महफिल-ए-मकासिदा में गूंजा- जन्नत की शाहजादी ससुराल जा रही है Jamshedpur News
जश्न-ए-अक्द-ए-जहरा पर जाकिर नगर में महफिल-ए-मकासिदा का आयोजन किया गया। महफिल का संचालन इलाहाबाद से आए मशहूर शायर नजीब इलाहाबादी ने किया।
जमशेदपुर, जासं। चारो तरफ फिजा में खुशबू सी छा रही है, जन्नत की शाहजादी ससुराल जा रही है। पैगंबर-ए-अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. के चचेरे भाई हजरत अली की जनाब फातमा जहरा से हुई शादी का जश्न मनाया गया। इस मौके पर मानगो के जाकिर नगर में शिया इमामबारगाह में महफिल-ए-मकासिदा संपन्न हुआ। महफिल का संचालन इलाहाबाद से आए मशहूर शायर नजीब इलाहाबादी ने किया।
शुरुआत रात को तकरीबन नौ बजे हुई। कुरआन करीम की तिलावत के बाद महफिल की शुरुआत हुई और इसके बाद नात-ए-पाक पढ़ी गई। बाद में देश के कोने-कोने से आए शायरों ने अपने कलाम पेश किए। जफर नसीराबादी ने पढ़ा, फर्शे महफिल मौला हम बिछा के बैठे हैं, इस जगह फरिश्ते भी सर झुका के बैठे हैं। उसके अब्द में शामिल होंगे हजरत अब्बास, जश्न ए अक्द ए जहरा में जो भी आके बैठे हैं। एरम बनारसी ने पढ़ा, कमजोर इतना कर गया खुतबा यजीद को, लेना पड़ा महल में सहारा अजान का।
श्रोता कह उठे वाह-वाह
एक शायर ने सिफ्फीन का मंजर पेश किया तो मोमनीन वाह वाह कह उठे। जहरा की सदा आई कि अलमास लड़ेगा, हसनैन के बाबा मेरा अब्बास लडे़गा। जश्न ए अक्द ए जहरा में किस तरह वो आएंगे, हक ए फातमा जहरा जो भी खा के बैठे हैं। अली अकेला वो शौहर है जिसकी जौजा को, अदब से फक्र ए पयंबर सलाम करते हैं। मंजर ये देख देख के हैरान कौन है, 40 घर में मेहमान कौन है। जबसे अली के बाप को काफिर कहा गया, तबसे मैं सोचता हूं कि मुसलमान कौन है।
मौलाना ने की तकरीर
इसके पहले मौलाना मोहम्मद सादिक ने अपनी तकरीर में पढ़ा हजरत अली अ. की शादी जनाब फातमा जहरा स. से एक जिलहिज्ज को हुई थी। जनाब फातमा जहरा के कई रिश्ते आए थे। हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. ने कहा कि जिसके दर पर सितारा उतरेगा। फातमा जहरा सलवातुल्ला अलैहा की शादी उसी के साथ होगी। कुरआन में इसका जिक्र है कि सितारा हजरत अली के दर पर उतरा। इसके बाद हजरत मोहम्मद मुस्तफा ने हजरत अली और जनाब फातमा जहरा स. का अक्द पढ़ा। मौलाना ने बताया कि हजरत अली अ. और जनाब फातमा जहरा का अक्द अर्श पर भी अल्लाह तआला ने पढ़ा था।
इन्होंने पेश किए कलाम
महफिल में मौलाना मोहम्मद हसन, मोहम्मद असगर सन्ने, प्रोफेसर आले अली, इनाम अब्बास आदि थे। शायरों में ताज कानपुरी, अंजार सीतापुरी, मौलाना यूनुस हैदर माहली, हसनए अली शब्बर नौगानवी, पैगाम शीराजी आदि ने भी अपने कलाम पेश किए।
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