Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जमशेदपुर के अस्पतालों में Fake doctors की मौजूदगी की सूचना के बाद जांच का आदेश

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 05:47 PM (IST)

    जमशेदपुर में अस्पतालों में नकली डॉक्टरों की सूचना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं। यह निर्णय शहर के अस्पतालों में अवैध चिकित्सा पद्धतिय ...और पढ़ें

    Hero Image

    फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। सरकारी अस्पतालों में फर्जी डॉक्टरों की नियुक्ति की सूचना के बाद झारखंड स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है। आरोप है कि विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले कुछ विद्यार्थी फर्जी एफएमजीई (फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम) प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी अस्पतालों में कार्यरत हैं। 
     
    मामले को गंभीरता से लेते हुए झारखंड स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख डॉ. सिद्धार्थ सान्याल ने महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल, पूर्वी सिंहभूम के सिविल सर्जन सहित राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और सिविल सर्जनों को जांच का आदेश जारी किया है। 
     
    निदेशक प्रमुख के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग को janadhikar.cg@gmail.com से एक ई-मेल प्राप्त हुआ है। इसमें दावा किया गया है कि देश के कई राज्यों में इस तरह के मामले सामने आए हैं। 
     

    डॉक्‍टर बनने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र का सहारा 

    ई-मेल में कहा गया है कि कुछ विदेशी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी एफएमजीई परीक्षा में बार-बार असफल होने के बाद फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर के रूप में नियुक्त हो गए हैं। 
     
    स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि यदि बिना मान्यता और आवश्यक योग्यता वाले लोग डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं, तो यह न केवल नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि आम लोगों की जान के साथ गंभीर खिलवाड़ भी है। विभाग ने इस पूरे प्रकरण को राष्ट्रीय चिकित्सा व्यवस्था में संभावित संगठित गड़बड़ी के रूप में देखा है।  
     

    सीबीआई जांच और राष्ट्रीय ऑडिट की मांग 

    स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की आवश्यकता जताई है। साथ ही, राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल रेगुलेटरी ऑडिट कराने की मांग भी की गई है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि देशभर में कितने फर्जी डॉक्टर सरकारी और निजी अस्पतालों में कार्यरत हैं। 
     
    विभाग का कहना है कि इस तरह की जांच से दोषियों की पहचान होगी। भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों पर भी रोक लगाई जा सकेगी।
     

    सभी अस्पतालों को सख्त निर्देश 

    निदेशक प्रमुख डॉ. सिद्धार्थ सान्याल ने सभी सिविल सर्जनों, मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों और अस्पताल अधीक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने संस्थानों में कार्यरत डॉक्टरों की शैक्षणिक योग्यता, पंजीकरण और एफएमजीई प्रमाणपत्रों की गहन जांच करें। किसी भी स्तर पर गड़बड़ी या संदेह पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई करते हुए विस्तृत रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को भेजने को कहा गया है।

    स्वास्थ्य विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जांच के दौरान यदि कोई डॉक्टर फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर कार्यरत पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें सेवा से बर्खास्तगी के साथ-साथ आपराधिक मामला दर्ज करने की भी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    मरीजों की सुरक्षा सर्वोपरि 

    स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि मरीजों की सुरक्षा और भरोसा सर्वोपरि है। किसी भी स्थिति में अयोग्य और अप्रमाणित लोगों को चिकित्सा सेवा में बने रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 
     
    विभाग ने संकेत दिया है कि जांच प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाएगा, ताकि स्वास्थ्य व्यवस्था की विश्वसनीयता बनी रहे और आम जनता को सुरक्षित चिकित्सा सेवाएं मिल सकें।