वर्ष प्रतिपदा के स्वागत में हिदू उत्सव समिति ने जलाए 1101 दीपक
युवाओं में जागरूकता के लिए पूरे महानगर में 51 स्थानों पर छोटे छोटे कार्यक्रम तय किए गए हैं।

जासं, जमशेदपुर : वर्ष प्रतिपदा का स्वागत करने के लिए सोमवार को हिदू उत्सव समिति ने कदमा स्थित गौरी शंकर मंदिर के प्रांगण में 1101 दीपक जलाकर दीपोत्सव मनाया। इस कार्यक्रम में कदमा नगर के सदस्य धरन सिंह व सुमित कुमार के नेतृत्व में लड्डू वितरण कर नववर्ष की बधाई दी गई। इस मौके पर समिति के संरक्षक शंकर रेड्डी, मुन्ना सिंह, समिति के अध्यक्ष अधिवक्ता रविप्रकाश साथ ही भारतीय जनता पार्टी के कुणाल षाड़ंगी ,धर्मेंद्र प्रसाद, चितरंजन वर्मा, सुखदेव सिंह, राणा प्रताप सिंह, सोनू ठाकुर, अभिमन्यु प्रताप, अमित बरुआ, सुमित कुमार, शंकर मुखी, मनप्रीत सिंह सरदार सहित अन्य उपस्थित थे।
कोरोना को देखते हिदू उत्सव समिति ने यात्रा नहीं निकालने का निर्णय लिया था। इसी क्रम में हिदू नववर्ष का स्वागत करने के लिए व सनातन संस्कृति के प्रति युवाओं में जागरूकता के लिए पूरे महानगर में 51 स्थानों पर छोटे छोटे कार्यक्रम तय किए गए हैं। समिति द्वारा पूरे शहर को भगवा झंडों से पाट दिया गया है। हर चौक-चौराहे व पुल को भगवा झंडों से सजाया गया है।
आज से वासंतिक नवरात्र , कलश स्थापना के साथ शुरू होगी मां दुर्गा की स्तुति :
वर्ष में मुख्यत: दो नवरात्र होते हैं, जिसमें पहला वासंतिक नवरात्र और दूसरा शारदीय नवरात्र कहलाता है। चैत्र शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि पर्यंत काल को वासंतिक नवरात्र कहते हैं। वासंतिक नवरात्र के साथ ही नए चान्द्र संवत्सर अर्थात भारतीय विक्रम संवत का भी प्रारंभ होता है। धर्मशास्त्रीय मान्यताओं से नवरात्र का पवित्र काल पूजा पाठ के साथ धार्मिक अनुष्ठानों एवं तंत्र-मंत्र व यंत्रादि साधन के लिये पूर्णत: उपयुक्त व सिद्धि प्रद माना गया है।
जगत जननी माता भगवती की कृपा प्राप्ति हेतु भक्त व साधक नवरात्र की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापन कर नवरात्र पर्यंत माता की आराधना के क्रम में विधिवत पूजन करके श्रीदुर्गा सप्तशती का नित्य पाठ करते हैं। भगवान श्रीराम के भक्तगण इस सिद्धिप्रद पुण्यकाल में श्रीरामचरित मानस का विधिवत नवाह्न पाठ कर श्रीरामजी के साथ रामभक्त हनुमानजी की भक्ति कर मन इच्छित फल हेतु प्रयासरत होते हैं। भक्ति, श्रद्धा, समर्पण व पवित्र मन के साथ की गई आराधना से सुख समृद्धि के साथ अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है, ऐसी धर्मशास्त्रीय मान्यता है।
नवरात्र काल में भक्तगण नवरात्र व्रत भी रखते हैं। वासंतिक नवरात्र व नव संवत्सर-2078 मंगलवार 13 अप्रैल से प्रारंभ हो रहा है। इस नवरात्र में किसी भी तिथि की हानि नहीं है। यह नवरात्र पूरे नौ दिनों का है। प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल को सोमवार को प्रात: 6:59 बजे से लगकर मंगलवार 13 अप्रैल को दिन में 8:45 बजे तक रहेगी। आज मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र में कलश स्थापन किया जाएगा। कलश स्थापन हेतु उत्तम समय प्रतिपदा तिथि में सूर्योदय के उपरांत प्रात: 5. 45 बजे से पूर्वाह्न 8.45 बजे तक है। अभिजित मुहूर्त दिवा 11. 35 बजे से दिवा 12. 23 बजे तक है। नवरात्र काल में ही दिनांक 14 अप्रैल बुधवार मेष संक्रांति अर्थात सत्तू संक्रांति सतुआन का पर्व भी मनाया जाएगा। मेष संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। नवरात्र काल में ही भगवान भास्कर की आराधना हेतु चैती छठ भी किया जाता है।
इस नवरात्र की शेष तिथियां निम्नवत रहेंगी :
बुधवार 14 अप्रैल को नवरात्र का दूसरा दिन द्वितीया तिथि दिवा 10. 46 बजे तक उपरांत तृतीया तिथि लगेगी। गुरुवार 15 अप्रैल को नवरात्र का तीसरा दिन तृतीया तिथि दिवा 12. 52 बजे तक उपरांत चतुर्थी तिथि लगेगी। शुक्रवार 16 अप्रैल को नवरात्र का चौथा दिन, चतुर्थी तिथि दिवा 2. 49 बजे तक उपरांत पंचमी तिथि लगेगी। इसी दिन चैती छठ व्रत हेतु नहाय खाय अर्थात लौकी-भात ग्रहण किया जाएगा। शनिवार 17 अप्रैल को नवरात्र का पांचवां दिन, पंचमी तिथि दिवा 4.32 बजे तक उपरांत षष्ठी तिथि लगेगी। सायं काल में छठ व्रतधारी खरना कर प्रसाद ग्रहण करेंगे। रविवार 18 अप्रैल को नवरात्र का छठा दिन, षष्ठी तिथि सायं 5.52 बजे तक उपरांत सप्तमी तिथि। इसी दिन छठ व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य देव को प्रथम अर्घ्य दान करेंगे। सोमवार 19 अप्रैल को नवरात्र का सातवां दिन, सप्तमी तिथि संध्या 6.45 बजे तक उपरांत अष्टमी तिथि। सोमवार 19 अप्रैल को ही अरुणोदय काल में भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य दान करके सूर्योदय उपरांत छठ व्रत का पारण किया जाएगा। मंगलवार 20 अप्रैल को नवरात्र का आठवां दिन अष्टमी तिथि रात्रि 7:07 बजे तक उपरांत नवमी तिथि लगेगी। इस प्रकार महाष्टमी व्रत मंगलवार 20 अप्रैल को किया जाएगा। बुधवार 21 अप्रैल को नवरात्र का नवां दिन, नवमी तिथि रात्रि 6.57 बजे तक उपरांत दशमी तिथि लगेगी। इस प्रकार बुधवार 21 अप्रैल को महानवमी व्रत, दुर्गानवमी व श्रीरामनवमी व्रत, श्रीराम जन्मोत्सव, महाबीरी ध्वजा पूजन, दुर्गा सप्तशती या श्रीरामचरित मानस का नवम पाठ करके हवन व पूर्णाहुति का कार्यक्रम किया जाएगा। भगवान श्रीराम का जन्म नवमी तिथि के कर्क लग्न में अपराह्न काल में हुआ था। इस बार बुधवार नवमी तिथि को कर्क लग्न का संयोग दिवा 11.02 बजे से दिवा 1.20 बजे तक है। नवरात्र व्रत का पारण नवमी तिथि में बुधवार को करना शास्त्रोचित है। अन्य मतानुसार नवरात्र पारण गुरुवार को प्रात: काल भी किया जा सकता है। श्रीरामनवमी व्रत का पारण गुरुवार 22 अप्रैल को सूर्योदय के उपरांत दशमी तिथि में करना श्रेयस्कर रहेगा। यह नवरात्र पूरे नौ दिनों का है। नवरात्र पूजन व श्रद्धा से जगत जननी मां भगवती की कृपा समस्त ब्रह्माण्ड में व्याप्त हो। नवरात्र विश्व व सभी प्राणियों के लिए कल्याणकारी रहे।
-पं. रमा शंकर तिवारी, ज्योतिषाचार्य
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