Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाथी के दुश्मन हजार: बंगाल सीमा पर ट्रेंच व बिजली के बाड़ ने बदल दिया गजराज मिजाज

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 01:44 PM (IST)

    झारखंड के दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी से हाथी अब चाकुलिया-बहरागोड़ा की तरफ जा रहे हैं। कभी हाथियों की चिंघाड़ से गूंजने वाला यह इलाका अब सुनसान हो गया है। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा खोदी गई खाई और सोलर फेंसिंग साथ ही मानवीय हस्तक्षेप और विकास कार्य भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। हाथियों के रास्तों को बहाल करने और अंतरराज्यीय सहयोग से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।

    Hero Image
    कभी हाथी की चिंघाड़ से गुंजती थी दलमा, अब हो गए सुनसान।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। हाथियों का स्वर्ग कहे जाने वाले दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में दो साल पहले तक 100 से अधिक हाथियों के चिंघाड़ से गुंजती थी। आवाज सुनकर यहां आने वाले पर्यटक रोमांचित महसूस करते थे, लेकिन अब हाथियों ने अपना ठिकाना बदल कर चाकुलिया, बहारागोड़ा, घाटशिला व चांडिल क्षेत्र के जंगल व रिहायशी इलाके को बना लिया है। कभी भूले भटके हाथी आते हैं, लेकिन कुछ दिनों में यहां से निकल जाते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    झारखंड के पूर्व पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ, लाल रत्नाकर सिंह कहते हैं कि दलमा में हाथियों का घटने का सबसे बड़ा कारण है उनकी राह में बाधा डालना। पश्चिम बंगाल सीमा में जहां से हाथियों का आना-जाना लगा रहता था, उसके रास्ते में ट्रेंच खोदने के साथ बिजली का बाड़ लगाना। दलमा आने वाले हाथी भटक कर आवासीय इलाकों में घुस रहे हैं, जिससे जान-माल का नुकसान हो रहा है।

    ये बदलाव हैं चिंताजनक

    झारखंड के रिटायर्ड प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी लाल रत्नाकर सिंह कहते हैं कि हाथियों का पारंपरिक कोरिडोर ( corridors) को बाधित कर दिया गया है।

    मानव बस्तियों का विस्तार, खेतों के लिए वन भूमि का रूपांतरण, खनन, आवास, गर्मियों में पानी की कमी भी हाथियों को लंबी दूरी तय करने से रोकती है। चूंकि हाथी काफी संवेदनशील होता है। अगर रास्ता अवरुद्ध हो जाए, तो वे दूसरे और अनजाने इलाकों की ओर मुड़ जाते हैं।

    बंगाल ने रास्ते में खोद रखा है 6.5 किमी लंबी ट्रेंच

    पश्चिम बंगाल सरकार ने 2016 से ही झारखंड-बंगाल सीमा पर ट्रेंच खोदकर कई एलिफेंट कोरीडोर को बंद कर दिया है। 2023 के एनजीटी रिपोर्ट में बताया गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 6.5 किलोमीटर लंबी ट्रेंच भी बनाया साथ में 12 किमी सोलर फेनसिंग कर दिया है जिससे कोरीडोर पूरी तरह से प्रभावित हुआ है। यही कारण है कि बंगाल के हाथी बंगाल में और दलमा के हाथी भटक कर रिहायसी इलाके में प्रवेश कर जान-माल का नुकसान कर रहे हैं।

    क्या कहते हैं विशेषज्ञ 

    दलमा में हाथियों की आबादी बढ़े इसके लिए अंतरराज्यीय सहयोग की जरूरत है। इसके साथ ही कोरिडोर पुनर्स्थापना, अवरोधों को हटाने, जल और चारा प्रबंधन सुधारने तथा स्थानीय समुदायों को सहअस्तित्व के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। तभी प्रवासन का पुराना सिलसिला लौटेगा और दलमा फिर से भारत के हाथी परिदृश्य का जीवंत हिस्सा बन सकेगा।  

    - लाल रत्नाकर सिंह, रिटायर्ड, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ, झारखंड

    झारखंड हो या पश्चिम बंगाल हाथियों के रास्ते को बंद होना ही हाथियों के गायब होने का सबसे बड़ा कारण है। विकास के नाम पर हाथियों के परंपरागत रास्ते में रेल लाइन, सड़क का निर्माण, नहर का निर्माण होना है। इसके लिए कड़ाई से नियम कानून को लागू करना होगा।

    - तापस कर्मकार, हाथी विशेषज्ञ