केंदाडीह माइंस को मिली 20 साल की लीज, 20000 लोगों को मिलेगा रोजगार; तांबा उत्पादन में आएगी तेजी
जमशेदपुर में एचसीएल की बंद पड़ी केंदाडीह खदान में खनन फिर शुरू होगा। लीज समझौते पर हस्ताक्षर हुए जिससे 20 साल की मंजूरी मिली। सरकार को सालाना 19 करोड़ का राजस्व और 500 लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा। राखा और सुरदा के बाद अब तीन खदानों से 100 करोड़ का राजस्व आएगा। 15-20 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। एचसीएल एक बेनीफिशिएशन प्लांट भी स्थापित करेगी।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। एचसीएल की 2000 से बंद पड़ी केंदाडीह खदान में फिर से खनन का कार्य शुरू होगा। एचसीएल (हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड) के केंदाडीह खनन पट्टा का लीज समझौते पर शनिवार को हस्ताक्षर कर दिये गये।
लीज को अगले 20 साल के लिए मंजूरी प्रदान कर दिया। झारखंड सरकार ने औपचारिक रूप से केंदाडीह खनन पट्टा विलेख (लीज डीड) का निष्पादन कर दिया है, यह समझौता भारत के खनन उद्योग के लिए माइल स्टोन होगा। पच्चीस वर्षों बाद फिर से खनन कार्य शुरू होगा।
झारखंड सरकार ने तांबा खनन के क्षेत्र में एक बड़ी पहल करते हुए केंदाडीह खनन पट्टा विलेख का औपचारिक निष्पादन कर दिया है। पूर्वी सिंहभूम जिले के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने राज्य सरकार की ओर से पट्टा विलेख पर हस्ताक्षर किए।
वहीं, एचसीएल की ओर से आईसीसी के कार्यकारी निदेशक-सह-इकाई प्रमुख ने हस्ताक्षर किए। इस कदम के बाद केंदाडीह कापर माइंस से तांबा अयस्क का उत्पादन दोबारा शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है।
अधिकारियों ने बताया कि केंदाडीह कापर माइन्स से हर साल लगभग 19 करोड़ रुपये राजस्व राज्य सरकार को मिलेगा। इसके अलावा करीब 500 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार भी मिलेगा। अप्रत्यक्ष रूप से भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे राज्य सरकार की आय बढ़ेगी। साथ ही, आसपास के इलाकों का आर्थिक और सामाजिक विकास भी होगा।
हर साल प्राप्त होगा लगभग 100 करोड़ रुपये का राजस्व
गौरतलब है कि इससे पहले राखा और सुरदा खनन पट्टों का भी निष्पादन किया जा चुका है। अब केंदाडीह पट्टे के साथ एचसीएल/आईसीसी के तीन खनन पट्टे शुुरू होंगे। इनसे राज्य सरकार को हर साल लगभग 100 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।
साथ ही, तीनों खदानों के संचालन शुरू होने पर 15 से 20 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना है। एचसीएल ने भविष्य की योजना पर भी काम शुरू कर दिया है। कंपनी 1.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता वाला एक बेनीफिशिएशन प्लांट स्थापित करने जा रही है।
इसके लिए आवश्यक भूमि झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (झियाडा) से अधिग्रहित कर ली गई है। यह प्लांट तांबा उत्पादन में मूल्य संवर्धन करेगा, संसाधनों के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करेगा और अतिरिक्त रोजगार भी देगा।
खनन के लिए पर्यावरण के मानकों का होगा पालन
उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने कहा कि केंदाडीह खनन पट्टा विलेख का निष्पादन झारखंड सरकार की जिम्मेदार खनन नीति और विकास के प्रति गंभीरता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से क्षेत्र के लोगों को नए अवसर मिलेंगे।
पर्यावरणीय मानकों का पालन होगा। समावेशी विकास को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे झारखंड देश के प्रमुख खनिज संसाधन केंद्र के रूप में अपनी स्थिति और मजबूत करेगा।
स्थानीय लोगों को रोजगार और विकास के नए रास्ते मिलेंगे। इस मौके पर डीडीसी नागेंद्र पासवान, एडीसी भगीरथ प्रसाद और डीएमओ सतीश कुमार नायक भी मौजूद थे।
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