एस्ट्रोटर्फ से पिछड़ी थी भारतीय हॉकी : AK Dhyanchand; आज भारत चार क्रिकेट टीम बनाने की क्षमता रखता है : Kirmani
एके ध्यानचंद ने एस्ट्रोटर्फ को भारतीय हॉकी के पतन का कारण बताया, जबकि किरमानी ने आज भारत की चार क्रिकेट टीमें बनाने की क्षमता पर जोर दिया। दोनों खेल द ...और पढ़ें

गुरुवार को कीनन स्टेडियम में देश के महान क्रिकेटर सैयद किरमानी, पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी अशोक कुमार ध्यानचंद व रेल डीजी अनिल पालटा।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। खेल नगरी जमशेदपुर गुरुवार को हॉकी और क्रिकेट के दो महान हस्तियों की मौजूदगी से गौरवान्वित हुईं, जब हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के पुत्र एवं पूर्व भारतीय हाकी खिलाड़ी अशोक कुमार ध्यानचंद और 1983 विश्व कप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य सैयद किरमानी बिष्टुपुर स्थित कीनन स्टेडियम पहुंचे। दोनों दिग्गजों ने अपने-अपने खेलों के अनुभव साझा करते हुए भारतीय खेलों के बदलते स्वरूप पर विस्तार से चर्चा की।
एस्ट्रोटर्फ ने भारतीय हॉकी को किया था पीछे
पहली बार जमशेदपुर पहुंचे अशोक कुमार ध्यानचंद ने कहा कि उनके दौर में भारत ने ओलंपिक में आठ स्वर्ण सहित कुल 13 पदक जीते थे, वह भी हरी घास के मैदान पर। उन्होंने कहा कि वर्ष 1980 के बाद एस्ट्रोटर्फ आने से भारतीय हॉकी पीछे चली गई, क्योंकि हम इस बदलाव के लिए समय पर तैयार नहीं हो सके।
हालांकि अब स्थिति में सुधार हो रहा है और भारतीय हाकी फिर से पटरी पर लौट आई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम स्वर्ण पदक का सूखा जरूर समाप्त करेगी।
हॉकी इंडिया लीग पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि खेल में पैसा आना अच्छी बात है, लेकिन खिलाड़ी और खेल की आत्मा को बचाए रखना ज्यादा जरूरी है। पहले खिलाड़ियों को सम्मान मिलता था और सरकार की ओर से सहायता दी जाती थी, अब हाकी इंडिया खिलाड़ियों को सीधे आर्थिक सहयोग दे रही है।
खिलाड़ियों का सम्मान आज भी कायम है
अशोक कुमार ने कहा कि विदेशों में भारतीय हॉकी खिलाड़ियों का सम्मान आज भी कायम है। उन्होंने भावुक होकर बताया कि उनके पिता मेजर ध्यानचंद द्वारा दी गई टाई को विदेशी खिलाड़ी गर्व से पहनकर आते थे, जो भारतीय हाकी की प्रतिष्ठा का प्रतीक था।
झारखंड में हॉकी की संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि यहां के खिलाड़ी बेहद प्रतिभाशाली हैं, उन्हें सिर्फ बेहतर प्रशिक्षण और अवसर की जरूरत है। इसके लिए झारखंड सरकार को ओडिशा मॉडल की तरह स्कूल स्तर से हाकी को बढ़ावा देना चाहिए।
रांची में हॉकी इंडिया एसोसिएशन से मिलेंगे
एके ध्यानचंद ने बताया कि शुक्रवार को वे रांची जाकर हॉकी इंडिया एसोसिएशन के महासचिव भोलानाथ सिंह से मुलाकात करेंगे और राज्य में हाकी के विकास को लेकर चर्चा करेंगे।
कीनन स्टेडियम में अपने वनडे करियर की शुरुआत करने वाले पूर्व भारतीय विकेटकीपर सैयद किरमानी ने भी इस अवसर पर अपनी यादें साझा कीं। उन्होंने कहा कि उनके जमाने में न कोच होता था, न फिजिकल ट्रेनर और न ही कोई विशेष सुविधाएं।
कीनन स्टेडियम में अपने वनडे करियर की शुरुआत करने वाले पूर्व भारतीय विकेटकीपर सैयद किरमानी ने भी इस अवसर पर अपनी यादें साझा कीं। उन्होंने कहा कि उनके जमाने में न कोच होता था, न फिजिकल ट्रेनर और न ही कोई विशेष सुविधाएं।
विश्व की सबसे बेहतरीन टीम है भारत
खिलाड़ी खुद ही सब कुछ संभालते थे। आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है और भारत के पास चार मजबूत क्रिकेट टीमें बनाने की क्षमता है। यह विश्व की नबर वन टीम है। इसके पास काफी माद्दा है।
1983 विश्व कप का जिक्र करते हुए किरमानी ने कहा कि कपिल देव की ऐतिहासिक 175 रन की पारी को वह मैदान से देखने वाले एकमात्र खिलाड़ी थे। उन्होंने स्वीकार किया कि उस मैच में उनका व्यक्तिगत योगदान भले ही 26 रन का रहा हो, लेकिन टीम भावना ने भारत को विश्व विजेता बनाया।
1983 विश्व कप का जिक्र करते हुए किरमानी ने कहा कि कपिल देव की ऐतिहासिक 175 रन की पारी को वह मैदान से देखने वाले एकमात्र खिलाड़ी थे। उन्होंने स्वीकार किया कि उस मैच में उनका व्यक्तिगत योगदान भले ही 26 रन का रहा हो, लेकिन टीम भावना ने भारत को विश्व विजेता बनाया।
आज क्रिकेट के कई फॉर्मेट हैं भारत में
किरमानी ने कहा कि आज क्रिकेट के कई फॉर्मेट हैं और हर फॉर्मेट में दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ रही है। प्रायोजक आ रहे हैं और तकनीक आधारित क्रिकेट ने खेल को नई दिशा दी है।
आईपीएल ने देश को कई प्रतिभाशाली क्रिकेटर दिए हैं, जिन्हें शुरुआती दौर से ही अच्छा पैसा और मंच मिल रहा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि केवल पैसे के लिए बच्चों को खेल में झोंकना गलत सोच है।
खेल पर फोकस और उसके सम्मान को बनाए रखना जरूरी है, तभी क्रिकेट की गरिमा बनी रहेगी। जमशेदपुर में इन दोनों दिग्गजों की मौजूदगी ने खेल प्रेमियों को प्रेरणा देने के साथ-साथ भारतीय खेलों के गौरवशाली अतीत और उज्ज्वल भविष्य की झलक भी दिखाई।

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