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    घने जंगल और मेटल माइंस के कारण जमशेदपुर में हो रहा ज्यादा वज्रपात, पांच साल में हुई 200 मौतें

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 03:39 PM (IST)

    जमशेदपुर में वज्रपात का प्रकोप जारी है जहां एक सप्ताह में दर्जन भर लोगों की मौत हो गई है। पूर्वी सिंहभूम जिले में पिछले पांच वर्षों में दो सौ से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई है। विशेषज्ञों के अनुसार घने जंगल और मेटल माइंस के कारण यहां नकारात्मक चार्ज अधिक बनता है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    संजीव कुमार, जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम जिले में वज्रपात के कारण एक सप्ताह में दर्जन भर से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। ठनका की घटनाएं लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। बारिश के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में ठनका गिरने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

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    आंकड़े पर गौर करें तो सिर्फ पूर्वी सिंहभूम जिले में पांच वर्षों में दो सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। पूरे सूबे की बात करें तो ठनका की चपेट में आने से तीन हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इन मौतों में से 90% से अधिक मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं और बड़ी संख्या में पीड़ित किसान थे।

    ठनका अब जिलेवासियों के लिए प्राकृतिक आपदा बन गया है। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी आंकड़े से पता चलता है कि वज्रपात से मरने वालों की संख्या हर वर्ष बढ़ती जा रही है। इसके आंकड़े सालाना तीन सौ से भी अधिक होने की आशंका जताई जा रही है।

    पूरे सूबे में वर्ष 2014-15 से वर्ष 2023-24 के बीच के 10 वर्षों में आकाशीय बिजली 2717 से अधिक लोगों की जान ले चुका है। यह आंकड़ा बताता है कि ग्रामीण और खासकर कृषि कार्यों या खुले में काम करने वाले लोग सबसे अधिक वज्रपात का शिकार बनते हैं।

    झारखंड में वज्रपात से सबसे अधिक जान माल का नुकसान

    मौसम विशेषज्ञ अभिषेक आनंद ने बताया कि पूर्वी सिंहभूम जिले में घने जंगल और मेटल माइंस के कारण निगेटिव चार्ज अधिक बनते हैं। सूबे की बात करें तो इंट्रा क्लाउड, इंटर क्लाउड और क्लाउड टू ग्राउंड ये तीन तरह का वज्रपात होता है।

    इसमें इंसानी जीवन के लिए क्लाउड टू ग्राउंड वज्रपात बेहद खतरनाक होता है। आंकड़ें यह भी बताते हैं कि झारखंड में वज्रपात से सबसे अधिक जान माल का नुकसान जून-जुलाई में होता है। यह वह महीना होता है जब किसान अपने खेतों में ज्यादा समय गुजारते हैं और पशुपालक पशुओं को चराने के लिए खुले मैदान में रहते हैं।

    वज्रपात से ऐसे करें बचाव 

    • बादल की तेज गर्जन के साथ बारिश होने पर कभी भी खुले स्थान पर न रहें।
    • सफर के दौरान कहीं ठहरें नहीं, बल्कि अपने वाहन में ही सवार रहें। 
    • जंगल में फंस गए हों तो छोटे और घने पेड़ों का तत्काल सहारा ले लें। 
    • बारिश के दौरान धातु से बने कृषि यंत्र या डंडा आदि से खुद को दूर रखें। 
    • ठनका से घायल व्यक्ति को तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाएं।

    केस वन

    घाटशिला में 16 मई को ठनका गिरने से दो लोगों की मौत हो गई थी। घटना के वक्त एक 15 वर्षीय और एक 26 वर्षीय युवक एक तालाब में स्नान कर लौट रहे थे। इसी दरम्यान ठनका गिरने की घटना हुई।

    मृतकों की पहचान घाटशिला की बाराजुरी पंचायत के आमतालगोड़ा निवासी सुकुमार कर्मकार और दिलीप भगत के रूप में की गई थी।

    केस टू

    बहरागोड़ा में 23 जून को ठनका गिरने से दस साल के एक लड़के की मौत हो गई थी। उसका नाम मनसी कालिंदी था। वह चौथी कक्षा का छात्र था। आम इकट्ठा करने के दौरान दोपहर में महुलदा इलाके में तेज हवा और गरज के साथ बारिश शुरू हो गई। बारिश से बचने के लिए वह आम के एक पेड़ के नीचे शरण ले लिया था।

    केस थ्री

    बिरसानगर के रमणी फ्लैट में 24 जून को शाम 6 बजे वज्रपात से 18 वर्षीय नीतीश कुमार सिंह की मौत हो गई। नीतीश तेज बारिश में अपने मकान की छत पर था। नीतीश मूल रूप से बिहार के भोजपुर का रहने वाला था। वह नासिक में रहकर पढ़ाई कर रहा था। वह दो दिन पहले नानी के श्राद्धकर्म में शामिल होने जमशेदपुर आया था।

    जिले में वज्रपात की घटनाएं बढ़ गई हैं। इससे बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। भवनों में तड़ित चालक लगाने के लिए निर्देश जारी किया जाएगा। - कृष्ण कुमार, उप प्रशासक, जेएनएसी