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    जमशेदपुर के लोगों का मधुमक्खी पालन से बदलेगा जीवन, वन और उद्यान विभाग करेगा मदद

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 04:02 PM (IST)

    जमशेदपुर में वन विभाग और जिला उद्यान विभाग मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रहे हैं जिससे किसानों की आय बढ़ाई जा सके। दलमा और बोड़ाम क्षेत्र को मधुमक्खी पालन के लिए उपयुक्त पाया गया है। किसानों को प्रशिक्षण और आवश्यक उपकरण मुफ्त में दिए जाएंगे। दलमा मधु के नाम से शहद बाजार में बेचा जाएगा जिससे आदिवासी-मूलवासियों को रोजगार मिलेगा।

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    19 जुलाई विश्व मधुमक्खी दिवस पर विशेष : मधुमक्खी पालन से ग्रामीणों का जीवन बदलने की कवायद

    मनोज सिंह, जमशेदपुर। जिस प्रकार असम, हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य अपने किसानों को मधुमक्खी पालन कराकर उनकी आय को प्रतिमाह एक लाख रुपये से अधिक कर दिया है। ठीक उसी तर्ज पर वन विभाग व जिला उद्यान विभाग बड़े पैमाने पर मधुमक्खी पालन कराने जा रही है।

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    विशेषज्ञों का मानना है कि मधुमक्खी पालन के लिए दलमा पहाड़ी व पूर्वी सिंहभूम जिला के बोड़ाम क्षेत्र को पूरी तरह अनुकूल पाया गया है।

    यही कारण है कि दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के डीएफओ सबा आलम अंसारी दलमा के अति पिछड़ा व कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा खोखरो समेत अन्य गांवों का चयन मधुमक्खी पालन करने के लिए किया है। इस क्षेत्र के 40 किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण वन विभाग की ओर से दिया जा चुका है।

    जबकि जिला उद्यान पदाधिकारी अनिमा लकड़ा ने बताया कि उद्यान विभाग की ओर से बोड़ाम प्रखंड का मधुमक्खी पालन के लिए चयन किया गया है।

    उद्यान पदाधिकारी के अनुसार चूंकि बोड़ाम प्रखंड पूरी तरह पहाड़ी व जंगल क्षेत्र है, जहां मधुमक्खी पालन बेहतर ढंग से हो सकेगा। यही कारण है कि जिला प्रशासन ने बोड़ाम के 25 किसानों को मधुमक्खी पालन कराएगी।

    सभी किसानों को मधुमक्खी का बक्सा, मधुमक्खी का छत्ता 8 फ्रेम वाला, मधु प्रोसेसिंग इकाई 30 किलो का सभी किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। उद्यान पदाधिकारी अनिमा लकड़ा ने बताया कि बरसात खत्म होते ही बोड़ाम प्रखंड में मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

    सभी किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे मधुमक्खियों के छत्ते

    मधुमक्खी पालक किसानों को मधुमक्खियों के छत्ते निश्शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। उद्यान पदाधिकारी कहती हैं कि मधुमक्खी की भूमिका कृषि, खाद्य सुरक्षा और पोषण तक ही सीमित नहीं है। उनके बिना, जंगली पौधे और पारिस्थितिकी तंत्र, जो पृथ्वी को जीवों के रहने योग्य बनाते हैं, का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा।

    अभी तक यह पाया गया है कि परागणकारी अकशेरुकीय प्रजातियों की लगभग 30,000 प्रजातियों में से 40 फीसदी कीटनाशकों के इस्तेमाल, भूमि-उपयोग में बदलाव और जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त हो रही हैं।

    वन विभाग उपलब्ध कराएगी बाजार

    दलमा के डीएफओ सबा आलम अंसारी ने बताया कि दलमा के किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उनका उद्देश्य दलमा की तलहटी में बसी 85 बस्तियों में रहने वाले आदिवासी-मूलवासियों को रोजगार मुहैया कराना, ताकि उनका जीवनस्तर सुधर सके।

    फिलहाल 40 महिला व पुरुष किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दलमा मधु के नाम से बाजार में बिक्री किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दलमा में होने वाले मधु की खरीददारी खुद दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी करेगी। इसके बाद इसे दलमा मधु के नाम से बिक्री की जाएगी।

    शहद के उपयोग से कई फायदे

    आयुर्वेदाचार्य डॉ. मनीष डूडिया कहते हैं कि शहद का उपयोग से कई फायदे हैं। इसके सेवन से मनुष्य की आयु बढ़ती है। शरीर निरोग बनता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। शहद गुर्दे की शक्ति को बढ़ाता है। नींबू पानी में शहद मिलाकर रोज पीने से मोटापा कम होता है। कब्ज, खांसी में राहत देने के अलावा आंखों में शहद लगाने से आराम मिलता है।

    कब शुरू करें मधुमक्खी पालन

    मधुमक्खी पालन अक्टूबर-नवंबर माह में प्रारंभ कर देना चाहिए, क्योंकि शीत ऋतु के प्रारंभ में पेड़ों व खेत में लगी फसलों में फूलों की भरमार होती है। मधुमक्खियों के लिए इस समय का तापमान भी उपयुक्त होता है।अक्टूबर-नवंबर के समय दलमा के जंगलों मधुमक्खी पालन के लिए उपयुक्त मौसम रहता है।