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    Ghatshila byelection : आदिवासियों के साथ पहले भी भेदभाव होता था, आज भी हो रहा है : कल्पना सोरेन

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 09:27 PM (IST)

    कल्पना सोरेन ने घाटशिला उपचुनाव के संदर्भ में कहा कि आदिवासियों के साथ पहले भी भेदभाव होता था और आज भी हो रहा है। उन्होंने इस समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि आदिवासियों को समानता का अधिकार मिल सके।

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    शनिवार को मउभंडार ताम्र प्रतिभा मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित करतीं कल्पना साेरेन।

    संवाद सहयोगी, घाटशिला। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने शनिवार को मउभंडार ताम्र प्रतिभा मैदान में विधानसभा स्तरीय विशाल जनसभा आयोजित कर उपचुनाव से पहले अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। यह झामुमो की उपचुनाव के लिए अंतिम जनसभा थी, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ पार्टी की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन ने भी जनता को संबोधित किया।

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    पिछड़ा और दलित समाज के दुख-दर्द के साथ हैं हेमंत

    कल्पना सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि आदिवासियों के साथ पहले भी भेदभाव होता था, आज भी होता आ रहा है। गरीब, आदिवासी, पिछड़ा और दलित समाज के दुख-दर्द के साथ हेमंत सोरेन हमेशा खड़े हैं।
     
    उन्होंने कहा कि जब पिछली बार 2024 में विधानसभा चुनाव हुआ था, तब झामुमो के एक-एक कार्यकर्ता और आदिवासी-मूलवासी जनता ने हेमंत सोरेन का साथ दिया था। झुकना उन्होंने कभी नहीं सीखा।

    हेमंत के रगों में झारखंड की संस्कृति बसती है

    उन्होंने कहा कि जब हेमंत सोरेन जेल के अंदर थे, तब भी जनता ने उनका साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उनके रगों में झारखंड की संस्कृति, संघर्ष और अस्मिता बसती है।
     
    कल्पना ने कहा कि झामुमो की लड़ाई सिर्फ सत्ता की नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के सम्मान और अस्तित्व की है। आज गुरुजी शिबू सोरेन और रामदास सोरेन हमारे बीच नहीं हैं, इसलिए उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब हमारी है। 
     
    यह चुनाव उस दुख और तकलीफ से मुक्ति का रास्ता है, जिसे जनता खुद चुनेगी। जनसभा में मंत्री दीपक बिरुवा, प्रत्याशी सोमेश सोरेन सहित कई झामुमो नेताओं ने भी भाषण दिया।

    कांग्रेस नेताओं की गैरमौजूदगी रही चर्चा में

    3 नवंबर से 8 नवंबर तक झामुमो की छह जनसभाएं हुईं, लेकिन किसी भी मंच पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नजर नहीं आए। केवल कुछ स्थानीय कांग्रेसी नेता मंच पर बैठे दिखे। वहीं झामुमो के सभी मंत्री, विधायक और वरिष्ठ नेता मंच पर मौजूद रहे।

     
    शनिवार को हुई अंतिम जनसभा में भी कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, प्रदीप बलमुचू, ममता देवी और बादल पत्रलेख जैसे नेता उपस्थित नहीं थे। सूत्रों के अनुसार, यह कांग्रेस की “रणनीति का हिस्सा” बताया जा रहा है।