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अब डोनर के शरीर से सीधे निकलेगा प्लेटलेट्स, यह मशीन करेगी यह कमाल

सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) विधि से अब एक ही डोनर से मरीज की जरूरत के अनुसार प्लेटलेट्स निकालना संभव होगा। पहले इसके लिए तीन से चार डोनर का ब्लड लिया जाता था।

By Edited By: Published: Sat, 04 May 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 02:38 PM (IST)
अब डोनर के शरीर से सीधे निकलेगा प्लेटलेट्स, यह मशीन करेगी यह कमाल
अब डोनर के शरीर से सीधे निकलेगा प्लेटलेट्स, यह मशीन करेगी यह कमाल

जमशेदपुरद्व अमित तिवारी।  पूर्वी सिंहभूम के बिष्टुपुर स्थित जमशेदपुर ब्लड बैंक में एफेरिसिस मशीन लायी गई है। यह कोल्हान की पहली मशीन है। इसके जरिए सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) विधि से अब एक ही डोनर से मरीज की जरूरत के अनुसार प्लेटलेट्स निकालना संभव होगा।

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पहले इसके लिए तीन से चार डोनर का ब्लड लिया जाता था। फिर प्लेटलेट्स अलग किया जाता था। एसडीपी ब्लड के जरिए एक घंटे में प्लेटलेट्स निकालता है। डोनर के शरीर से ब्लड निकालकर मशीन में ले जाया जाता है वहां से प्लेटलेट्स अलग होकर मरीज के शरीर तक पहुंचता है और बाकि ब्लड दोबारा डोनर के शरीर में पहुंचाया जाता है। खास बात यह भी है कि प्लेटलेट्स देने वाला व्यक्ति 72 घंटे बाद दोबारा प्लेटलेट्स दे सकता है। इस विधि से प्लेटलेट्स चढ़ाने से मरीज में 50 से 60 हजार तक प्लेटलेट्स बढ़ता है। फिलहाल ब्लड निकालने के बाद रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) विधि से प्लेटलेट्स निकाला जाता है। इसमें कम से कम छह घंटे लगते हैं। एक बार रक्तदान करने के बाद तीन माह बाद दे फिर से रक्तदान किया जा सकता है। एक यूनिट आरडीपी चढ़ाने पर सिर्फ पांच हजार प्लेटलेट्स काउंट बढ़ते हैं। इस वजह से कई यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ाने पड़ते हैं।

 नहीं होगा रक्त ट्रांसफ्यूजन की बीमारियों का खतरा

अबतक प्रदेश में सबसे अधिक डेंगू के मरीज कोल्हान में ही मिलते रहे हैं। इसलिए यह मशीन बड़ी उपलब्धि है। बारिश के साथ बीमारियों का मौसम भी आ गया है। डेंगू, मलेरिया, वायरल बीमारियां थोड़े दिनों में ही जोर पकड़ सकती है। ऐसे में प्लेटलेट्स की मांग बढ़ेगी। शहर में हर साल प्लेटलेट्स की कमी पड़ जाती है।

रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी)

इसमें जरूरतमंद मरीज को ब्लड बैंक से उसके मैचिंग ग्रुप का प्लेटलेट्स दे दिया जाता है और उसके बदले में किसी भी ब्लड ग्रुप वाले डोनर से ब्लड डोनेट करा लिया जाता है। एक ग्रुप वाले कई डोनरों का प्लेटलेट्स एक साथ निकालकर दूसरे मरीजों के लिए रख लिया जाता है।

सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी)

इसमें डोनर और मरीज का ब्लड ग्रुप समान होना चाहिए। इसमें डोनर का तीन ब्लड टेस्ट, हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स, एचआइवी, एचसीवी, मलेरिया, हेपेटाइटिस जैसे सारे टेस्ट किए जाते हैं। डोनर का वजन और उसकी फिटनेस भी देखी जाती है।

डेंगू मरीजों को ज्यादा पड़ती जरूरत

इस अत्याधुनिक मशीन के आने से मरीजों को काफी फायदा होगा। अब तक यह मशीन कोल्हान में नहीं थी। पेल्टलेट्स का यूज सिर्फ डेंगू मरीजों में ही नहीं बल्कि और भी कई गंभीर बीमारियों में होता है।

- डॉ. एलबी सिंह, मेडिकल ऑफिसर, जमशेदपुर ब्लड बैंक।

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