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    चांडिल डैम जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, खुले 10 फाटक; तटीय इलाकों में बढ़ा बाढ़ का खतरा

    Updated: Fri, 20 Jun 2025 10:00 AM (IST)

    चांडिल डैम में जलस्तर बढ़ने से स्थिति गंभीर हो गई है जिससे आसपास के इलाकों में बाढ़ आ गई है। स्वर्णरेखा और खरकई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं जिससे कदमा शास्त्रीनगर जैसे तटीय इलाकों में पानी भर गया है और जनजीवन प्रभावित हुआ है। डैम के ऊपर बनी सड़क जलमग्न होने से आवागमन ठप हो गया है। मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है।

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    चांडिल डैम में लगातार बढ़ रहा है पानी। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। चांडिल डैम में जलस्तर के खतरनाक स्तर तक पहुंचने से स्थिति चिंताजनक हो गई है। डैम के ऊपर बनी सड़क को भी पानी ने पार कर लिया है, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है।

    स्वर्णरेखा और खरकई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जिसके कारण कदमा, शास्त्रीनगर, बागबेड़ा, बाबूडीह, सोनारी और मानगो जैसे तटीय इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है।

    इससे हजारों लोगों का जनजीवन प्रभावित हुआ है। मौसम विभाग ने आज भी रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे स्थिति और गंभीर होने की आशंका है।

    जलस्तर और डिस्चार्ज की स्थिति

    शुक्रवार को सुबह 8 बजे चांडिल डैम का जलस्तर 182.62 मीटर दर्ज किया गया। डैम से कुल 3109.00 क्यूमेक्स पानी का डिस्चार्ज हो रहा है, जिसमें रेडियल गेट से 3094.63 क्यूमेक्स और रिवर स्लुइस से 14.37 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है।

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    डैम के 10 गेट खोले गए हैं, जिनमें से प्रत्येक की ऊंचाई 2.31 मीटर से 3.05 मीटर तक है। नहर से पानी का डिस्चार्ज शून्य है, और डैम में भंडारण 690.75 यूनिट है। लगातार बारिश और ओडिशा के ब्यांगबिल डैम से पानी छोड़े जाने के कारण जलस्तर में और वृद्धि की संभावना है।

    सड़कों पर पानी, आवागमन ठप

    चांडिल डैम के ऊपर बनी सड़क पर पानी का बहाव इतना तेज है कि यह पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है। स्थानीय निवासियों और एनएचएआई की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए कई लोग इस स्थिति से नाराज हैं।

    एक स्थानीय निवासी रमेश महतो ने बताया कि हर साल बारिश में यही हाल होता है, लेकिन प्रशासन और एनएचएआई कोई ठोस कदम नहीं उठाते। सड़क पर पानी का बहाव होने से चांडिल और आसपास के इलाकों को जोड़ने वाला यातायात पूरी तरह बाधित है।

    तटीय इलाकों में बाढ़ का कहर

    कदमा, शास्त्रीनगर, बागबेड़ा, बाबूडीह, सोनारी और मानगो जैसे निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घरों और सड़कों पर भर गया है। लोगों को अपने घरों से सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। प्रशासन ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को आश्रय स्थलों में शरण लेने की सलाह दी है।

    बाढ़ के कारण कई परिवारों का सामान नष्ट हो गया है, और बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हुई है। स्थानीय निवासी सुनीता देवी ने कहा कि पिछले साल भी हमारा गांव डूब गया था, और इस बार फिर वही स्थिति है। सरकार को स्थायी समाधान करना चाहिए।

    प्रशासन की कार्रवाई और रेड अलर्ट

    जिला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। चांडिल डैम के 11 गेट खोलकर जलस्तर को नियंत्रित करने की कोशिश की गई है। डीसी सरायकेला ने ट्वीट कर लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।

    एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस को राहत और बचाव कार्यों के लिए तैनात किया गया है। मौसम विभाग ने शुक्रवार को झारखंड में भारी से अति भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिसके चलते रेड अलर्ट जारी है।

    आगे की चुनौतियां

    लगातार बारिश और डैम से पानी छोड़े जाने के कारण स्थिति और बिगड़ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रेनेज सिस्टम की कमी और नदियों में गाद जमा होने से बाढ़ की समस्या हर साल बढ़ रही है।

    प्रशासन से मांग की जा रही है कि दीर्घकालिक समाधान के लिए नदियों की सफाई और बाढ़ प्रबंधन योजनाओं को लागू किया जाए। फिलहाल, प्रभावित इलाकों में राहत कार्य जारी हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है।