Glock pistol और Aman साहू गैंग कनेक्शन पर गरमाएगा शीतकालीन सत्र, सरयू राय करेंगे कड़ी पूछताछ
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधायक सरयू राय, अमन साहू गिरोह और ग्लॉक पिस्तौल के कनेक्शन पर सरकार से सवाल करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया है कि ग् ...और पढ़ें

फाइल फाेटो।
डिजिटल डेस्क जमशेदपुर। झारखंड विधानसभा का आगामी शीतकालीन सत्र इस बार राजनीतिक रूप से काफी गर्म रहने वाला है। इसकी वजह है जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय द्वारा उठाया जाने वाला वह बड़ा मुद्दा, जिसमें प्रतिबंधित ग्लॉक पिस्टल और अमन साहू गैंग के बीच संभावित कनेक्शन को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इस मुद्दे के विधानसभा में उठने से सत्र के विवादों से भरा रहने की आशंका जताई जा रही है। सरयू राय ने कहा है कि जांच एजेंसियों ने राज्य पुलिस को जानकारी दी है कि अमन साहू गिरोह ने पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए 13 ग्लॉक पिस्टल मंगाई थीं, जिनमें से 6 पिस्टल सरकार के कब्जे में है।
उन्होंने सवाल उठाया है कि जब भारत सरकार ने ग्लॉक पिस्टलों के नागरिक उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है, तो पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को यह लाइसेंस किस आधार पर जारी किया?
राय का स्पष्ट आरोप है कि प्रतिबंधित श्रेणी के हथियारों का लाइसेंस सामान्य प्रक्रिया में जारी नहीं किया जा सकता। ऐसे में जिला प्रशासन को जवाब देना चाहिए कि संबंधित अनुमति किन नियमों के तहत दी गई।
इसके अलावा, राजनीतिक हलकों में यह चर्चा और तेज हो गई है कि लाइसेंस प्राप्त ग्लॉक पिस्टल का कहीं अमन साहू गिरोह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध तो नहीं। हालांकि इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है, लेकिन सवालों के घेरे में आए अधिकारियों और नेताओं पर दबाव बढ़ता दिख रहा है।
पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस मामले में कहा कि पिस्टल का लाइसेंस जांच के बाद जिला प्रशासन ने जारी किया है। वहीं जिला उपायुुक्त कर्ण सत्यार्थी का कहना है कि सरकार के निर्देश पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
सरयू राय ने कहा है कि यह केवल लाइसेंस जारी करने का मुद्दा नहीं, बल्कि राज्य की सुरक्षा प्रणाली से जुड़ा बेहद गंभीर प्रश्न है। प्रतिबंधित हथियार किसी आपराधिक गिरोह तक पहुंच रहा है, तो यह भी जांच का विषय है कि उसकी आपूर्ति पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश से कैसे हो रही है और इसमें कौन शामिल है।
शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे पर कड़ी बहस और राजनीतिक टकराव की पूरी संभावना है। अब नजर इस बात पर होगी कि सरकार और प्रशासन सदन में उठने वाले इन गंभीर प्रश्नों का क्या जवाब देते हैं।

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