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    चार बार एमजीएम के अधीक्षक व दुमका मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल रहे डा आरवाई चौधरी रिटायर

    By Vikas SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 01 Apr 2022 01:26 PM (IST)

    एमजीएम अस्पताल में शुक्रवार को डा आरवाई चौधरी को विदाई दी गई। कालेज के प्रिंसिपल डा. केएन सिंह ने कहा कि उनकी कमी हमेशा खलेगी। डा. आरवाई चौधरी 1990 मे ...और पढ़ें

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    झारखंड स्वास्थ्य सेवाएं के निदेशक पद पर रह चुके डा. आरवाई चौधरी हुए रिटायर।

    जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज अस्पताल के एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डा. आरवाई चौधरी रिटायर हो गए। इस दौरान एमजीएम अस्पताल में शुक्रवार को उन्हें विदाई दी गई। कालेज के प्रिंसिपल डा. केएन सिंह ने कहा कि उनकी कमी हमेशा खलेगी। डा. आरवाई चौधरी 1990 में एमजीएम से जुड़े। इसके बाद वे चार बार अधीक्षक रहें। इसी बीच स्वास्थ्य सेवाएं के निदेशक प्रमुख व दुमका मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल भी बनाया गया। डा. आरवाई चौधरी 32 साल तक एमजीएम में सेवा दी। इस दौरान उन्होंने एमजीएम को कई उपलब्धियां दिलाई।

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    एमजीएम अस्पताल में अगर एचआईवी मरीजों की जांच हो रही व इलाज हो रहा है तो इसमें डा. आरवाई चौधरी का अहम योगदान है। अस्पताल में एआरटी (एंटीरेटरोवायरल थरेपी) सेंटर खोलने का फंड आया था लेकिन किसी कारण से वह वापस होने लगा। तभी डा. आरवाई चौधरी ने उच्च अधिकारियों से बातचीत कर इसे रोकवाया और सेंटर खुल सका। अभी एआरटी सेंटर से हजारों मरीजों को लाभ मिल रहा है। वहीं, एमजीएम में एबीबीएस की परीक्षा शुरू कराने में भी डा. आरवाई चौधरी का अहम योगदान रहा है। पहले एमबीबीएस की परीक्षा टीएमएच में होती थी। इसके अलावा भी उनकी कई उपलब्धियां रही हैं। डा. आरवाई चौधरी ने कहा कि उनकी पूरी जिंदगी मरीजों की सेवा करने और भावी चिकित्सकों को तैयार करने में गुजरा है। ऐसे में वह आगे भी अनुबंध पर पढ़ाने का कार्य करेंगे।

    को सीटी स्कैन खरीदने के लिए एमजीएम को मिले आठ करोड़ रुपये

    एमजीएम अस्पताल को सिटी स्कैन मशीन खरीदने को आठ करोड़ रुपये मिले हैं। एमजीएम अस्पताल में एक साल से सिटी स्कैन मशीन खराब पड़ी हुई है। इसके कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, एमजीएम को फर्नीचर खरीदारी के लिए दो करोड़ रुपये 30 लाख रुपये मिले थे। इसे लेकर टेंडर निकाला गया था लेकिन किसी ने आवेदन नहीं किया। इसे देखते हुए 29 मार्च को राशि सरेंडर कर दिया गया लेकिन विभाग ने इस फंड को कारपोरेशन को ट्रांसफर कर दिया है। यानी नए वित्तीय वर्ष में भी इस फंड का उपयोग हो सकेगा और फर्नीचर की खरीदारी आसानी हो सकेगी।