सेलेम स्थित एक धागा फैक्ट्री में काम करते थे।
दोनों तस्कर सभी बच्चों को टाटा-एर्नाकुलम एक्सप्रेस से तमिलनाडु के सेलेम पहुंचाने जा रहे थे, लेकिन आरपीएफ की सतर्कता से उनकी योजना नाकाम हो गई।
इस अभियान में आरपीएफ उड़नदस्ता दल के नेतृत्वकर्ता एएसआई बलबीर प्रसाद, प्रधान आरक्षी महेंद्र प्रताप यादव, प्रधान आरक्षी सरोज कुमार, प्रधान आरक्षी रामजी कुमार और आरक्षी रवि कुमार शामिल थे। गिरफ्तार तस्करों को अग्रिम कानूनी कार्रवाई के लिए टाटानगर रेल थाना के हवाले कर दिया गया है।
इस अभियान में आरपीएफ उड़नदस्ता दल के नेतृत्वकर्ता एएसआई बलबीर प्रसाद, प्रधान आरक्षी महेंद्र प्रताप यादव, प्रधान आरक्षी सरोज कुमार, प्रधान आरक्षी रामजी कुमार और आरक्षी रवि कुमार शामिल थे। गिरफ्तार तस्करों को अग्रिम कानूनी कार्रवाई के लिए टाटानगर रेल थाना के हवाले कर दिया गया है।
क्या कहते हैं परिजन?
इन बच्चों के परिजनों का कहना है कि जीवन यापन की कठिनाइयों के कारण उन्होंने बच्चों को अच्छे भविष्य के नाम पर तस्करों के हाथों में सौंप दिया। हालांकि, अब उन्हें इस बात का पछतावा है कि किस तरह अपने बच्चों को उन्होंने अवैध कामों में फंसा दिया।
आरपीएफ की उड़नदस्ता टीम अब भी लगातार मानव तस्करी के खिलाफ अभियान चला रही है। चक्रधरपुर मंडल में पिछले कुछ महीनों में 26 नाबालिग बच्चों को बचाया गया है।
आरपीएफ की उड़नदस्ता टीम अब भी लगातार मानव तस्करी के खिलाफ अभियान चला रही है। चक्रधरपुर मंडल में पिछले कुछ महीनों में 26 नाबालिग बच्चों को बचाया गया है।
जानें टाटानगर स्टेशन पर कब कब धराए मानव तस्कर
जुलाई 2021: टाटानगर स्टेशन से 8 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया गया था।
मार्च 2022: एक पांच बच्चों के साथ एक मानव तस्कर को पकड़ा गया था।
अगस्त 2022: टाटानगर स्टेशन से 10 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया गया था।
जनवरी 2023: टाटानगर स्टेशन पर 7 बच्चों को रेस्क्यू किया गया, जिन्हें उप्र भेजने की योजना थी।
मार्च 2022: एक पांच बच्चों के साथ एक मानव तस्कर को पकड़ा गया था।
अगस्त 2022: टाटानगर स्टेशन से 10 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया गया था।
जनवरी 2023: टाटानगर स्टेशन पर 7 बच्चों को रेस्क्यू किया गया, जिन्हें उप्र भेजने की योजना थी।
केस-1: इस्पात एक्सप्रेस में 6 बच्चे तस्करों के साथ
तारीख: जुलाई 2025
घटना: टाटानगर स्टेशन से इस्पात एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रा कर रहे तीन मानव तस्करों को पकड़ा गया, जो अपने साथ छह नाबालिग बच्चों को लेकर यात्रा कर रहे थे। पूछताछ में पता चला कि तस्कर इन बच्चों को हावड़ा से मुर्शिदाबाद ले जा रहे थे, जहां उन्हें चूड़ी फैक्ट्री में काम पर लगाया जाना था। इस मामले में आरपीएफ की टीम ने तस्करों को गिरफ्तार कर बच्चों को सुरक्षित किया।
घटना: टाटानगर स्टेशन से इस्पात एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रा कर रहे तीन मानव तस्करों को पकड़ा गया, जो अपने साथ छह नाबालिग बच्चों को लेकर यात्रा कर रहे थे। पूछताछ में पता चला कि तस्कर इन बच्चों को हावड़ा से मुर्शिदाबाद ले जा रहे थे, जहां उन्हें चूड़ी फैक्ट्री में काम पर लगाया जाना था। इस मामले में आरपीएफ की टीम ने तस्करों को गिरफ्तार कर बच्चों को सुरक्षित किया।
केस-2: पुणे ले जाने की योजना
तारीख: जुलाई 2024
घटना: एक मानव तस्कर को टाटानगर स्टेशन से गिरफ्तार किया गया, जो अपने साथ छह नाबालिग बच्चों को लेकर पहुंचा था। जांच में पता चला कि वह बच्चों को महाराष्ट्र के पुणे ले जा रहा था, जहां उन्हें केले के खेतों में काम करने के लिए भेजा जा रहा था। यह मामला भी आदिवासी बच्चों के परिवारों से जुड़ा था, जिन्होंने आर्थिक कारणों से अपने बच्चों को तस्करों के हवाले किया था।

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