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History of Litti Chokha : चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर झांसी की रानी तक थे लिट्टी-चोखा के दीवाने

History of Litti Chokha झारखंड व बिहार का पसंदीदा लिट्टी चोखा को भला कौन भूल सकता है। पीएम मोदी से लेकर आमीर खान तक इसके स्वाद के कायल हैं। पर आपको पता है चाणक्य से लेकर रानी लक्ष्मीबाई भी इसके दीवाने थे। जानिए लिट्टी चोखा का इतिहास...

By Jitendra SinghEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 08:45 AM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 04:55 PM (IST)
History of Litti Chokha : चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर झांसी की रानी तक थे लिट्टी-चोखा के दीवाने
History of Litti Chokha : चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर झांसी की रानी तक थे लिट्टी-चोखा के दीवाने

जमशेदपुर : झारखंड व बिहार की विश्व प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी चोखा है। इसके कायल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फिल्म स्टार आमिर खान भी हैं, जो लिट्टी चोखा का स्वाद चखने से खुद को रेाक नहीं पाए। आज हम आपको बताते हैं, लिट्टी चोखे का इतिहास। लिट्टी एक आटे का गोला होता है, जिसके अंदर सत्तू का मसाला भी भरा जाता है। इसके बाद इसे जलते हुए अलाव में सेंका जाता है। अगर चोखे की बात करें तो चोखा आग पर सेंके गए आलू, बैगन, टमाटर से बनाया जाता है।

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लिट्टी चोखा सबसे आसानी से बनने वाले व्यंजनों में से एक है। यह बनाने में आसान होता है। झारखंड के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में बारिश होने के बाद अक्सर लोगों के घरों में लिट्टी चोखा बनाए जाते हैं। इस डिश को महिलाओं की अपेक्षा ज्यादातर पुरुष बनाते हैं।

जानिए लिट्टी चोखा का इतिहास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिल्म स्टार आमिर खान सहित कई बड़ी हस्तियां इसका स्वाद चखने से खुद को रोक नहीं पाई है। तो आज आईइए जानते हैं लिट्टी चोखे का इतिहास क्या है। लिट्टी चोखे का इतिहास मगध काल से जुड़ा हुआ है।

चंद्रगुप्त मौर्य भी लिट्टी-चोखा के शौकीन थे

मगध शासनकाल के दौरान लिट्टी चोखा प्रचलन में आया। चंद्रगुप्त मौर्य मगध के राजा थे, जिनकी राजधानी पाटलिपुत्र वर्तमान में पटना है। लेकिन उनका साम्राज्य अफगानिस्तान तक फैला था। इतिहासकारों के मुताबिक चंद्रगुप्त मौर्य के सैनिक युद्ध के दौरान अपने साथ लिट्टी चोखा रखते थे। 18वीं शताब्दी की कई किताबों के अनुसार लंबी दूरी तय करने वाले मुसाफिरों को मुख्य भोजन लिट्टी चोखा था।

मेगस्थनीज ने पाटलिपुत्र की प्रशंसा की

302 ईसापूर्व में ग्रीक यात्री मेगस्थनीज भारत आया था। वह मगध साम्राज्य की भव्यता को देखकर हैरान हो गया। उसने अपनी किताब में लिखा कि पाटलिपुत्र में 64 गेट, 570 टावर और ढेर सारे बाग-बगीचे हैं। यह राज्य महलों और मंदिरों से भरा हुआ है। मेगस्थनीज ने आगे लिखा कि मैने पूरब के एक भव्य शहर को देखा है। मैने पर्सियन महलों को भी देखा है, लेकिन यह शहर दुनिया के सबसे बड़े और खूबसूरत शहरों में से एक हैं।

मुगलकाल में लिट्टी चोखा

मुगलकाल में लिट्टी चोखा के प्रमाण मिलते हैं, लेकिन इस दौरान इसे खाने का तौर-तरीका बदल गया। मुगल काल में मांसाहारी खाने का प्रचलन ज्यादा था। इसलिए लिट्टी को शोरबा और पाया के साथ खाया जाने लगा। अंग्रेजों के समय लिट्टी को करी के साथ खाया जाने लगा। वक्त के साथ लिट्टी चोखा के साथ कई तरह के नए प्रयोग किए गए।

लिट्टी चोखा खाकर आजादी की लड़ाई लड़ी गई

लिट्टी चोखा के फेमस होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान स्वतंत्रता सेनानी अपने साथ लिट्टी चोखा लेकर चलते थे। इस व्यंजन की खास बात यह है कि यह जल्दी खराब नहीं होता है। इसके अलावा इसे बनाना काफी आसान होता है और यह काफी हेल्दी होता है।

झांसी की रानी का भी था पसंदीदा व्यंजन

1857 के विद्रोह के दौरान तात्या टोपे और रानी लक्ष्मी बाई के सैनिक बाटी या लिट्टी को पसंद करते थे। क्योंकि इसके लिए ज्यादा सामान की जरूरत नहीं थी और इसे पकाना आसान था। आज लिट्टी चोखा की प्रसिद्धि का आलम यह है कि जो भी बिहार जाता है वह खुद को लिट्टी चोखा खाने से नहीं रोक पाता है।


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