शहर में बढ़ा नकली सिगरेट का कारोबार
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : वैसे तो शहर में नकली सिगरेट का कारोबार पहले से चल रहा था,
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
वैसे तो शहर में नकली सिगरेट का कारोबार पहले से चल रहा था, लेकिन अब यह काफी बढ़ गया है। ये सिगरेट देखने में विदेशी लगते हैं, लेकिन इनके पैकेट पर ना तो अधिकतम मूल्य (एमआरपी) लिखा है, ना उत्पादन स्थल का नाम। यह बताना मुश्किल है कि यह कहां बनी है। यह मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में भी आ गया है। इस बात की खबर जब देश की सबसे बड़ी सिगरेट कंपनी आइटीसी को लगी, तो उसके अधिकारी पूरे देश में इसकी तफ्तीश करने निकले हैं। कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि ये सिगरेट भारत में बनने वाली उम्दा सिगरेट के समकक्ष दिखती है, जबकि कीमत लगभग आधी या उससे कम पर बिकती है। चूंकि इस पर एमआरपी नहीं लिखा होता है, लिहाजा दुकानदार ग्राहक को देखकर अलग-अलग रेट पर बेचते हैं। यह सिगरेट शहर की हर उस पान दुकान पर मिलती है, जो ठीक-ठाक चलती है।
शुक्रवार को उपायुक्त अमित कुमार से भी मिलकर इसकी शिकायत की। उपायुक्त ने बताया कि तंबाकू उत्पाद अधिनियम के मुताबिक सिगरेट के पैकेट के 85 फीसद हिस्से पर तंबाकू से होने वाली बीमारी की चेतावनी प्रकाशित करना अनिवार्य है, जबकि इनके पैकेट पर चेतावनी है ही नहीं। यह भारत सरकार के कानून का उल्लंघन है। प्रशासन छापेमारी कर ऐसे सिगरेट को जब्त करेगा और इसके तह तक जाने का प्रयास करेगा।
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अलग-अलग फ्लेवर
अमूमन भारत में जो सिगरेट बनती है, उसमें तंबाकू के ही स्वाद होते हैं। हालांकि पिपरमेंट की खुशबू में भी सिगरेट यहां बनते हैं, लेकिन नकली सिगरेट पान, अमरुद, संतरा, चाकलेट, आम आदि की खुशबू में आते हैं। इनके नाम भी विन, ब्लैक, मोंड, गोल्डेन एलीफैंट, पीकॉक आदि हैं। शायद फ्लेवर की वजह से ये सिगरेट युवाओं में ज्यादा लोकप्रिय हैं, क्योंकि इनसे तंबाकू की तीखी गंध बाहर नहीं आती।
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8-10 लाख का महाना कारोबार, 200 कार्टन की खपत
सिगरेट के एक थोक कारोबारी ने बताया कि शहर में हर महीने सिगरेट का आठ से 10 लाख रुपये का कारोबार होता है। हर महीने शहर में लगभग 200 कार्टन सिगरेट आता है। इनमें आइटीसी के विल्स फ्लैक, गोल्ड फ्लैक, गोल्ड सुपरस्टार, नेवी कट, गोल्ड किंग व क्लासिक ब्रांड के सिगरेट हैं। बाकी सभी सिगरेट नकली हैं।
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जीएसटी से बढ़ी नकली की पैठ
एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद जुलाई में लगभग सात दिनों तक शहर में सिगरेट की खेप नहीं आई। इसके कारण नकली सिगरेट के कारोबारियों की चांदी हो गई और भारी मात्रा में कारोबारियों ने शहर में नकली सिगरेट खपाई।
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बिहार व नेपाल से आती है नकली सिगरेट
शहर में अवैध सिगरेट का बड़ा बाजार बनता जा रहा है। कारोबारियों को अवैध सिगरेट में 100 प्रतिशत तक मुनाफा होता है, जबकि वैध सिगरेट में करीब 15 प्रतिशत तक ही लाभ मिलता है। शहर में नकली सिगरेट की खेप नेपाल और बिहार के पटना सहित अन्य क्षेत्रों से आती है।
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सालाना 20 लाख राजस्व की चपत
नकली व अवैध सिगरेट के कारोबारी सरकार को हर साल 25 से 25 लाख रुपये राजस्व की चपत लगा रहे हैं। थोक कारोबारी के अनुसार शहर में हर साल सिगरेट का लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इसमें 15 से 20 फीसद बाजार पर नकली सिगरेट के कारोबारियों ने कब्जा किया है और सरकार को 20 से 25 लाख रुपये राजस्व की चपत लगा रहे हैं।
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