सड़क दुर्घटना के बाद विरोध में किया जाम, पुलिस ने 46 के खिलाफ किया FIR, शव के साथ अनुमंडल कार्यालय पर धरना
पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला में ट्रेलर की चपेट में आने से एक बालक की मौत हो गई जिसके बाद लोगों ने एनएच जाम कर दिया था। प्रशासन के आश्वासन के बाद जाम हटा लिया गया लेकिन पुलिस ने 46 लोगों पर एफआईआर दर्ज कर दी। इसके विरोध में परिजन शव को लेकर अनुमंडल कार्यालय पर प्रदर्शन कर रहे हैं और मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, घाटशिला। पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल कार्यालय के मुख्य गेट पर मृतक के स्वजनों ने शव रखकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया। स्वजन प्रशासन से उचित मुआवजा व 46 लोगों पर दर्ज एफआईआर को वापस लेने की मांग कर रहे है।
बता दें कि बीते गुरुवार को घाटशिला के तामकपाल के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 18 पर ट्रेलर की चपेट में आने से स्थानीय बालक मुंडा (58) की मौत हो गई थी। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने आक्रोश स्वरूप कोलकाता जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को 10 घंटे तक जाम कर दिया था। रात्रि 9 बजे प्रशासन के आश्वासन के बाद जाम को हटाया गया था। इसके बाद शव का पोस्टमार्टम हुआ।
46 लोगों पर एफआईआर
हालांकि इस एनएच जाम मामले में ग्रामीणों के अनुसार 46 लोगों पर एफआईआर पुलिस ने किया। जिसके विरोध स्वरूप घटना के तीसरे दिन परिजन शव लेकर अनुमंडल कार्यालय के गेट पर पहुंच गए। जहां शव रखकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
परिजन उचित मुआवजा व एफआईआर को रद्द करने की मांग कर रहे है। हालांकि अबतक इस मामले में परिजनों के संग प्रशासन की वार्ता नहीं हो पाई।
समर्थन में पूर्व सीएम चंपई सोरेन
घाटशिला के तामकपाल में हुए दुर्घटना के बाद एनएच जाम पर एफआईआर के विरोध में अनुमंडल कार्यालय के आगे शव लेकर प्रदर्शन कर रहे परिजन व ग्रामीणों के समर्थन में पूर्व सीएम चंपई सोरेन भी आगे आए। चंपई ने अपने सोशल मीडिया पेज पर लिखा
दो दिन पहले घाटशिला के तमकपाल में एक सड़क दुर्घटना में दो लोगों की दुखद मृत्यु हो गई थी। मरांग बुरु उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें, तथा परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति दें।
घटना के बाद जब नाराज ग्रामीणों ने हाईवे जाम किया तो प्रशासन जागा और एसडीओ तथा एसडीपीओ ने मुआवजा दिलवाने का वादा किया।
लेकिन अफसोस वहां से जाम हटाने के बाद प्रशासन ना सिर्फ अपने वादे से मुकर गया, बल्कि दर्जन भर लोगों पर नामजद व 30-35 अज्ञात ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया। यह असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। एक तो आप पीड़ित परिवार की मदद नहीं कर रहे हैं, और दूसरे अपना अधिकार मांग रहे लोगों को मुकदमे से डराने का प्रयास कर रहे हैं।
उन ग्रामीणों का क्या कसूर है? अपना अधिकार मांगना या अपने मृत साथी के परिवार के समर्थन में आवाज उठाना क्या कोई अपराध है?। अगर ऐसा है तो फिर कोई भी कभी भी किसी के लिए नहीं खड़ा होगा। प्रशासन को तुरंत एफआईआर वापस लेना चाहिए और पीड़ित परिवारों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना चाहिए।
आज पीड़ित परिवार के लोग पार्थिव शरीर को लेकर एसडीओ कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठे हैं। आखिर कोई इतना असंवेदनशील कैसे हो सकता है कि यह दृश्य देख कर भी उसका कलेजा ना कांपे? कल घाटशिला में पीड़ित परिवार से मिल कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करूंगा।
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