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    Jharkhand सरकार की नई भूमि आवंटन नीति का Draft तैयार,अब पांच साल से पहले नहीं बिकेगी फैक्ट्री की जमीन

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 09:29 AM (IST)

    आदित्यपुर समेत राज्य के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में जमीन की खरीद-बिक्री कर मुनाफा कमाने का खेल अब बंद हो जाएगा। झारखंड सरकार एक नई भूमि आवंटन नीति लाने जा रही है जिसमें यह अनिवार्य किया जा रहा है कि कोई भी उद्यमी आवंटित जमीन पर उत्पादन शुरू करने के पांच साल बाद ही अपनी इकाई किसी दूसरे को बेच या हस्तांतरित कर सकेगा।

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    नई नीति में पांच साल से पहले नहीं बिकेगी फैक्ट्री की जमीन।

    संवाद सूत्र, आदित्यपुर। आदित्यपुर समेत राज्य के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में जमीन की खरीद-बिक्री कर मुनाफा कमाने का खेल अब बंद हो जाएगा।

    झारखंड सरकार एक नई भूमि आवंटन नीति लाने जा रही है, जिसमें यह अनिवार्य किया जा रहा है कि कोई भी उद्यमी आवंटित जमीन पर उत्पादन शुरू करने के पांच साल बाद ही अपनी इकाई किसी दूसरे को बेच या हस्तांतरित कर सकेगा।

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    इस नियम का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक जमीन की जमाखोरी और सट्टेबाजी पर रोक लगाना और केवल गंभीर उद्यमियों को ही अवसर प्रदान करना है।

    जमीन लेकर बेचने वालों पर लगेगी लगाम

    पूर्व में यह देखा गया था कि कई लोग झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (जियाडा) से रियायती दरों पर जमीन आवंटित करा लेते थे, लेकिन उस पर उद्योग लगाने की बजाय कुछ समय बाद उसे ऊंचे दामों पर बेच देते थे। इससे वास्तविक उद्यमियों को जमीन नहीं मिल पाती थी। 

    औद्योगिक विकास भी प्रभावित होता था। नई नीति में पांच साल का लाक-इन पीरियड इस प्रवृत्ति पर सीधी चोट करेगा। सरकार का मानना है कि इससे केवल वे ही उद्यमी जमीन के लिए आवेदन करेंगे, जो वास्तव में उद्योग लगाना चाहते हैं।

    ट्रांसफर होगा महंगा, जेब पर बढ़ेगा बोझ

    नई नीति में सिर्फ पांच साल की शर्त ही नहीं है, बल्कि इकाई के हस्तांतरण (ट्रांसफर) को महंगा भी किया जा रहा है। प्रस्ताव के अनुसार, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) श्रेणी की इकाइयों के ट्रांसफर पर लगने वाले शुल्क को वर्तमान भूमि मूल्य के 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाएगा।

    वहीं, बड़ी इकाइयों के लिए यह शुल्क 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। शुल्क में इस भारी वृद्धि से जमीन को एक निवेश की वस्तु समझने वालों को बड़ा झटका लगेगा।

    अब केवल गंभीर उद्यमी ही कर सकेंगे आवेदन

    सरकार जमीन आवंटन की पात्रता को भी सख्त बना रही है, ताकि केवल वित्तीय रूप से मजबूत और गंभीर आवेदक ही आगे आएं। नए नियमों के मुताबिक, आवेदक की अपनी नेट वर्थ प्रस्तावित परियोजना की कुल लागत का कम से कम 30 प्रतिशत अनिवार्य होगा।

    इसके साथ ही आवेदक के टर्नओवर को भी देखा जाएगा। उदाहरण के तौर पर, आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में 21 हजार 780 से 43 हजार 560 वर्गफीट जमीन के लिए आवेदन करने वाली इकाई का न्यूनतम टर्नओवर तीन करोड़ रुपये होना चाहिए।

    उद्यमियों ने इस कदम को स्वागतयोग्य  बताया

    उद्योग जगत ने इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन कुछ चिंताएं भी जाहिर की हैं। एसिया (आदित्यपुर स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन) के अध्यक्ष इंदर अग्रवाल ने कहा, यह एक अच्छा कदम है, जिससे जमीन के खेल पर लगाम लगेगी।

    लेकिन सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी वास्तविक मजबूरी के कारण अपनी इकाई बेचने वाले सही उद्यमी प्रताड़ित न हों। 

    क्योंकि कोई भी उद्यमी अपनी कंपनी बेचने के लिए उद्योग नहीं लगाता। सरकार के इस मसौदे को अब अंतिम मंजूरी मिलना बाकी है, जिसके बाद इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया जाएगा।