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    नीमडीह में जंगली हाथियों की तबाही से उबल पड़ा गुस्सा, ग्रामीणों ने तेरह वन कर्मियों को घंटों बनाया बंधक

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 09:49 PM (IST)

    नीमडीह के लाकड़ी गांव में जंगली हाथियों के उत्पात से ग्रामीण परेशान हैं। हाथियों ने घर तोड़े और फसलें नष्ट कीं, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीण ...और पढ़ें

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    नीमडीह में हाथियों के हमले से परेशान ग्रामीणोंं ने मुआवजे के लिए वनकर्मियों काे बनाया बंधक।

    संवाद सहयोगी, नीमडीह। झारखंड के चांडिल वन क्षेत्र अंतर्गत नीमडीह अंचल के लाकड़ी गांव के माकलीकोचा टोला में जंगली हाथियों के लगातार बढ़ते उत्पात ने ग्रामीणों का सब्र तोड़ दिया। बुधवार रात एक दंतैल हाथी ने ग्रामीणों के घर तोड़ डाले और खलिहान में रखे धान खा गए। 
     
    इस घटना से पहले ही हाथियों की समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया। स्थिति तब बिगड़ गई जब ग्रामीणों ने गुरुवार सुबह वनपाल राणा प्रताप महतो, वाचर बुधेश्वर माझी, जिहुड़ गोप और “हाथी भगाओ दस्ता” के 13 सदस्यों को मौके पर पहुंचने के बाद बंधक बना लिया। 
     
    ग्रामीणों का कहना था कि कई दिनों से हाथियों का झुंड फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है और मकानों को भी क्षति पहुंचा रहा है। लेकिन वन विभाग और जनप्रतिनिधि समस्या के समाधान के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहे हैं। 
     
    घटना की सूचना मिलने पर लाकड़ी पंचायत के उप मुखिया नारायण गोप, ग्राम प्रधान रंजीत माझी, नीमडीह थाना के सब-इंस्पेक्टर अभय कृष्ण गिरी, एएसआई टुना प्रसाद पुलिस दल के साथ मौके पर पहुंचे। सभी ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया और आश्वासन दिया कि उच्च स्तर पर इस मुद्दे को उठाया जाएगा। 
     
    गुरुवार की सुबह आठ बजे, वन विभाग के सभी कर्मियों और दस्ता सदस्यों को सुरक्षित मुक्त करा लिया गया। ग्रामीणों ने कहा कि राज्य सरकार, स्थानीय सांसद और विधायक तक कई बार शिकायत पहुंचाई गई, लेकिन नतीजा शून्य रहा। 
     
    हाथियों का झुंड फसल को तबाह कर रहा है, घर तोड़ रहा है और ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द स्थायी समाधान नहीं निकला तो वे मजबूर होकर बड़ा आंदोलन करेंगे। 

    लाकड़ी पंचायत के उप मुखिया एवं भाजपा नेता नारायण गोप ने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल है। उन्होंने कहा कि हाथियों की देखभाल और प्रबंधन के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपये आवंटित किए जाते हैं, लेकिन सही उपयोग न होने से भोजन की तलाश में हाथियों के झुंड गांवों में घुस रहे हैं।
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